जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा मिलना कितना मुश्किल, उमर के रास्ते में कितने कांटे?
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में बुधवार को नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने शपथ ले ली. अब चर्चा केंद्र शासित प्रदेश को वापस राज्य का दर्जा दिलाने पर हो रही है.
J&K News: जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में बुधवार (16 अक्टूबर, 2024) को नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के उमर अब्दुल्ला ने शपथ ली. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. अब इस बात पर चर्चा हो रही है कि केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) को वापस राज्य का दर्जा मिलना कितना मुश्किल है. यह सवाल इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एनसी ने पहले ही कहा था कि सरकार बनाने के बाद सबसे पहला काम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाना है.
एनसी के घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के साथ आर्टिकल 370 और 35ए को फिर से बहाल करना, पाकिस्तान के साथ बातचीत और जेल में बंद कैदियों की रिहाई जैसे कई वादे शामिल हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत केंद्र सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था. पहले कहा गया था कि पहले परिसीमन फिर चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में अब परिसीमन और चुनाव हो चुके हैं और केवल राज्य का दर्जा बहाल करना बाकी है.
उमर अब्दुल्ला की सरकार विधानसभा में लाएगी प्रत्साव
जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अब उमर अब्दुल्ला की सरकार सबसे पहले विधानसभा में जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव लाएगी. विधानसभा से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. इसके बाद केंद्र सरकार अंतिम फैसला लेगी. पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव कर सकती है.
राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा विधेयक
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की कानूनी प्रक्रिया की अगर हम बात करें तो इसके लिए संसद में एक कानून पारित कर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना होगा. संसद से संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी होने पर उसमें उल्लिखित तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा.
परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय लेगा निर्णय
जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की समस्याएं हैं, इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय परिस्थितियों को देखते हुए इस मामले में निर्णय लेगा.
वित्त विधेयक के लिए नहीं होगी राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता
जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा मिलने के बाद राज्य की विधानसभा को राज्य सूची और समवर्ती सूची के सभी मामलों में कानून बनाने का अधिकार मिल जाएगा. इसके साथ ही, जब सरकार कोई वित्त विधेयक पेश करेगी, तो उसके लिए उपराज्यपाल/राज्यपाल की मंजूरी आवश्यकता नहीं होगी. अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग राज्य सरकार की ओर से की जाएगी.
केंद्र शासित प्रदेश में विधायकों की संख्या के 10 फीसदी तक मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन राज्य का दर्जा बहाल होने पर विधायकों की संख्या के 15 फीसदी तक मंत्री बनाए जा सकेंगे. इसके अलावा, कैदियों की रिहाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अन्य चुनावी वादों को पूरा करने में राज्य सरकार को केंद्र से अधिक अधिकार प्राप्त होंगे.
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