नई दिल्ली: कोरोना से निपटने में आयुर्वेद मदद कर सकता है. यही पता लगाने के लिए अब एक क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा. इसमें ये देखा जाएगा की आयुर्वेदिक अश्वगंधा क्या मदद कर सकती है. ये ट्रायल कोरोना मरीजों के करीबी और इलाज में लगे डॉक्टरों को अलग-अलग एचसीक्यू और अश्वगंधा देकर पता लगाया जाएगा कि दोनों में कौन कोरोना के वायरस पर ज्यादा प्रभावी है. साथ ही हल्के या माइल्ड लक्षण वाले मरीजों को भी आयुर्वेदिक दवाएं कितनी कारगर है इस बारे में आंकड़े जुटाए जाएंगे.


अभी तक आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक हेल्थ केयर वर्कर, कन्फर्म केस के क्लोज कॉन्टैक्ट यानी परिवार और संपर्क में आए लोगों को बचाव के तौर पर हाइड्रोऑक्सी क्लोरोक्वीन दिया जा रहा है . अब सरकार अश्वगंधा भी देगी ताकि इसका क्या असर होता है ये पता लग सके. ये क्लीनिकल ट्रायल चार रिसर्च काउंसिल के जरिए होगी और देश के 25 राज्यों में 5 लाख लोगों पर होगी.


इसके अलावा कुछ लोगों को अश्वगंधा के अलावा यष्टिमधु, गुडुची व पिप्पली और आयुष-64 देकर उसके प्रभावों का भी पता लगाया जाएगा.


कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं की उपयोगिता का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय ने आइसीएमआर और सीएसआरआई के साथ मिलकर संयुक्त अभियान शुरू किया है. इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से क्लीनिकल ट्रायल कर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि आयुर्वेदिक दवा अश्वगंधा किसी व्यक्ति को कोरोना से बचाने में कितना कारगर है.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने संजीवनी नाम का ऐप लॉन्च किया है. इस ऐप के जरिए अब सरकार ये पता लगाएगी कुछ दिनों पहले शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के बारे में जो सलाह दी थी और आयुर्वेदिक दवा क्या असर होता है ये पता लगाएगी. इस ऐप के जरिए सरकार का 50 लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है, जो इस आयुर्वेदिक दवा लेने के बाद अपने अनुभवों को साझा करेंगे. हर्षवर्धन ने कहा कि नए अध्ययन से वैज्ञानिक सबूतों के साथ कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेद दवाओं की उपयोगिता को समझने में मदद मिलेगी.


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