डंकी रूट से कैसे अमेरिका गए थे 80 लोग? क्राइम ब्रांच ने एयरपोर्ट पर एजेंट्स से कराया सीन रीक्रिएट
अधिकारी ने बताया कि जिसे कनाडा जाना होता है वो एजेंट को इस बात की जानकारी देता है और डील 30 से 60 लाख रुपये में होती है. उसके बाद नकली वीजा के जरिए उसे भेजा जाता है.

अमेरिका जाने का सपना दिखाकर अलग-अलग रूट से भेजने के मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने भारत के सबसे बड़े कबूतरबाजों में से एक अजित पूरी समेत 5 एजेंट्स को गिरफ्तार किया है. सूत्रों के मुताबिक इस गैंग ने 3 साल में 80 भारतीय युवाओं को अलग अलग रास्ते से अमेरिका भेजा है. मामले की जांच में पता चला कि आरोपी फर्जी वीजा का इस्तेमाल कर भारतीयों को कनाडा, टर्की, UAE और पोलैंड भेज रहे थे. एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि जितने लोगों को आरोपियों ने विदेश भेजा है उनमें से ज्यादातर लोगों ने फर्जी वीजा का इस्तेमाल किया है.
एजेंसी ने आगे बताया कि चूंकि फर्जी वीजा का इस्तेमाल हुआ है इसी वजह से यह जानना बेहद ज़रूरी था कि आखिर कैसे घर पर बनाए वीजा का इस्तेमाल कर लोग यात्रा कर रहे हैं और बेहद गंभीर बात है इसी को समझने के लिए एजेंसी के साथ साथ मुम्बई पुलिस के बड़े अधिकारी एयरपोर्ट पहुंचे और पूरा डेमो किया. सूत्रों ने बताया कि डेमो के दौरान एजेंसियों ने एयरपोर्ट में घुसने से लेकर फ्लाइट में चढ़ने तक का पूरा क्राइम सिन रिक्रिएट किया.
कनाडा जाने के लिए कितनी फीस लेते हैं एजेंट?
एक अधिकारी ने बताया कि यह सब करके पता चला कि जिस किसी को भी कनाडा जाना होता है वो एजेंट को इस बात की जानकारी देता है और डील 30 से 60 लाख रुपये में होती है. इसके बाद एजेंट इस बात की जानकारी कनाडा में स्थित उनके दूसरे एजेंट को देते हैं और फिर कनाडा में बैठा एजेंट ऐसे शख्स की तलाश करता है जो भारतीय हो और उसके पास उसका वैलिड वीजा हो जिसकी वैलिडिटी कम से कम 6 महीने से ज्यादा हो. इसके बाद उस पासपोर्ट की बोली लगती है फिर ज्यादा बोली लगाने वाले को कनाडा का वीजा लगा हुआ पासपोर्ट मिल जाता है जिसे कुरियर से भारत भेजा जाता है. इस पासपोर्ट पर लगे फोटो को भारत से कनाडा जाने वाले भारतीय के फोटो के साथ बड़ी सफाई से रिप्लेस किया जाता है जिसे PC पासपोर्ट यानी कि फ़ोटो चेंज पासपोर्ट कहा जाता है.
यात्री को दिए जाते हैं दो लिफाफे
इसके बाद उस यात्री को दो इंवेलोप लेने के लिए कहा जाता है जिसमे से एक इंवेलोप (A) मे उसका खुद का पासपोर्ट, नकली टिकट और कनाडा का नकली वीजा होता है. दूसरे इंवेलोप (B) में PC पासपोर्ट, असली टिकट और असली वीजा होता है. एक अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट में जाने से पहले एजेंट यात्री को पूरी तरह से ट्रेनिंग देता है कि कौनसा इंवेलोप पहले निकालना है और कौनसा इंवेलोप बाद में, एयरपोर्ट में एंट्री करते समय और किसी भी काउंटर पर पूछे पूछे गए सवाल के जवाब कैसे देना है और सबसे महत्वपूर्ण डरना नहीं है. जिस दिन उन्हें कनाडा जाना होता है उस दिन उन्हें एजेंट फ़ोन पर गाइड भी करते रहता है.
लिफाफों का इस्तेमाल कैसे करते हैं?
सूत्रों ने आगे बताया कि जब यात्री एयरपोर्ट के एंट्री गेट पर होता है तब वो इंवेलोप (B) हाथ में रखता है जिसमें PC पासपोर्ट, असली टिकट और असली वीजा होता है. एंट्री गेट पर CISF वाला पासपोर्ट देखता है जिसपर फ़ोटो यात्री का होता है और उसका टिकट देखता है जिसकी जानकारी उसके पास होती है. पहला लेवल पार करने के बाद यात्री एयरलाइंस के विंडो पर जाता है जहां उसे बोर्डिंग पास मिलता है उसे लेकर वो सिक्योरिटी चेकिंग के लिए आगे बढ़ता है वहां सिर्फ लगेज स्कैन होता है, इस दौरान वो अपना दूसरा इंवेलोप (A) निकालता है और इंवेलोप (B) बैग में रख देता है.
यात्री जब इमिग्रेशन के काउंटर पर पहुंचता है तब वो वहां पर एनवेलप (A) दिखाता है जिसपर नकली वीजा लगा होता है. इमिग्रेशन स्टाफ के पास पासपोर्ट की जानकारी होती है इस वजह से उस यात्री का पासपोर्ट स्कैन करते ही उसकी जानकारी इमिग्रेशन के अधिकारी के स्क्रीन पर आ जाती है इसके बाद इमिग्रेशन का अधिकारी UV लाइट से पासपोर्ट पर लगे वीजा को देखता है और अगर लाइट फ्लोरिश होती है तो वह यह मान लेता है कि वीजा असली है और वो नकली वीजा पर नकली टिकट पर इमिग्रेशन का स्टैम्प लगाकर दे देता है.
सूत्रों ने आगे दावा किया कि इमिग्रेशन पर स्टैम्प लगवाने के तुरंत बाद यात्री टॉयलेट में चला जाता है और फिर वहां वो एनवेलप (A) फिर से बैग में रख लेता है और एनवेलप (B) बाहर निकालता है, फिर वो अपने बैग से रबर का डब्लिकेट इंक लगा हुआ इमिग्रेशन का स्टैम्प निकालता है और बड़ी सावधानी से वो स्टैम्प PC पासपोर्ट पर लगे असली वीजा पर लगाता है और फिर असली टिकट पर. जब वो स्टैम्प लगा रहा होता है तब एजेंट लगातार उसे फोन पर इंस्ट्रक्शन देते रहते हैं कि आप समय लो और सावधानी रखना की इंक आपके हाथ मे ना लगे.
अमेरिका जाने के लिए 8 हजार डॉलर फीस
उसके बाद यात्री उस नकली रबर के स्टैम्प को फ्लश कर देता है और फिर वहां से एयरलाइंस के डिपार्चर गेट पर चला जाता है और बड़ी सफाई से एजेंसी की आंख में धूल झोंककर फ्लाइट में बैठ जाता है और तो और यहां से कनाडा भी पहुंच जाता है. कनाडा पहुंचने के बाद उस यात्री का सामना दूसरे एजेंट से होता है जो उसे डंकी रूट से अमेरिका ले जाता है लेकिन वो ऐसा करने के लिए उससे 8 हजार डॉलर लेता है. इस तरह से एक यात्री भारत से अमेरिका पहुंचता है. इस मामले की इसी गंभीरता को देखते हुए अब अमेरिकन ऑफिशियल्स भी मुंबई क्राइम ब्रांच से मिलकर साथ में काम करना चाहती है.
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