LuLu Mall Controversy: ‘लुलु मॉल’ को कैसे मिला ये नाम, कौन हैं इसके मालिक?
LuLu Mall Controversy: लुलु मॉल के मालिक एमए यूसुफ अली वकील बनना चाहते थे लेकिन 15 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने का फैसला किया.
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LuLu Mall Controversy: लुलु मॉल (Lulu Mall) से जुड़ी कंट्रोवर्सी के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन कोई यह नहीं जानता कि जिस शख्स का ये मॉल है वो आखिर कौन है. आज हम लुलु मॉल के मालिक एमए यूसुफ अली (MA Yusuff Ali) के बारे में बताएंगे और साथ ही जानेंगे कि इस मॉल का नाम लुलु मॉल कैसे पड़ा.
एमए यूसुफ अली का जन्म 15 नवंबर 1955 को केरल (Kerala) के त्रिशूर जिले (Thrissur District) के नाट्टिका गांव में एक मिडिल क्लास मुस्लिम परिवार में हुआ. वह अपनी शुरूआती ज़िंदगी में एक वकील बनना चाहते थे. उनके पिता गुजरात में एक छोटा-मोटा बिज़नेस करते थे. 15 साल की उम्र में यूसुफ अली भी बिज़नेस में पिता का हाथ बंटाने के लिए गुजरात आ गए.
यहीं पर उन्होंने बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन का डिप्लोमा किया. 1973 आते- आते यूसूफ की उम्र 18 साल हो चुकी थी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए वो यूएई (यूएई) चले गए. जहां अबू धाबी में उनके चाचा एक छोटी किराने की दुकान चलाते थे. पहले वो अपने चाचा के बिज़नेस से जुड़े फिर सिंगापुर, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया में काम के नए जरिए तलाशे, उन्हें एक नया बिज़नेस आइडिया मिला- सुपरमार्केट (Supermarket) खोलने का.
खाड़ी युद्ध के वक्त किस्मत बदली
1989 में यूसूफ ने अबू धाबी में पहला मार्केट स्टोर खोला और जमकर पैसा कमाया. लेकिन उनकी किस्मत बदली 1990 के खाड़ी युद्ध के वक्त. उस दौरान ज्यादातर भारतीय यूएई छोड़कर भारत लौट रहे थे लेकिन यूसुफ अली ने ऐसे मुश्किल हालात में भी यूएई में ही रहकर अपना कारोबार बढ़ाने का फैसला लिया, और उनके इसी फैसले ने यूएई के शेख ज़ाएद को उनका मुरीद बना दिया.
यूएई के शाही परिवार के आए करीब
फोर्ब्स में छपे एक इंटरव्यू में अली बताते हैं कि शेख ने जब उनसे पूछा कि सब लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं तो आप यहां क्यों रुकना चाहते हैं तब अली ने जवाब दिया कि समस्याओं से भागना उन्हें मंज़ूर नहीं है, कहा जाता है कि उनकी इसी बात ने शेख को उनका मुरीद बना दिया और वो यूएई के शाही परिवार के काफी खास बन गए. यही कारण है कि जब 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शाही परिवार से मिले तो यूसुफ अली भी उस मुलाकात का हिस्सा बनें.
इसलिए रखा ‘लुलु’ नाम
यूसुफ अली ने ‘लुलु ग्रुप’ की शुरूआत साल 1995 में की थी. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम लुलु रखा. दरअसर ‘लुलु’ शब्द का अरबी भाषा में मतलब होता है मोती, क्योंकि यूसुफ के टार्गेट कस्टमर अरब देशों के ही थे तो ऐसे में उन्होंने लुलु नाम को अपनी कंपनी के नाम के साथ जोड़ लिया.
कई देशों में हैं लुलु ग्रुप के स्टोर और मॉल
1995 के बाद साल 2000 में लुलु ग्रुप इंटरनेशनल की स्थापना की गई और इस तरह उनका बिज़नेस विदेशों में भी फैलने लगा. लुलु ग्रुप के 42 देशों में 250 से ज्यादा स्टोर और मॉल हैं. इस ग्रुप में 60 हज़ार के करीब कर्मचारी काम करते हैं और इस ग्रुप की सालाना कमाई 64 हज़ार करोड़ के आस-पास है.
भारत में इस ग्रुप ने अपना पहला मॉल कोच्ची में साल 2013 में खोला था इसके बाद तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) और बेंगलुरु (Bengaluru) में दो और मॉल खोले गए और हाल ही में लखनऊ (Lucknow) में 2000 करोड़ की लागत से चौथा लुलु मॉल खोल गया था जो विवादों में फंस गया.
यूसुफ की तीन बेटियां हैं
यूसुफ अली के परिवार में तीन बेटियां हैं- शबीना, शफीना और शिफा. अली अपने तीनों दामादों के सहारे ही अपना कारोबार आगे बढ़ा रहे हैं. रही बात उनकी खुद की संपत्ती की तो वो 37 हज़ार करोड़ के मालिक हैं और भारत के 38वें सबसे अमीर शख्स है.
साल 2008 में उन्हें मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है. अप्रैल 2021 में केरल के पास यूसुफ और उनकी पत्नी का एक हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था जिसमें वो बाल-बाल बच गए थे.
यूसुफ को उनकी उदारता के लिए भी जाना जाता है. 2012 में यूएई की सुप्रीम कोर्ट ने केरल के बेक्स कृष्णन को लापरवाही से गाड़ी चलाकर एक सूडानी व्यक्ति की हत्या में दोषी पाया था. तब से ही उसका परिवार उसकी रिहाई की कोशिश कर रहा था. लेकिन जब 2021 में उसके परिवार ने यूसुफ से इस बारे में मदद मांगी तो यूसुफ ने 1 करोड़ रुपए की ब्लड मनी चुकाकर बेक्स कृष्णन को इस केस से छुड़वाया था.
बता दें कई देशों में यह नियम है कि अगर किसी से कोई गलती हुई है तो वो पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देकर खुद को रिहा करवा सकता है इसे ही ब्लड मनी (Blood money) कहा जाता है.
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