(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sidhu Moose Wala Murder: कैसे गैंगस्टर बना लॉरेन्स बिश्नोई, कौन-कौन गैंग में है शामिल? जानें उसके दुश्मनों के बारे में
Lawrence Bishnoi को इस समय दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रिमांड पर लिया है लेकिन वो उससे कुछ भी उगलवा नहीं पाई है. पुलिस की पूछताछ में लॉरेंस लगातार सिद्धू की हत्या करने से इंकार कर रहा है.
Who Is Lawrence Bishnoi: सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala) मर्डर केस (Murder Case) की जांच में अभी तक पुलिस को कुछ खास हासिल नहीं हो सका है. वहीं सिद्धू की हत्या का आरोप गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) पर लग रहा है. बिश्नोई को इस समय दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रिमांड पर लिया है लेकिन वो उससे कुछ भी उगलवा नहीं पाई है. पुलिस की पूछताछ में लॉरेंस लगातार सिद्धू की हत्या करने से इंकार कर रहा है.
लॉरेंस पर आरोप है कि उसने ही सिद्धू मूसे वाले का मर्डर करवाया है. वहीं बिश्नोई का कहना है कि जब तक वह जेल में था तब तक उसके पास कोई फोन मौजूद नहीं था. वहीं उसने ये भी कहा कि सोशल मीडिया पर उसके बारे में किसने खबर पोस्ट की इसके बारे में भी उसके पास कोई भी जानकारी नहीं है.
जेल में बैरक नंबर 8 में उसकी तलाशी भी हो चुकी है लेकिन उसके पास से कोई फोन बरामद नहीं हुआ है. बिश्नोई ने घटना के पीछे अपना या अपने गैंग का नाम होने की बात सें इंकार किया है. आइए अब आपको बताते हैं कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है और उसके साथ उसकी गैंग में कौन कौन काम करता है. कौन से गैंग उसके साथ हैं और कौन सी गैंग से उसकी दुश्मनी है.
पहली बार कब गिरफ्तार हुआ था लॉरेंस बिश्नोई ?
पहली बार 2016 में पुलिस ने बिश्नोई को गिरफ्तार किया था. उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, हमला, जबरन वसूली और डकैती सहित 50 से ज्यादा मामले दर्ज है. बिश्नोई पहले राजस्थान की जेल में बंद था. लेकिन एक साल पहले मकोका के मामले में उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल लाया गया. तब से वो वहीं जेल नंबर 8 में बंद था. सिद्धू मूसे वाला की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई अब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की रिमांड पर है.
लॉरेंस का जन्म पंजाब के फाजिल्का में एक संपन्न परिवार में हुआ था. उसने डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ में पढ़ाई की. पढ़ाई के दौरान ही वो छात्र राजनीति में सक्रिय हो गया. पुलिस के मुताबिक जब बिश्नोई की पहले इलेक्शन में हार हुई तो उस पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद लॉरेंस छात्र नेता से धीरे-धीरे नामी बदमाश बन गया और उसकी गैंग का कई गैंगवार में नाम सामने आया. बता दें कि छात्र राजनीति के वक्त भी लॉरेंस कई बार फायरिंग को लेकर चर्चा में रहा. उस पर 50 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. साल 2011 में फिरोजपुर में एक फाइनेंसर के साथ लूट हुई थी, जिसमें लॉरेंस का नाम पहली बार सामने आया था. फिर छात्रनेता पर हमले को लेकर भी उसका नाम कई मामलों में सामने आ चुका है.
लॉरेंस ने किन गैंग्स से मिलाया हाथ ?
अब आपको बताते है कि आखिर कैसे बिश्नोई एक बड़ा गैंगस्टर बनता चला गया और कैसे उसने देश के अलग अलग राज्यों में अपना सिक्का जमाया. पिछले 6-7 साल में पंजाब बेस्ड गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिलाकर अपने गैंग को मजबूती दी. जठेड़ी 2020 में पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. काला जठेड़ी को कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लेडी डॉन अनुराधा के साथ गिरफ्तार किया था.
काला जठेड़ी गैंगस्टर राजकुमार उर्फ राजू बसोदी, नरेश सेठी, अनिल के साथ मिलकर लड़को को गैंग में शामिल करता था. उसने, उनसे लूटपाट, उगाही करना और अवैध शराब बेचने का काम हरियाणा में शुरू कर दिया. गैंग को और मजबूती देने के लिए लारेन्स बिश्नोई और काला जठेड़ी ने गुरुग्राम के गैंगस्टर सूबे गुजर और राजस्थान के गैंगस्टर आंनद पाल सिंह से हाथ मिलाया.
हरियाणा और राजस्थान के बाद दिल्ली में भी वो अपने गैंग का सिक्का जमाने में जुट गया. लेकिन दिल्ली में भी वह बिना किसी लोकल गैंगस्टर के बिना अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बाहरी दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी से हाथ मिला लिया.
