कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का यूपी में कितना असर, क्या बीजेपी की सीटें कम हो सकती हैं?
कर्नाटक में योगी आदित्यनाथ ने 35 रैलियां की थी, लेकिन बीजेपी को फायदा नहीं मिला. ऐसे में सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव में क्या होगा
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की है. कर्नाटक में कांग्रेस ने 135 और बीजेपी ने 66 सीटें जीतीं. यानी कांग्रेस ने 43 प्रतिशत वोट के साथ बीजेपी को पीछे छोड़ दिया. लोकसभा चुनाव नजदीक हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कर्नाटक के चुनाव को बहुत अहम मान रही थी. कर्नाटक में बीजेपी के बड़े नेताओं ने 100 से ज्यादा रैलियां और रोड शो भी किए. कर्नाटक फतह करने के लिए बीजेपी के फायर ब्रांड नेता औार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुल 35 रैलियां की थी.
साल 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुजरात, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में धुंआधार रैलियां की थी. आलाकमान का ये मानना था कि योगी के भाषणों की छाप हिन्दुओं एक समुह पर पड़ी थी. पार्टी ये मान कर चल रही थी कि कर्नाटक में भी योगी की छाप पड़ेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अब लोकसभा चुनावों के नजदीक आते ही ये सवाल उठता है कि क्या कर्नाटक में मिली हार लोकसभा चुनावों में यूपी में बीजेपी की सीटों पर कोई असर डालेगा. कहा ये भी जाता है कि 'भारत में केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुज़रता है"
2019 के लोकसभा चुनावों में यूपी में बीजेपी को मिली थी शानदार जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 303 सीटों पर रिकॉर्ड जीत हासिल की थी. इस चुनाव में सभी की नजरें यूपी के परिणामों पर थी. यूपी में बीजेपी के खाते में 62 सीटें आईं थी.
इस चुनाव में एनडीए में बीजेपी और अपना दल (एस) एक साथ मिलकर लड़े थे .यूपी की 80 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए ने जीत दर्ज की थी. एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर था. बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल (एस) को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था.
वहीं महगठबंधन (बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. इसमें बसपा को 19.43 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था. इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 6.36 वोट शेयर मिला था.
2019 लोकसभा चुनाव में यूपी में अपना दल(एस) और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी एनडीए का हिस्सा थे. बिहार में जेडीयू बीजेपी के साथ थी.
नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के साथ नागा पीपल्स फ्रंट, नेशनल पीपल्स पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसी पार्टियां एक साथ लड़ी थी. दक्षिण भारत में भी कई छोटे-छोटे दलों के साथ बीजेपी ने हाथ मिलाया था.
यूपी विधानसभा में बीजेपी ने 255 सीटों पर की थी जीत हासिल
2022 में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तरांखड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को चार राज्यो में जीत मिली थी. सिर्फ पंजाब में आम आदमी पार्टी के हिस्से जीत आई थी.
उत्तर प्रदेश में बाकी राज्यों के मुकाबले विधानसभा की सबसे ज्यादा 403 सीटें हैं. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 255 सीटों के साथ जीत हासिल की थी. वहीं, समाजवादी पार्टी 111 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी.
राज्य में वोट शेयर
2022 के चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर में 1.63 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को करीब 39.67 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जो 2022 में बढ़कर लगभग 41.29 प्रतिशत हो गया .
वहीं सपा के वोट शेयर में 10.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. सपा को पिछले चुनावों में 21.82 प्रतिशत वोट शेयर मिला था , जो 2022 में 32.06 प्रतिशत हो गया.
राष्ट्रीय लोकदल के वोट शेयर में 1.07 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी. आरएलडी को 2.85 प्रतिशत वोट शेयर मिला.
बहुजन समाज पार्टी के वोट शेयर में सबसे ज़्यादा कमी आई थी. बसपा का वोट शेयर 9.35 प्रतिशत गिरा था. पार्टी के हिस्से 12.88 प्रतिशत वोट शेयर आया है.
