Russia-Ukraine War: जो सलूक इस वक्त रूस यूक्रेन के साथ कर रहा है, कुछ वैसा ही भारत के साथ करने का मंसूबा ना पाल सके चीन और पाकिस्तान, इसलिए भारत ने 21 महीनों के अंदर 70 हजार जवानों की ऐसी फौज तैयार कर ली है, जो चीन के अतिक्रमण का जवाब देने में पारंगत होगी. चीन के खिलाफ बनी इस स्पेशल फोर्स को चीन की सीमा से लगने वाले इलाकों में तैनात करने से पहले सिलिगुड़ी में उनका युद्धाभ्यास कराया गया, जिसने भारत के थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे शामिल रहे.
हवाई हमलों की सूरत में दुश्मन के दांत खट्टे करेगी सेना
भारत अपने पड़ोसी चीन को लेकर काफी सतर्कता बरत रहा है. इसी सतर्कता की बदौलत चीन के अतिक्रमणकारी मंसूबे पूरे नहीं हो रहे और वह भी फूंक-फूंक पर कदम बढ़ाने पर मजबूर है. चीन को इसी हाल में रखने के लिए भारत ने 'चीन स्पेशल' सैन्य टुकड़ी का युद्धाभ्यास किया, जिसमें हवाई हमलों की सूरत में दुश्मन के दांत खट्टे करने की हर चाल का परीक्षण किया गया.
आज से 21 महीने पहले पूर्वी लद्दाख के गल्वन में भारत और चीन की सेनाओं के बीच जो खूनी संघर्ष हुआ था, उसमें हमारे बीस जवाबों की कुर्बानी की वजह से 40 चीनी सैनिकों को खत्म करने की नौबत आ गई थी. इसी खूनी संघर्ष के बाद से चीन बौखलाया तो हुआ है, लेकिन दोबारा ऐसी हरकत करने से कतरा भी रहा है और उसके इसी डर को कायम रखने के लिए भारत ने जल थल नभ में चीन के खिलाफ ट्रेन्ड स्पेशल का गठन किया है.
नियंत्रण रेखा पर चुनौतियों को लेकर बेहद चौकन्ना है भारत
भारत ने ये ताजा युद्धाभ्यास सिलिगुड़ी गलियारे में किया है, जिसका मुजाहिरा खुद थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने देखा. भारतीय थल सेना 21 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में हुए हिंसक झड़प के बाद से ही 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चुनौतियों को लेकर बेहद चौकन्ना है और पूरी तरह तैयार है.
सेना का मानना है कि यूक्रेन पर जो हमला रूस ने किया, उससे हमें भी सबक लेने की जरूरत है, क्योंकि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी भी अपनी ज्यादा ताकत के गुमान में हमारी सीमाओं पर खुराफात करने का मंसूबा पाल सकती है. ऐसे में हम किसी भी सूरत में उत्तरी सीमाओं पर से अपना ध्यान नहीं हटा सकते.
आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने मथुरा की 1 स्ट्राइक कॉर्प्स के रोल और ऑपरेशनल प्लांस का आकलन किया. इस कॉर्प्स में भारी मात्रा में हथियारों से लैस करीब 70 हजार सैनिक हैं. कॉर्प्स पहले पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर तैनात था जिसे काफी ऊंची पहाड़ियों पर युद्ध में पारंगत बनाकर एलएसी पर तैनाती के लिए तैयार कर दिया गया है.
सिलिगुड़ी कॉरिडोर को खतरों से मुक्त बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है सेना
भारतीय सेना रणनीतिक रूप से संवेदनशील सिलिगुड़ी कॉरिडोर को भी खतरों से मुक्त बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. यह संकरा सा गलियारा उत्तर पूर्व के राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है. यह 2017 में सिक्किम-भूटान-तिब्बत तिराहे पर डोकलाम में चले 72 दिनों के सैन्य संघर्ष के वक्त भी सुर्खियों में आया था. भारतीय बलों ने तब पीएलए को सिलिगुड़ी कॉरिडोर से अलग जाम्फेरी रिज की तरफ अपना मोटरेबल ट्रैक का विस्तार करने की कोशिशों पर पानी फेरा था.
चीन के साथ इससे पहले भी तनाव होते थे, लेकिन तब महीने दो महीने में मामला सुलझ जाता था और पीछे हट जाया करते थे, लेकिन इस बार शी जिनपिन की अगुआई में चीनी सेना पहले से ज्यादा आक्रामक हो गई है. ऐसे में हमें अपने खतरों का हर स्तर पर आंकलन करके मुंहतोड़ जवाब देने वाली तैयारी हर पल रखने की जरूरत है. यही वजह है कि भारत ने स्वदेशी मिसाइल ब्रह्मोस का सबसे सटीक परीक्षण आज ही किया है.
ब्रह्मोस मिसाइल के सफल प्रक्षेपण के बाद भारतीय नौसेना के कहा कि हमने आईएएस चेन्नई से सुरसोनिक क्रूज मिसाइल की सटीकता का सफलता पूर्वक परीक्षण किया है. परीक्षण के दौरान मिसाइल को अपने टार्गेट पर सटीक हमला करने में सफलता मिली है. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि रूस से हमें जो एस400 एंटी मिसाइल सिस्टम मिला है उसकी तैनाती भी चीन से लगे बॉर्डर के मद्देनजर ही कर दी गई है. यही है यूक्रेन युद्ध के बीच चीन से अपनी हिफाजत का इंडियन ग्रैंड प्लान.