India Fights Corona: कोविड महामारी से लड़ाई में भारत कहां खड़ा है? चीन से कैसे अलग है देश की तैयारी
COVID-19 in India: भारत में नए वैरिएंट BF.7 के खतरे को देखते हुए रैंडम सैंपलिंग (Random Sampling) समेत कई दिशा निर्देश जारी किए गए. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सरकार तैयार दिख रही है.
Coronavirus in India: चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना से एक बार फिर दहशत का माहौल है. चीन में संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है और अस्पतालों की स्थिति बिल्कुल चरमरा गई है. चीन समेत दुनिया के दूसरे कुछ देशों में कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते मामलों के बीच भारत सरकार भी पूरी तरह से अलर्ट दिख रही है. केंद्र के साथ-साथ राज्यों की सरकारें भी कोरोना संबंधित अपनी तैयारियों को लेकर समीक्षा में जुटी हैं. कोरोना सैंपल के जीनोम सीक्वेंसिंग कराने पर ध्यान देने का निर्देश दिया गया है.
भारत में नए वैरिएंट BF.7 के खतरे को देखते हुए रैंडम सैंपलिंग (Random Sampling) समेत कई और दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. चीन में कोविड मामलों में बढ़ोतरी के साथ एक बार फिर बड़े खतरे की घंटी बज रही है, लेकिन भारत कहीं बेहतर स्थिति में लगता है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार दिख रहा है.
वैक्सीन का विकास
महामारी के करीब एक साल बाद ही वैज्ञानिक ऐसे टीके विकसित करने में कामयाब रहे, जो कोरोनावायरस के प्रभाव को कम कर सकते हैं. भारत ने भी कोरोना के शुरुआती दौर में अप्रैल 2020 में टीके विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. महामारी के डेढ़ साल से अधिक समय में देश के पास दो टीके थे. स्थानीय रूप से उत्पादित कोविशील्ड और स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सिन. अपनी आबादी को कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाने के लिए आज भारत में उपयोग के लिए 12 टीके स्वीकृत हैं.
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की Covaxin भारत की पहला स्वदेशी तौर से विकसित एंटी-कोविड वैक्सीन है. इसके अलावा, कोविड के लिए दुनिया की पहली इंट्रा-नेजल वैक्सीन भारत की ओर से विकसित की गया थी और इसे दवा नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की ओर से 18 और उससे अधिक आयु वर्ग के लिए हरी झंडी दी गई थी.
भारत का सफल वैक्सीनेशन अभियान
भारत का वैक्सीनेशन अभियान लगातार जारी है. भारत में कोविड का पहला मामला सामने आने के लगभग एक साल बाद ही देश ने जनवरी 2021 में टीकाकरण अभियान शुरू किया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने कोविड के प्रबंधन के लिए परीक्षण और टीके में निरंतर वैज्ञानिक रिसर्च की अपील की थी. 1.3 अरब की आबादी वाले देश में सभी का टीकाकरण कार्यक्रम बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य रहा. शुरुआत में खुराक का कम स्टॉक, सप्लाई चेन में बाधा और वैक्सीन से लोगों की झिझक जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. भारत नवंबर 2022 तक अपनी 88 फीसदी से अधिक वयस्क आबादी को सफलतापूर्वक टीका लगाकर एक बेंचमार्क स्थापित करने में सफल रहा.
प्रभावी Co-WIN प्लेटफॉर्म
भारत में टीकाकरण अभियान की सफलता का एक अहम कारक डिजिटल Co-WIN प्लेटफॉर्म था. इस प्लेटफॉर्म को केंद्र सरकार की ओर से विकसित किया गया. पीएम मोदी ने 16 जनवरी, 2021 को इसकी शुरुआत की. ये ऑनलाइन पोर्टल नागरिकों को कभी भी और कहीं भी वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट बुक करने में सक्षम बनाता है. Co-WIN ऐप ने अलग-अलग टाइम स्लॉट की पेशकश से लेकर टीके और टीकाकरण केंद्रों की पसंद तक सुनिश्चित किया, जिससे लोगों के लिए टीकाकरण करना काफी आसान हो गया.
कोविड प्रतिबंध और बचाव के उपाय
कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने और संबंधित बीमारियों और मौतों को कम करने के लिए वैक्सीनेशन काफी महत्वपूर्ण था, लेकिन यह भी उतना ही अहम था कि कोविड से संबंधित प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया गया और उनका पालन किया गया. पिछले तीन सालों में केंद्र और राज्य सरकारों ने नियमित रूप से संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए लॉकडाउन सहित कई प्रतिबंधों की घोषणा की थी. सूक्ष्म स्तर पर फैले संक्रमण की निगरानी के लिए कंटेनमेंट जोन बनाए गए थे. वहीं, फेस मास्क, हैंड सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग वायरस को फैलने से रोकने का हथियार बन गए. भारत ने भी यह पूरी तरह से सुनिश्चित किया कि वह इन सभी उपायों को अपनाए.
चीन में कोरोना विस्फोट की वजह?
चीन में कोरोना (China Coronavirus) विस्फोटक स्थिति में है. चीन में जीरो कोविड पॉलिसी को इतनी कड़ाई से लागू किया गया कि जनता में हाहाकार मच गया, लेकिन जैसे ही यहां कोरोना प्रतिबंधों में ढील दी गई और यहां तक कि जांच भी बंद कर दी गई, जिसके बाद यहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैला. भारत की तरह चीन ने होम क्वारंटीन सिस्टम को भी नहीं अपनाया था. ऐसा भी माना जाता है कि चीन की वैक्सीन भारत की तुलना में कम इफेक्टिव है. चीन की तुलना में भारत में वैक्सीनेशन का प्रतिशत भी अधिक है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमित लोगों के साथ जानवरों जैसे बर्ताव किया जाने लगा था, जिसकी वजह से सरकार को जनता का सहयोग नहीं मिला. इसके अलावा, भारत की तरह चीन में ओमिक्रोन को लेकर नैचुरल इम्यूनिटी विकसित नहीं हो पाई.
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