कांग्रेस का वोट शेयर 3.91 प्रतिशत गिरा था. 2022 के चुनाव में पार्टी 2.33 प्रतिशत वोट शेयर मिला.
यूपी में कांग्रेस कहां खड़ी है?
यूपी में 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था और वह केवल दो सीटें जीत पाई थी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के रोड शो और जनसभाओं में भारी भीड़ उमड़ रही थी, जिससे चुनावी मौसम में पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ गई थीं. लेकिन नतीजों ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था.
यूपी के नतीजों के बाद ये कहा जा रहा था कि कांग्रेस को आत्ममंथन करने की जरूरत है.जानकारों का ये कहना था कि उसे मौजूदा स्थिति पर गौर करने के लिए एक राज्य-विशिष्ट समिति नियुक्त करनी चाहिए.
अमेठी और रायबरेली दो ऐसी सीटे रही हैं जिन्हें गांधी परिवार का गढ़ माना जाता था. लेकिन 2022 विधानसभा में अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. दोनों जिलों की कुल 10 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली थी.
वहीं 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को छह सीटें मिली थीं. कांग्रेस-समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन के हिस्से चार सीटें आई हुई थीं. इनमें कांग्रेस ने रायबरेली और हरचंदपुर की सीटें जीती थीं.
इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. यूपी में यह कहा जाता था कि भले ही कांग्रेस तीन दशकों से ज्यादा समय तक प्रदेश में फेल होती रही है, लेकिन रायबरेली-अमेठी से पार्टी और गांधी परिवार हमेशा जुड़ा रहेगा.
वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने बताया कि कांग्रेस का विघटन कोई नया नहीं है. कांग्रेस को हर राज्य में अपनी हार की वजह तलाशने की जरूरत है. उत्तर भारत में कांग्रेस के पास नेता और वर्कर दोनों नहीं है. पार्टी की मजबूती के लिए कांग्रेस को वर्कर जुटाने की जरूरत पड़ेगी, जो यूपी में न के बराबर है. यूपी में कांग्रेस शुन्य पर है.
कर्नाटक चुनाव का यूपी में कितना असर
वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने बताया ' विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव के नतीजों पर पड़े, ऐसा जरूरी नहीं है. 2014 और 2019 के बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे उलट-पलट होते रहे हैं, इसके बावजूद दोनों बार केन्द्र में बीजेपी की ही सरकार बनी.
ओम प्रकाश अश्क ने आगे बताया 'कर्नाटक के नतीजों के बाद बीजेपी को एक संकेत जरूर मिला है. बीजेपी को अपने भ्रष्टाचार उन्मुलन अभियान को सिर्फ विपक्षी नेताओं तक सिमित न रखते हुए अपनी पार्टी के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ भी आवाज उठाने की जरूरत है.
बीजेपी ने अपने नेताओं के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना तो दूर उसे पूरी तरह से अनसुना कर दिया. ओम प्रकाश बताते हैं कि बीजेपी को एक परिवार एक टिकट की निति को हटाने की जरूरत है. कर्नाटक में कांग्रेस ने इस नियम को पूरी तरह से तोड़ दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि बीजेपी का कोर एजेंडा हिन्दुत्व है. मोदी से ज्यादा मुखर योगी आदित्यनाथ रहे हैं. पीएम मोदी के काम में जहां हिन्दुत्व की झलक दिखती है तो वहीं योगी के काम में अंतर दिखता है. मोदी के काम पर एकतरफा सवाल उठा दिए जाते हैं लेकिन योगी के काम पर एकतरफा सवाल नहीं उठते हैं.
इसका उदाहरण लाउडस्पीकर वाला फैसला है. योगी आदित्यनाथ ने यूपी में ये नियम बनाया कि मंदिरों और मस्जिदों दोनों में एक निश्चित वौल्युम तक ही लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाए. उपचुनाव से लेकर नगर निकाय चुनाव और विधान सभा चुनावों में भी आदित्यनाथ को लगातार सफलता मिलती रही है.
