नई दिल्ली: कोरोना संकट में प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कई बातें कही जा रही हैं.  इसी को लेकर हमने आईसीएमआर वायरोलॉजी प्रमुख, डॉ समीरन पांडा से विशेष बातचीत की .


सवाल: करोना के क्लिनिकल मैनज्मेंट में प्लाज़्मा का क्या रोल है?
जवाब: प्लाज़्मा जिसके बारे में सभी ने कहा कि ये कारगर रहेगा आईसीएमआर और एम्स को उसका एक ट्रायल करने से पता चला कि उसका नाम है प्लाएसी ट्रायल. उसमें ये पता चला कॉन्वलेसेन्स प्लाज़्मा कोई ख़ास कारगर नहीं है. इस ट्रायल का ही रिज़ल्ट ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने पब्लिश किया हैं. उसी से पता चला कि क्लिनिकल ट्रायल के रिज़ल्ट साबित नहीं हुए. उसी आधार पर मैं ये कहना चाहूंगा कि जब कोई महामारी होती है या कोई ऐसी स्थिति हो तब पता नहीं चलता की कौन सी दवाई कामयाब होगी कौन सी नहीं होगी. इसीलिए मैं सबको ये सलाह देना चाहूंगा कि आईसीएमआर का जो ट्रीटमेंट गाइड लाइन है उसी का पालन करें. तीन चार अलग अलग देशों से भी ये जानकारी निकल कर आई है कि convoscslent प्लाज़्मा को खास तरीक़े का इलाज हम नहीं मान सकते हैं. अब जो ये कालाबाजारी करने वाले हैं वो लोगों को उल्टा सीधा समझाने की कोशिश करते हैं. इसलिए ये ज़रूरी है कि क्या कामयाब हैं क्या नहीं है इसका पता हो. जो भी सलाह है वो किसी फ़िज़िशन से ही लेना चाहिए और जो आईसीएमआर की गाइडलाइंस हैं उसी में हम इंडीकेट किए हैं कि कौन सी दवाई कब लेनी चाहिए.


सवाल: लोग लगातार प्लाज़्मा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसे में प्लाज्मा के लेने से क्या नुक़सान हो रहा है?
जवाब:  नैशनल टास्क फोर्स में भी हम लोग इस विषय को लेकर चर्चा कर चुके हैं और उधर से हम क्लियर तरीक़े से ये मेसिज देंगे,  पहले भी दे चुके हैं कि कॉन्वलेसेंट प्लाज़्मा जो आप लोग दे देते हैं उससे पैसे बहुत बर्बाद होते हैं और उसका कुछ फ़ायदा साबित नहीं हुआ. इसीलिए डॉक्टर्स के लिए भी एक ऑरिएंटेशन हो जाएगा और आम आदमी के लिए आईसीएमआर गाइडलाइंस निकलती रहती है. 


सवाल: क्या नुक़सान होगा अगर किसी मरीज को चढ़ाया जाए?
जवाब: अगर नुक़सान की बात की जाए तो जो ये बाहर की चीज़ है. प्लाज्मा  उसको हम शरीर के अंदर देने की कोशिश कर रहे हैं. जो blood transfusion है. वो भी मैच्ड तरीक़े से दिया जाता है तो थोड़ा बहुत बुखार और सीरियस भी हो सकता है. सब कुछ इस बात पर डिपेंड करता है कि प्लाज्मा की किस तरह की क्वालिटी है और सबसे ज़्यादा नुक़सान उनका होता है जो अपना ज़मीन बेच के पैसा इकट्ठा करते हैं convoscalent plasma खरीदने के लिए. जो फायदेमंद  नहीं है उसके लिए पैसा खर्च कर रहे हैं. यह ठीक नहीं है.


सवाल: आईसीएमआर जल्दी ही इसको लेकर कोई मीटिंग करने वाला है ताकि इसको लेकर गाइडलाइन क्लियर कर दी जाए.
जवाब: ज़रूर, आईसीएमआर वैसे भी गाइडलाइन दे चुके हैं और इसमें सीधा-सीधा बताया गया है और ये जो ट्रायल में निकल कर आया है और ब्रिटिश जर्नल में भी है और सारे आँकड़े जो निकल कर आए  हैं उसे इकट्ठा करके हम जल्दी ही एक एडवाइजरी लाने की कोशिश करेंगे जिससे फिजिशियंस को भी सीधा-सीधा पता चल जाए और आम आदमी को भी एक ऑथेंटिक जानकारी लेने की स्थिति पैदा हो जाए.


सवाल: रेमेडिसविर और tocilzuma को लेकर भी आप स्थिति साफ करेंगे क्या,  क्योंकि लोग इन के पीछे  काफ़ी परेशान हैं.
जवाब: देखिए नैशनल टास्क फॉर्स जो है जिसमें नीति आयोग से वीके पॉल हैं. आईसीएमआर के DG बलराम भार्गव हैं. उसमें बहुत सारे एक्सपर्ट्स इकट्ठे हो जाते  हैं और बहुत सारे स्ट्रीम से वो आए हैं. ये लगातार मिलते हैं और ये जो नए एविडेंस निकल कर आते हैं उनकी छानबीन करते हैं कि ये कारगर रहेगा या नहीं इसलिए रेमेडिसविर को किस स्थिति में इस्तेमाल करना चाहिए और किस स्थिति में वो कामयाब नहीं है. ये हम सीधा-सीधा बताते हैं. तो इसलिए यह बहुत जरूरी है कि लोग ओथेंटिक सोर्स से जानकारी हासिल करें


सवाल:  लोगों को क्या आप क्या कहना चाहेंगे प्लाज़्मा को लेकर?
जवाब: दर्शकों को मैं कहना चाहूंगा कि convoscelent प्लाज़्मा के बारे में जो आप उम्मीद रखते हैं और जो क्लिनिकल ट्रायल निकल कर आए हैं न सिर्फ भारत में बाकी और देशों में भी उस आधार पर मैं ऐसा कहना चाहूंगा कि आप इसके पीछे पैसा बर्बाद मत कीजिए. फिजिशियंस की सलाह लिजिए. आईसीएमआर की वेबसाइट या किसी साइंटिफिक जर्नल से जानकारी ले लीजिए और इसमें पैसा बरबाद मत कीजिए.  


सवाल: अगर किसी को प्लाज्मा दिया जाता है तो उसे भविष्य में किसी तरह की दिक्कत हो सकती है


जवाब: वो संक्रमित है या नहीं है ये  एक एकेडमिक सवाल है. मैं डराना नहीं चाहता हूं. उसका बहुत सारा साइड इफेक्ट हो सकता है इसीलिए मैं कहना चाहता हूं कि जो चीज़ कारगर नहीं है उसके पीछे पैसे बर्बाद मत कीजिए. खुद का इलाज खुद मत कीजिए.