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Explained: अगर देशभर में NRC लागू हुआ तो यह असम एनआरसी से कैसे अलग होगा

असम NRC से कैसे अलग होगा देश का NRC. क्या होंगे नियम, आखिर कैसे लोगों के लिए ये राहत की बात होगी.

नई दिल्ली: असम 'नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़नशिप' के बाद अब देश भर में NRC की बात कही गई है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि अवैध लोगों की पहचान के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू होगा और इसमें सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों को शामिल किया जाएगा. इस एलान के बाद देश की सियासत गरमा गई है.

आपको बता दें कि बीते चंद महीने पहले ही असम NRC का काम पूरा हुआ है. असम में जब एनआरसी के फाइनल लिस्ट का प्रकाशन हुआ तो इस लिस्ट में तकरीबन 19 लाख लोग NRC लिस्ट से बाहर रह गए. अब देशभर में इसे लागू करने की मांग के बाद कई नागरिक डरे हुए हैं और सोच रहे हैं क्या होगा. साथ ही लोगों के मन में यह सवाल भी है कि क्या देश भर में NRC को लेकर वहीं नियम होंगे जो असम में था या इससे अलग होगा. असम का NRC और देश का NRC कैसे होगा अलग आइए जानते हैं.

असम NRC से कैसे होगा देश का NRC अलग

इससे पहले की इस सवाल को लेकर चर्चा करें आपको बता दें कि जब देशभर में NRC लागू होगा तो असम में भी यह प्रक्रिया फिर से होगी. अब आते हैं इस सावल पर कि असम में हाल में ही हुए NRC से देश के अन्य हिस्सों में होने वाले NRC कैसे अलग होगा.

दरसअल असम में रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़नशिन की सूची में असम में रहनेवाले उन सभी लोगों के नाम दर्ज हुए हैं जिनके पास 24 मार्च 1971 तक या उसके पहले अपने परिवार के असम में होने के सबूत थे. लेकिन देश के लिए यह डेडलाइन अलग है. जहां असम में 24 मार्च 1971 की मध्यरात्री है तो वहीं देश में 1 जुलाई 1987 की मध्यरात्री होगी. मोटी बात ये है कि अमस के मुकाबले देश के दूसरे हिस्से के नागरिक के लिए एनआरसी में करीब 16 साल की रियात होगी.

यानी आसान शब्दों में समझे तो असम में उन्हें नागरिक माना गया जिनके नाम या जिनके पूर्वजों के नाम 1951 के एनआरसी में या 24 मार्च 1971 तक के किसी वोटर लिस्ट में मौजूद था. वहीं जब देशभर में NRC लागू होगा तो उन्हें नागरिक माना जाएगा जिनके नाम या जिनके पूर्वजों के नाम 1 जुलाई 1987 की मध्यरात्रि तक भारत के किसी वोटर लिस्ट में दर्ज थे.

इसके अलावा 12 दूसरे तरह के सर्टिफ़िकेट या काग़ज़ात जैसे जन्म प्रमाण पत्र, ज़मीन के काग़ज़, पट्टेदारी के दस्तावेज़, शरणार्थी प्रमाण पत्र, स्कूल-कॉलेज के सर्टिफ़िकेट, पासपोर्ट, अदालत के पेपर्स भी अपनी नागरिकता प्रमाणित करने के लिए पेश किए जा सकते हैं.

भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी

भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए आपके पास निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए

1. 1951 का एनआरसी 2.  1 जुलाई 1987  तक का मतदाता सूची में नाम 3. जमीन का मालिकाना हक या किरायेदार होने का रिकॉर्ड 4. नागरिकता प्रमाणपत्र 5. स्थायी निवासी प्रमाण पत्र 6. शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र 7. किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/सर्टिफिकेट 8. सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणिक करने वाला दस्तावेज 7. बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट 8. जन्म प्रमाणपत्र 9. राज्य के एजुकेशन बोर्ड या यूनिवर्सिटी के प्रमाण पत्र 10. अदालत के आदेश रिकॉर्ड 11. पासपोर्ट 12. कोई भी एलआईसी पॉलिसी

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