India Britain Relations While Rishi Sunak as PM: ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (British PM) बनने पर भारत (India) और भारतीय मूल (Indian Origin) के लोगों में उत्साह देखा जा रहा है लेकिन इसी के साथ यह सवाल भी मौजूद हो गया है कि अब भारत और ब्रिटेन के संबंध (India-UK Relations) कैसे होंगे? क्या भारतीय जड़ों से जुड़े सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने से भारत को फायदा होगा? आइये जानते हैं.


भारतवंशी ऋषि सुनक हिंदू और कृष्ण भक्त हैं. ब्रिटेन के इतिहास में वह पहले अश्वेत प्रधानमंत्री हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस के दिवाली उत्सव के दौरान सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने को अद्भुत और एक अभूतपूर्व मील का पत्थर बताया. जानकारों का मत है कि सुनक ब्रिटेन की सत्ता के शीर्ष पद पर पहुंचे हैं तो इसके पीछे उनकी काबिलियत और उनका पेशेवर रुख है. उन्होंने कुछ समय के लिए ही सही लेकिन ब्रिटेन का वित्तमंत्री रहते हुए अपनी क्षमता से प्रभावित किया था, इसलिए आर्थिक संकट और अस्थिरता से जूझ रहे ब्रिटेन को ऋषि सुनक में संभावनाएं दिखाई दीं. यही वजह है कि ज्यादातर टोरी सांसदों ने उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी का नेता और पीएम चुन लिया.


ऋषि सुनक का ब्रिटेन को लेकर रुख


ऋषि सुनक भी जोर देकर कह चुके हैं कि वह ब्रिटेन और इसकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दिन-रात काम करेंगे. एक मौके पर उन्होंने कहा था कि वह हिंदू हैं और भारतीय संस्कृति की विरासत रखते हैं लेकिन पूरी तरह से ब्रिटिश नागरिक हैं. इन बातों से स्पष्ट हैं कि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने हैं तो ब्रिटिश हित ही उनके लिए सर्वोपरि होंगे.


ब्रिटेन-भारत के बीच मुख्य मुद्दा


सुनक के ब्रिटिश हित साधने के लक्ष्य में भारत के साथ संबंधों पर कैसा असर पड़ेगा, यह सवाल हो सकता है. भारत और ब्रिटेन के बीच के संबंध की बात की जाए तो मुख्य मुद्दा एफटीए यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौता) का है. भारत और ब्रिटेन के बीच 2030 तक 100 अरब डॉलर के निवेश को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं. लिज ट्रस के छोटे से कार्यकाल के दौरान भी यह करार अधर लटक रहा. सुनक के पीएम चुने जाते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी तो 2030 के रोडमैप का जिक्र करना नहीं भूले. 


सुनक को बधाई संदेश में पीएम मोदी ने किया था इस डील का जिक्र


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर ऋषि सुनक के लिए बंधाई संदेश में लिखा, ''ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर आपको हार्दिक बधाई, वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने और 2030 के रोडमैप को लागू करने की मैं आशा करता हूं. जैसा कि हम अपने ऐतिहासिक संबंधों को एक आधुनिक साझेदारी में बदलते हैं, ब्रिटिश भारतीयों के सजीव सेतु को विशेष दिवाली की शुभकामनाएं.'' पीएम मोदी के ट्वीट में 2030 का रोडमैप इसी एफटीए को लेकर है. 


क्या होता है एफटीए?


एफटीए यानी मुक्त व्यापार समझौता या संधि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार सहयोगी देशों के बीच एक मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए किया जाने वाला करार होता है. यह दो प्रकार का होता है- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय. द्विपक्षीय व्यापार समझौते तब होते हैं जब दो देश उन दोनों के बीच व्यापार प्रतिबंधों को ढीला करने के लिए सहमत हो जाते हैं. इसके जरिये आम तौर पर व्यापार के अवसरों का विस्तार किया जाता है. बहुपक्षीय व्यापार समझौते तीन या इससे ज्यादा देशों के बीच होते हैं. एफटीए के जरिये व्यापार की बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए टैरिफ और ड्यूटी को निर्धारित किया जाता है. इस प्रकार इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित किया जाता है.


भारत-ब्रिटेन एफटीए की स्थिति


इस साल जनवरी में भारत और ब्रिटेन ने औपचारिक तौर पर 2030 तक 100 अरब डॉलर का निवेश बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की थी. अप्रैल में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत की. इस मौके पर पीएम मोदी और जॉनसन के बीच दिवाली तक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर बात हुई. इसी साल सात जुलाई में कंजर्वेटिव पार्टी में अंदरूनी विरोध के चलते बोरिस जॉनसन को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और भारत-ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित एफटीए पर आशंका के बादल मंडराने लगे. 


