प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के सागर में पहुंच चुके हैं. यहां पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सागर में आयोजित कार्यक्रम में 2500 करोड़ की कोटा-बीना रेल लाइन दोहरीकरण का लोकार्पण किया और 1600 करोड़ की सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया.


इसके बाद पीएम मोदी दलित आइकन संत रविदास को समर्पित एक मंदिर की आधारशिला कार्यक्रम में भी शामिल हुए. 1 जुलाई के बाद पीएम मोदी की मध्य प्रदेश की यह दूसरी यात्रा है, जब उन्होंने राज्य के पूर्वी बेल्ट में शहडोल का दौरा किया था. मध्य प्रदेश में नवंबर में चुनाव होने हैं.


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक 8 फरवरी को संत रविदास की जयंती के मौके पर सागर में हुए कार्यक्रम में संत रविदास के मंदिर के निर्माण की मांग रखी गई.


कवि-संत के सम्मान में 100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले संत रविदास समरसता यात्रा की शुरुआत की गई थी. 


यात्रा राज्य के 52 में से 46 जिलों से होकर गुजरी और 12 अगस्त को सागर में समाप्त हुई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की नींव रखेंगे. इसी के साथ दोनों पार्टियों द्वारा राज्य के अनुसूचित जाति (एससी) मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश शुरू हो गयी है.


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी एक दिन बाद जिले में एक मेगा रैली को संबोधित करने की योजना रखी थी, लेकिन उसे फिलहाल टाल दिया गया है.


विपक्षी कांग्रेस ने तुरंत आरोप लगाया कि यह राज्य के 16 फीसदी दलित वोटों को साधने की एक चाल है. ये समरसता यात्रा नहीं है ये वोट यात्रा है. चार महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं.


ये वोट के लिए यात्रा नहीं- बीजेपी


द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने बताया कि "यह वोट के लिए यात्रा नहीं है.


सरकार ने संत रविदास मंदिर के निर्माण की घोषणा बहुत पहले की थी और सामाजिक सद्भाव का संदेश फैलाने के लिए 11 एकड़ जमीन का पर मंदिर निर्माण कराने का फैसला लिया था. मंदिर के निर्माण के लिए 50,000 से ज्यादा गांवों की मिट्टी एकत्र की जाएगी.


आर्य ने कहा, 'हमने कुछ ऐसी नीतियां बनाई हैं जिनसे अनुसूचित जाति के मतदाताओं को फायदा हुआ है. हमने राज्य में आपराधिक तत्वों पर भी कार्रवाई की है.


यह कहना गलत है कि दलित उत्पीड़न के मामले में मध्य प्रदेश नंबर 1 है. कांग्रेस दलित विरोधी है. सत्ता में अपने सभी सालों में कांग्रेस ने दलितों को सत्ता में महत्वपूर्ण पद नहीं दिया है. हमने अंबेडकर का जश्न मनाया है, जिन्हें कांग्रेस भूल गई है.


राज्य बीजेपी के एससी मोर्चा के प्रमुख कैलाश जाटव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "बीजेपी सरकार की कुछ नीतियां एससी समुदाय के लिए वास्तव में मददगार साबित हुई हैं.


कौशल विकास योजना ने एससी समुदाय के लोगों को कारखाने स्थापित करने में मदद करने के लिए ऋण प्रदान किया है. सीखो कमाओ योजना दलितों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी. राज्य में महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं जिनसे बहुत फायदा हुआ है. 


कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला तेज किया 


इस बीच कांग्रेस ने राज्य में दलितों के खिलाफ हाल ही में हुए अत्याचारों को लेकर चौहान सरकार पर अपना हमला तेज कर दिया है. 22 जुलाई को एक दलित व्यक्ति ने दावा किया कि छतरपुर में उसके चेहरे पर मल लगा दिया गया.


क्योंकि उसकी बांह गलती से एक अलग जाति के व्यक्ति से टकरा गई थी. छह जुलाई को शिवपुरी में दो दलित युवकों की कथित पिटाई के मामले में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था.


छतरपुर की घटना के बाद खड़गे ने आरोप लगाया कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध की दर सबसे ज्यादा है.


उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश के हमारे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के नागरिक दशकों से बीजेपी के कुशासन में अपमान झेल रहे हैं... बीजेपी हर दिन बाबा साहेब अंबेडकर के सामाजिक न्याय के सपने को चकनाचूर कर रही है.


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है, "मध्य प्रदेश में बीजेपी के 18 साल के कुशासन में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार चरम पर है.


अब समय आ गया है जब दलितों और आदिवासियों के प्रति ऐसी मानसिकता रखने की विचारधारा को खत्म किया जाए और मध्य प्रदेश में दलितों और आदिवासियों को उनका संवैधानिक सम्मान दिया जाए.


दलितों को साधना क्यों है अहम


बीजेपी जहां अनुसूचित जाति के वोटों को एकजुट करने के लिए अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' रणनीति के तहत अपने विकास कार्यक्रमों और दलित को साधने पर काम कर रही है. वहीं कांग्रेस मध्य प्रदेश को एक ऐसा राज्य बताने की कोशिश में लग गई है जहां पर दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किया जा रहा है. जुलाई में हुए पेशाब कांड को कांग्रेस बार-बार जिक्र कर रही है.


मध्यप्रदेश में कुल आबादी का 15.6 फीसदी अनुसूचित जाति का है. यानी प्रदेश में कुल 1 करोड़ ,13 लाख , 42 हजार दलित हैं.


मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 35 एससी के लिए आरक्षित हैं. जिन्हें बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल और विंध्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए माना जाता है. 


2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन क्षेत्रों में 80% से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया था. बीजेपी ने एससी-आरक्षित सीटों में से 28 पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस ने केवल चार सीटें जीतीं.


हालांकि 2018 के चुनावों में कांग्रेस इन आरक्षित सीटों में से 17 जीतने में कामयाब रही, जबकि बीजेपी ने 18 सीटें जीती. 


दलितों के सियासी समीकरण को देखते हुए दोनों ही पार्टियों के लिए दलितों को साधना जरूरी हो जाता है. प्रदेश में 16 फीसदी वोट बैंक वाले दलित वोटर चुनाव में गेमचेंजर की भूमिका निभाते हैं.  35 सीटें दलितों के लिए आरक्षित है, वहीं 230 विधानसभा सीटों में से 84 विधानसभा सीटों पर दलित वोटर ही जीत-हार तय करते हैं.


क्या कांग्रेस को होगा नुकसान


राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि मंदिर निर्माण के जरिए बीजेपी का लक्ष्य राज्य में दलित वोटों को लुभाना है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 15.6 प्रतिशत है .


ये ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड जिलों में पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं,  सागर भी इसका एक हिस्सा है. दोनों क्षेत्रों में आबादी में एससी की जनसंख्या ज्यादा है.


बीजेपी दलित वोटों को लुभाने के इरादे से महाराष्ट्र रैलियां निकाल रही है. ऐसी पांच रैलियों को 25 जुलाई को मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से हरी झंडी दिखाई गई थी और प्रधानमंत्री के आगमन से पहले 11 अगस्त को सागर में इसका समापन होगा.


बुंदेलखंड में, जिसमें सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले शामिल हैं. जानकारों का कहना है कि राज्य में दलित वोट परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है.


इसलिए बीजेपी के इस कदम से पार्टी में सुगबुगाहट जरूर पैदा हो गयी है. और कांग्रेस पहले से कहीं ज्यादा पैनी नजर से इस वोट बैंक पर नजर बनाए हुए है. 


पार्टी ने पहले 13 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक सार्वजनिक बैठक की योजना बनाई थी, लेकिन 12 अगस्त को पीएम के कार्यक्रम की वजह से इसे रद्द कर दिया गया .


कांग्रेस ने अभी तक सार्वजनिक बैठक के लिए नई तारीखों की घोषणा नहीं की है. कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्ना ने मीडिया इंटरव्यू को दिए एक बयान में कहा कि रविदास जी के लिए एक मंदिर की घोषणा की है लेकिन मंदिर तीन महीने में पूरा नहीं हो सकता है. कांग्रेस राज्य में सत्ता में आने के बाद एक बड़ा मंदिर बनाएगी.