नई दिल्ली: पाकिस्तान ने भारत पर फॉल्स-फ्लैग ऑपरेशन का आरोप लगाते हुए अपनी सेना को एलओसी पर हाई-अलर्ट पर कर दिया है. इस साल जहां एक तरफ कोरोना महामारी के दौरान भारत का चीन से एक लंबा विवाद चला (जो चल रहा है) वहीं पाकिस्तान भी अपनी करतूतों से बाज नहीं आया और इस साल अबतक 4000 से भी ज्यादा बार युद्धविराम का उल्लंघन कर चुका है. लेकिन एलएसी पर चीन के चल रहे टकराव के बीच एलओसी पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ आखिर कैसी है भारतीय सेना की तैयारियां, ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम पहुंची एलओसी के पूंछ सेक्टर में, जहां से पाकिस्तानी सेना की पोस्ट महज़ 02 किलोमीटर की दूरी पर थी.


एबीपी न्यूज की टीम पूंछ सेक्टर पर भारतीय सेना की ऐसी चौकी पर पहुंची जिसे मिलिट्री-भाषा में 'ऑपरेशन्ली एक्टिव पोस्ट' के रूप में जाना जाता है. इसका कारण ये है कि यहां पाकिस्तानी सेना यहां हाईट्स यानि उंचाई पर है और युद्धविराम का उल्लंघन करता रहता है. पिछले छह महीने में करीब 300 बार पाकिस्तानी सेना इस सेक्टर में गोलाबारी कर चुकी है. ये सीज फायर उल्लंघन एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ कराने से लेकर भारत को उकसाने के लिए किए जाते हैं.


पाकिस्तानी सेना एलओसी पर सीजफायर के उल्लंघन के दौरान भारतीय चौकियों के साथ साथ बड़ी तादाद में सरहद पर रहने वाले भारतीय गांवों को निशाना बनाती है. पाकिस्तानी सेना की फायरिंग में गांव में रहने वाले नागरिक हताहता होते हैं. इस दौरान एबीपी न्यूज की मुलाकात एलओसी पर रहने वाले दो भाईयों से हुई जिनके मां-बाप और एक भाई की मौत इसी साल जुलाई में पाकिस्तानी गोलाबारी में हुई थी.


इसके बावजूद भारतीय सैनिकों का जोश पाकिस्तानी सेना की चौकियों से कई गुना 'हाई' है. यही वजह है कि जब भी पाकिस्तानी सेना यहां सीज़फायर का उल्लंघन करती है, भारतीय सेना इतना कड़ा जवाब देती है कि पाकिस्तान की राइफल बंद पड़ जाती हैं.


एबीपी न्यूज की टीम जब यहां पहुंची तो पता चला कि दो दिन पहले ही पाकिस्ताना सेना ने यहां गोलाबारी की थी, लेकिन पाकिस्तान की इस हिमाकत का जवाब भारत के तोपखाने ने दिया, जिसके चलते पाकिस्तानी सेना ने तुरंत गोलाबारी बंद कर दी. एबीपी न्यूज की टीम ने यहां पाकिस्तानी ओर्डिनेंस फैक्ट्री में बनी गोलियां और मोर्टार-शेल दिखाई पड़े.


एबीपी न्यूज की टीम भारतीय सेना की जिस चौकी पर पहुंची थी वो करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर थी और पीर-पंजाल पर्वत श्रृंखला पर बर्फ साफ नजर आ रही थी. रात का तापमान भी माइनस (-) में पहुंचने लगा है. लेकिन यहां के पहाड़, नदी-नाले और घने जंगल इस इलाके को बेहद संवदेनशील बनाते हैं.इस पोस्ट के सामने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि पीओके के रावलकोट का कहुता इलाका है. पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान समर्थित आतंकी यहां के 'टेरेन' का फायदा उठाने की फिराक में रहते हैं. सेना और खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस‌ सेक्टर में एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ करीब दो दर्जन टेरर-लॉन्च पैड्स सक्रिए हैं. पाकिस्तान के रिहायशी इलाकों में बने इन टेरर लॉन्च पैड्स पर आतंकी छिपे रहते हैं और मौका मिलते ही घुसपैठ की तलाश में रहते हैं.


इस‌ सेक्टर में ना केवल आतंकी घुसपैठ करने की फिराक में रहते हैं बल्कि पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम यानि बैट टीम भी यहां अपनी नापाक करतूतों को अंजाम देने की साजिश में लगी रहती है.


आपको बता दें कि पाकिस्तानी बैट टीम में पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडो और आतंकी होते हैं. ये बैट टीम्स भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला करती है. इसके लिए लैंड माइन्स (बारूदी सुरंग) या फिर आईईडी का इस्तेमाल किया जाता है. उसके बाद ये बैट टीम भारतीय सैनिकों के शवों के साथ बर्बरतापूर्ण कारवाई करती है.


इसी साल जनवरी के महीने में पाकिस्तानी बैट टीम ने एलओसी के करीब भारतीय सेना के लिए काम करने वाले पोर्टर्स पर घात लगाकर हमला कर दिया था. इन पोर्टर्स के पास कोई हथियार नहीं थे. इस हमले में भारत के दो पोर्टर्स की जान चली गई थी और एक पोर्टर की टांग कट गई थी. इनमें से एक पोर्टर का सर काटकर बैट टीम अपने साथ ले गई थी. ये सभी पोर्टर एलओसी के गांव के रहने वाले थे. उनके परिवारवालों को आज तक इस बात के लिए खून खौलता है कि पाकिस्तानी सेना ने निहत्थे नागरिकों के साथ इतनी बर्बरतापूर्ण कारवाई की थी.


लेकिन भारतीय सैनिक एलओसी के इस पूंछ सेक्टर पर पूरी तरह से ऑपरेशन्ली तैयार रहते हैं. दिन-रात सैनिकों की निगाहें बेहद चौकस रहती हैं. इन इलाकों में खास तरह की टेक्टिकल-पैट्रोलिंग होती है. इसमेअ सैनिक ट्रेन्च यानि खास तरह की खंदक में एलओसी पर गश्त करते हैं. चौकी के चारों तरफ बने बंकर्स पर सैनिक अपनी राइफल, रॉकैट लॉन्चर्स और एटीजीएम यानि एंटी-टैंक गाईडेड मिसाइल के साथ तैनात रहते हैं. जैसे ही पाकिस्तान की तरफ से कोई हरकत होती है तो भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब के लिए तैयार रहती है.


लेकिन इस बेहद ही कठिन टेरेन में सैनिकों की निगरानी के साथ साथ टेक्निकल-सर्विलांस भी की जाती है. इसके लिए एलओसी पर फैन्स यानि कटीली तार तो लगी ही है उसपर जगह जगह सीसीटीवी कैमरा लगें हैं. इनकी अलावा ड्रोन्स से भी एलओसी पर निगरानी रखी जाती है. जंगल में जगह जगह आतंकियों और बैट टीम की हरकतों पर नजर रखने के लिए पीटीजेड कैमरा लगाए गए हैं. इस पोस्ट के सर्विलांस-रूम में इन सभी कैमरों की लाइव फीड देखी जा सकती है. एबीपी न्यूज संंवाददाता ने खुद इस सर्विलांस-रूम में जाकर पूरी कारवाई देखी. हालांकि, सुरक्षा कारणों से कैमरा इस सर्विलांस-रूम में ले जाने की मनाही थी.