एफटीए पर हस्ताक्षर की डेडलाइन खत्म


लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनीं तो ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेम्स क्लेवरली ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर कहा पीएम चाहती हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी की रफ्तार और महत्वाकांक्षा के साथ चलें. उन्होंने ब्रिटेन और भारत के संबंध बहुत पुराने बताए और ज्यादा व्यापक और अर्थपूर्ण मुक्त व्यापार समझौता होने की इच्छा जताई. भारत-ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौते पर 24 अक्टूबर तक हस्ताक्षर होने थे लेकिन ब्रिटेन की उथल-पुथल के चलते यह संभव नहीं हो सका. सितंबर में लिज ट्रस सरकार के दौरान कार्यभार संभालने वाले ब्रिटेन के व्यापार सचिव केमी बडेनोच ने कहा कि दोनों देशों के वार्ताकार एफटीए की डेडलाइन पर ध्यान न देकर सौदे की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. अब नजरे सुनक पर टिकी हैं. 


भारत को लेकर सुनक का रुख क्या है?


मीडिया में आए सुनक के बयानों से पता चलता है कि वह भारत के साथ मुक्त व्यापार संबंध के समर्थक रहे हैं. एक अंग्रेजी अखबार से सुनक ने कहा था कि दोनों देशों में रोजगार पैदा करने और भारत के लिए अपने कंज्यूमर फाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री को लचीला बनाने के लिए ब्रिटेन, भारत के साथ एफटीए के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सुनक ने नेट जीरो एंबिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को क्लाइमेट फाइनेंस की सुविधा प्रदान करने की भी बात कही थी. उम्मीद की जा रही है कि सुनक और मोदी प्रशासन दोनों देशों के बीच लंबित एफटीए पर जल्द काम शुरू कर देंगे. 


सूत्रों की मानें तो 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक की मुलाकात हो सकती है. सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं के बीच व्यापारिक संबंधों पर भी चर्चा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. 


कैसे हैं ब्रिटेन-भारत के बीच व्यापार संबंध?


रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2021 में भारत, ब्रिटेन के लिए 15वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था जबकि भारत के लिए इस मामले में यूके 18वां सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार था. पांच वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच 75.92 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है. जिसमें 2017-18 में 14.49 अरब डॉलर, 2018-19 में 16.87 अरब डॉलर, 2019-20 में 15.45 अरब डॉलर, 2020-21 में 13.11 अरब डॉलर और 2021-22 में 16 अरब डॉलर का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ है.


किन चीजों को लेकर भारत-ब्रिटेन के बीच होता है व्यापार?


भारत और ब्रिटेन के बीच कपड़ा, मसाले, बासमती चावल, शराब, सेब, नाशपाती, भेड़ का मांस, ऑटोमोबाइल, ज्वैलरी, जूते, चमड़े के प्रोडक्ट, इंजीनियरिंग मैटेरियल, मेटल प्रोडक्ट, पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट,  परिवहन उपकरण-कलपुर्जे, मेडिकल उपकरण, फॉर्मा प्रोडक्ट, पेशेवर उपकरण,  कीमती पत्थर, अयस्क और मेटल स्क्रैप, रसायन और मशीनरी आदि चीजों को लेकर व्यापार होता है.


एफटीए पर क्या है पेंच?


भारत चाहता है कि भारतीय व्यापारियों और छात्रों को ब्रिटेन ज्यादा वीजा दे. हालांकि, ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को ब्रिटेन में बढ़ती भारतीय प्रवासियों की तादाद पर आपत्ति हैं और वह इसे लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुकी हैं. भारत ब्रिटेन के लिए कपड़े, ज्वैलरी, फूड आइटम और चमड़े का निर्यात बढ़ाना चाहता है, साथ ही इंपोर्ट ड्यूटी में रियायत चाहता है. वहीं, ब्रिटेन चाहता है कि उसकी शराब ज्यादा बिके और भारत व्हिस्की पर लगने वाली 150 फीसदी तक की इंपोर्ट ड्यूटी को कम करे. 


भारत को लेकर क्या बदल जाएगा ब्रिटेन का नजरिया?


भारत के साथ एफटीए से इतर ब्रिटेन चाहता है कि हिंद-प्रशांत आधारित बहुपक्षीय CPTPP में भी उसे  भागीदारी मिले. यह बहुपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के बीच है. 


जानकारों की मानें तो ब्रिटेन के नजरिए में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला है. उसकी विदेश नीति यूरोप, अमेरिका, रूस और चीन पर केंद्रित होगी. वह पश्चिमी खेमे से ही सख्ती से जुड़ा रहेगा और अमेरिका से उसे ज्यादा मदद की आस होगी. भारत के साथ डील करते समय वह चाहेगा कि एफटीए फाइनल हो और रक्षा और सुरक्षा सहयोग में बढ़ोतरी हो.


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