नई दिल्ली: कोरोना वायरस से चीन में अबतक तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और अभी तक 80 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं. चीन के वुहान और उससे सटे दूसरे शहर और प्रांतों में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा कहर बरपा है. लेकिन चीन में हालात कैसे हैं, किस तरह चीन इस जानलेवा वायरस, नोवेल कोविड-19 से लड़ रहा है. इ‌सके बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल रही है. लेकिन एबीपी न्यू़ज आज आपको बताने जा रहा है चीन की उस भयावह परिस्थितियों को जो खुद वहां से लौटे लोगों ने साझा की है.


चीन के वुहान और दूसरे प्रांतों से लौटे 112 भारतीय और विदेशी नागरिकों में से कुछ से एबीपी न्यूज ने खास बात की. इन सभी को 27 फरवरी को चीन के वुहान से भारत लाया गया था. 15 दिन राजधानी दिल्ली के आईटीबीपी कैंप स्थित कोरांटीन (क्वारंटीन) सेंटर में रहने और कोरोना वायरस से निगेटिव पाए जाने के बाद शुक्रवार को इन सभी को डिस्चार्ज कर दिया गया. डि‌स्चार्ज के दौरान एबीपी न्यूज ने इन लोगों से बात की, तो वो तस्वीर सामने आई, जिसके बारे में अभी तक सिर्फ कयास लगाए जा रहे थे या फिर अपुष्ट खबरें थीं.



चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोरोना वायरस के फैलते ही उनकी यूनिवर्सिटी और पूरे शहर में लॉक-डाउन कर दिया गया. सभी को अपने घरों में कैद कर दिया गया. दिन में एक बार परिवार के किसी एक ही सदस्य को घर से बाहर निकलने की इजाजत थी. क्योंकि दुकानें, बाजार और शॉपिंग मॉल सब बंद कर दिए गए थे. इसलिए खाने पीने का सामान तक नहीं मिल पा रहा था. घरों में खाने की किल्लत है. पीने का पानी तक बामुश्किल मिल रहा है.‌


चीन से ही लौटे बांग्लादेशी और एक दूसरे विदेशी नागरिक ने भी कोरोना वायरस से हुई मुसीबतों की तस्दीक की. एक दूसरे भारतीय नागरिक ने बताया कि मुख्य सड़कों के साथ साथ गली-नुक्कड़ तक जाने पर पाबंदी लगी हुई थी. हाईवे पर चीन सरकार ने दीवार खड़ी कर दी है, ताकि लोग गाड़ियों से एक शहर से दूसरे शहर ना जा सकें. पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ट्रेन इत्यादि सब बंद कर दी गई हैं.



आपको बता दें कि कम्युनिस्ट-देश होने के चलते चीन से कोई भी जानकारी आसानी से बाहर नहीं आ पाती. जो जानकारी आती है वो सरकारी-मीडिया के माध्यम से आती है.


आईटीबीपी के कोरांटीन सेंटर में एक दूसरे भारतीय ने बताया कि अगर चीन सरकार के नियमों की कोई अनदेखी या अवहेलना करता है और घर से बाहर निकल आता है तो उसे दस महीने की सजा दी जा रही है. चीन से आए एक दूसरे भारतीय छात्र ने बताया कि शुरूआत में पूरा वुहान शहर पुलिस के हवाले था लेकिन अब वहां सेना तैनात कर दी गई है.


लेकिन चीन में फंसे ये लोग भारतीय दूतावास की तारीफ करते नहीं थकते. उनका कहना है कि भारतीय दूतावास ने ही उनके खाने पीने का इंतजाम किया और उनके भारत लौटने का इंतजाम किया. उन्होंने आईटीबीपी कैंप में बीते 15 दिनों के दौरान मिली मेडिकल सुविधा और दूसरे इंतजाम की जमकर तारीफ की. विदेशी नागरिकों ने भी चीन से वापस लाने के लिए भारत सरकार की प्रशंसा की.


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