ओम प्रकाश अश्क ने बताया ' योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव में कई मुस्लमानों को टिकट दिया और वो अभी से अल्पसंख्यकों को खासतौर से मुसलमानों को साधने की कोशिश में लग गए हैं. अल्पसंख्यकों को इस बात का डर हो सकता है कि अगर लोकसभा चुनाव बीजेपी जीत जाती है तो बीजेपी अजेय मानी जाएगी और देश हिंदू राष्ट्र बन जाएगा.
इसके लिए बीजेपी को अभी से अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास पैदा करना होगा कि वो उन्हें नुकसान नहीं पहुचाएगी. ओम प्रकाश कहते हैं कि अगर ऐसे हालात बनते हैं तो भी कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में जीतना तय नहीं माना जा सकता.
कांग्रेस के लिए 10 सीटें लाना भी एक चुनौती होगी?
वरिष्ठ पत्रकार राजागोपालन कहते हैं ' कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को यकीनन ही भारी जीत मिली है. कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने ताकत दिखाई है. सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही एम.वाई.पाटिल और डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश की लड़ाई हो गई. कर्नाटक में सरकार बने एक हफ्ते का समय हुआ है और इस तरह की परिस्थितियां बहुत ही नाजुक हालात की तरफ इशारा कर रही हैं.
राजागोपालन ने आगे कहा 'लोकसभा चुनाव 6 महीने दूर है. कर्नाटक कांग्रेस में जिस तरह की परिस्थिति उभर कर आ रही है उसे देखते हुए ये कहना गलत होगा कि कांग्रेस को लोकसभा में बहुमत मिलने वाली है. राजस्थान अशोक गहलोत और सचिन पायलट का झगड़ा है, छत्तीसगढ़ में वैसी ही स्थिति बनी हुई है.
राजगोपालन आगे कहते हैं- कर्नाटक में लोकसभा चुनाव की जो 28 सीटें हैं, उसमें से कांग्रेस के लिए 10 सीटें ला पाना भी एक चुनौती होगी. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का हिंदुत्व वोटर प्लान काम कर सकता है.
यूपी का जिक्र करते हुए राजागोपालन ने कहा 'लोकसभा चुनावों के 6 महीने पहले से योगी आदित्यनाथ ने चुप्पी साध ली है. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद योगी आदित्यनाथ बहुत ही सावधानी से काम कर रहे हैं. अब देखना ये होगा कि लोकसभा चुनावों में आरएसएस, बीजेपी और पीएम मोदी, अमित शाह , राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ के बीच के रिश्ते कैसे होंगे.
राजागोपालन के मुताबिक लोकसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ 80 में से 75 सीट जीत सकते हैं. योगी आदित्यनाथ के कर्नाटक रैलियों के बाद बीजेपी की हार ये तय नहीं करती कि यूपी में योगी या बीजेपी फेल हो जाएगी.
वरिष्ठ पत्रकार ओम सैनी ने बताया कि कर्नाटक में मिली हार से हिंदुओं के मुद्दे पर राजनीति करने वाली पार्टी को संकट में डाल दिया है. कर्नाटक में बीजेपी के चुनाव प्रचार को देख कर यही लग रहा था कि कांग्रेस कहीं मौजूद ही नहीं है. अगला चुनाव राजस्थान में है और राजस्थान में अल्पसंख्यक सौहार्द पिछली बार के विधानसभा चुनाव में दिखा था. जो इस बार और मजबूत होगा.
कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी का मॉडल पूरी तरह से टूट चुका है. ओम सैनी ने कहा ' बीजेपी को अब अल्पसंख्यकों की ताकत का अंदाजा लग चुका है. अब ये हो सकता है कि बीजेपी इसी को अहम मुद्दा मान कर प्लानिंग करे.
सैनी ने आगे कहा '2024 सबकी निगाह में है. इस बार विपक्षी पार्टियों में एकजुटता दिख रही है. कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद विपक्ष की एकजुटता को बेहतर दिशा दी है. पिछली बार के लोकसभा चुनाव में विपक्ष में एकजुटता नहीं थी. ऐसे में ये उम्मीद की जा सकती है कि लोकसभा चुनाव में बीेजेपी को यूपी में सीटों पर उल्टा असर पड़ सकता है'.