72 घंटों में यूक्रेन को सरेंडर करा देने का पुतिन का दावा जानिए क्यों हो गया फुस्स?
6 महीने बाद भी यूक्रेन के हार नहीं मानने की एक वजह पुतिन का अपने से 30 गुना छोटे देश यूक्रेन को कमतर आंकना भी है.
रूस और यूक्रेन के बीच करीब 6 महीने से युद्ध जारी है. शुरुआत में जहां एक तरफ पुतिन ने दावा किया था कि रूस 72 घंटों में यूक्रेन को सरेंडर करा देने की ताकत रखता है. वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन ने जिस तरह से रूस जैसी महाशक्ति से अब तक सामना किया है उससे पूरी दुनिया हैरान है.
हालांकि यूक्रेन को अमेरिका सहित तमाम देश मदद करने का दावा कर रहे हैं लेकिन कोई भी अभी तक खुलकर यूक्रेन की ओर से मैदान में नहीं आया है. इसी बीच खबर है कि यूक्रेन ने रूस पर पलटवार कई कई हजार किलोमीटर की जमीन दोबारा हासिल कर ली है.
यूक्रेन की यह दृढ़ इच्छाशक्ति इतिहास में हमेशा याद की जाएगी कि कैसे उसने रूस जैसी महाशक्ति को घुटनों पर ला दिया है. युद्ध की शुरुआत में इसे एकतरफा लड़ाई माना जा रहा था. लेकिन अब तक रूस के भी कई बड़े सैन्य अधिकारी मारे जा चुके हैं. और अब रूस भी अपने नुकसान का आकलन कर रहा है.
यूक्रेन को मदद के तौर पर अप्रत्यक्ष तरीके से अंतरराष्ट्रीय सहायता भी मिल रही है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के वित्त मंत्री सेरही मार्चेंको ने बताया कि साल 2022 के अगस्त महीने में यूक्रेन को 4.6 अरब डॉलर की अंतरराष्ट्रीय सहायता मिली है. इसके अलावा यूक्रेन को लगातार हथियारों और पैसों की सप्लाई मिलती रही है.
नाटो देशों से मिल रहे हथियारों की मदद से ही यूक्रेन रूस के आगे मजबूत बनकर टिका हुआ है. सितंबर की शुरुआत में ही पिछले दो महीने से कब्जे में किए खार्किव से यूक्रेनी सेना ने रूस को खदेड़ दिया. वहीं 6 महीने के संघर्ष के बाद यूक्रेन ने हाल ही में इज्यूम शहर पर भी दोबारा नियंत्रण हासिल कर लिया है.
रिपोर्ट की मानें तो अगस्त महीने में यूक्रेन को 1 बिलियन यूरो की सहायता राशि मिली. ये पैकेज उन्हें दो चरणों में दिया गया है. वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक यानी फरवरी महीने से अगस्त तक यूक्रेन को 17 बिलियन डॉलर की सहायता राशि मिल चुकी है. आर्थिक मदद के साथ साथ कई यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को हथियार की भी सप्लाई की है.
इस युद्ध में अब तक दोनों देशों के लाखों सैनिक और यूक्रेन के आम नागरिकों की मौत हो चुकी है. रूस के इस कदम से नाराज होकर यूरोप और अमेरिका के कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाया है.
6 महीने के इस युद्ध के दरमियान अब तक की इस लड़ाई में टैंक, सेना, एयरक्राफ़्ट समेत बाकी हर आंकड़े में रूस से कहीं पीछे होने के बावजूद यूक्रेन ने इन बाधाओं को पार किया है.
इस युद्ध की सबसे खास बात ये रही कि रूस जैसी महाशक्ति के सामने टिकने के लिए यूक्रेन के आम नागरिकों ने भी सेना को मजबूती दी. उन्होंने सैनिकों का रास्ता भटकाने से लेकर घायलों की सहायता करने तक, कई जगहों पर रूसी सैनिकों से टक्कर भी ली है.
इस युद्ध में यूक्रेन के डटे रहने का एक और कारण बताया जा रहा है. दरअसल यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग के उप प्रमुख वादिम स्किबित्सकी ने द गार्जियन अखबार को जानकारी दी थी कि इस युद्ध में रूस एक दिन में तोप के 5,000 से 6,000 गोलों का इस्तेमाल कर रहा है और अब वह पश्चिमी देशों से मिलने वाले हथियारों पर निर्भर है.
इस युद्ध में यूक्रेन के एक हथियार M142 HIMARS की भी खूब चर्चा हुई. ये अमेरिका में बना एक रॉकेट सिस्टम है जिसके आगे रूसी सैनिक टिक नहीं पा रहे हैं. यही वह हथियार है जिसके इस्तेमाल से यूक्रेन की सेना अपने क्षेत्रों को वापस लेने में कामयाब हो पा रही है.
वहीं यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस इस युद्ध में नए हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. दरअसल यूक्रेन के उप रक्षा मंत्री हन्ना मलयार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि रूस अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबंधित हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहा है.
उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन के खिलाफ नए हथियारों का इस्तेमाल परीक्षण करने के लिए कर रहा है जबकि इन हथियारों पर अभी भी शोध चल रहा है.
6 महीने बाद भी यूक्रेन के हार नहीं मानने की एक वजह पुतिन का अपने से 30 गुना छोटे देश यूक्रेन को कमतर आंकना भी है. जानकारों का मानना है कि पुतिन ने युद्ध शुरू करने से पहले ये सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें यूक्रेन से इतनी जबरदस्त टक्कर मिलेगी.
रूस के राष्ट्रपति इतनी गलतफहमी में थे कि उन्हें लगता था कि उनकी सेना कुछ ही देर में यूक्रेन पर कब्जा कर लेगी. इसके अलावा उन्हें उम्मीद थी कि इस युद्ध के दौरान यूक्रेन में रह रहे लगभग 80 लाख लोग जो रूसी मूल के है वह रूसी सैनिकों का स्वागत करेंगे और खारकीव और ओडेशा पर सबसे पहले उनका कब्जा हो जाएगा. लेकिन उल्टे यूक्रेन के लोगों ने रूसी हमले का पुरजोर विरोध किया.
रूस द्वारा लगातार किए जा रहे हमले के बाद भी अगर यूक्रेन आज तक टिका हुआ है तो एक कारण यूक्रेन के लोगों का मनोबल भी है. इस युद्ध के दौरान यूक्रेन की आम जनता भी रूस का हर संभव विरोध कर रही है. लाखों की संख्या में यूक्रेन के नागरिकों ने हथियार उठा लिया.
नेशनल गार्ड ऑफ यूक्रेन की मानें तो इस हमले के एक महीने बाद ही यूक्रेन सेना की वॉलंटियर ब्रांच से करीब 1 लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक जुड़े थे. धीरे धीरे महीने बीतते गए और लोगों की संख्या बढ़ती गई.
आम लोगों का साथ देना यूक्रेन की सेना की रणनीति के साथ ही उसके मनोबल बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई है, जिसका उसे फायदा भी मिला है.