लॉरेन्स बिश्नोई जितेन्द्र गोगी कुलदीप उर्फ फज्जा ने काला जठेड़ी के साथ मिलकर 4 साल में दिल्ली NCR में लूटपाट और विरोधी गैंग के लोगों का खात्मा शुरू कर दिया. अपने गैंग को और मजबूती देने के लिए इन्होंने पुराना फॉर्मूला अपनाया और वो फॉर्मूला था कि अपने दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना. इस फार्म्यूले पर बिश्नोई ने अपना काम शूरू कर दिया.
लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग को आगे बढ़ा रहा है ये बात दिल्ली के एक और गैंगस्टर नीरज बवाना को पता चली और नीरज बवाना ने लॉरेंस बिश्नोई का फार्मूला कॉपी कर लिया और इसी तरह नीरज बवाना ने टिल्लू ताजपुरिया गैंग से हाथ मिलाया. ताकि बिश्नोई अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके.
ये हैं बिश्नोई और उसकी गैंग के मेंबर
लॉरेंस बिश्नोई की पंजाब के एक विरोधी गैंग देवेंद्र बमबिहा से पुरानी दुश्मनी थी. बिश्नोई के पंजाब के सिंडिकेट में 200 अपराधी शामिल थे. जिनका काम उगाही, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, हत्या, हत्या की कोशिश में शामिल होना था. बिश्नोई पर खुद 50 से ज्यादा संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं. बिश्नोई को कनाडा में बैठा गोल्डी बरार और विदेश से पकड़ कर लाए गए विरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा उसके वर्चस्व को कायम करने में उसकी मदद कर रहे थे.
बिश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को आपस में हाथ मिलावने में राजस्थान के एक लोकल क्रिमिनल संपत नेहरा ने मदद की और दोनों गैंग ने जेल में रहकर मिडिएटर का काम किया और दोनों का गठजोड़ करवाया. बिश्नोई और उसके गैंग के सदस्यों को स्पेशल सेल ने मकोका, उगाही और आर्म्स एक्ट में मामला दर्ज किया और फिलहाल वो पुलिस की रिमांड पर है.
सूबे गुजर गैंग
सूबे गुर्जर गुरुग्राम का गैंगस्टर है. इसपर भी दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में कई संगीन धाराओं में मुकदमें दर्ज हैं. सूबे को गैंगस्टर कौशल का दाहिना हाथ माना जाता था लेकिन पैसों के एक झगड़े के बाद इसने कौशल के एक्सटॉर्शन रैकेट को टॉरगेट करना शुरू किया और कौशल की गिरफ्तारी के बाद उसके गैंग को टेकओवर कर लिया.
इसके बाद अपने गैंग को और मजबूत करने के लिए सूबे गुर्जर ने लॉरेंस बिश्नोई, संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिला कर गैंग का गठजोड़ किया. सूबे को मई 2021 में गिरफ्तार किया गया था फिलहाल वो इस समय हरियाणा जेल में बंद है.
संदीप उर्फ काला जठेड़ी गैंग
साल 2020 में हरियाणा पुलिस की कस्टडी से फरार होने के बाद संदीप उर्फ काला जठेड़ी ने लॉरेंस बिश्नोई, सूबे गुर्जर और राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के साथ हाथ मिला लिया. क्योंकि लॉरेंस बिश्नोई जेल में बंद था तो काला जठेड़ी पूरे गैंग को थाईलैंड में बैठे वीरेन्द्र प्रताप उर्फ काला राणा और कनाडा में बैठे सतेंद्र जीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार की मदद से चला रहा था.
हालांकि कुछ समय पहले स्पेशल सेल ने काला जठेड़ी को गिरफ्तार कर लिया और जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी ने जेल में ही उस से हाथ मिला लिया. इस तरह से गोगी की एंट्री इस गैंग में हुई. स्पेशल सेल की माने तो कुख्यात अपराधी काला जठेड़ी के ऊपर दिल्ली में 15 मुकदमे दर्ज है और दिल्ली के बाहर दूसरे राज्यों में 25 से ज्यादा मामले दर्ज है. पुलिस के मुताबिक सबसे पहले काला जठेड़ी साल 2012 में गिरफ्तार हुआ था. तब उसके ऊपर 34 मामले दर्ज थे. इतना नही नही साल 2020 में वह फरीदाबाद पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था.
जितेंद्र गोगी गैंग
जितेंद्र गोगी जुर्म की दुनिया मे अपने पार्टनर कुलदीप उर्फ फज्जा और मोई के साथ मिलकर अपना गैंग चलता था. साल 2016 में हरियाणा पुलिस की कस्टडी से फरार होकर जितेंद्र गोगी ने कुलदीप उर्फ फज्जा रोहित उर्फ मोई के साथ मिलकर कई शूटआउट किए लूटपाट की और साल 2020 में स्पेशल सेल ने गोगी को गिरफ्तार कर लिया. कुलदीप उर्फ फज्जा 2021 में पुलिस कस्टडी से फरार होकर एनकाउंटर में मारा गया और हाल ही में रोहिणी कोर्ट में जब जितेंद्र गोगी को पेश किया जा रहा था तो उस दौरान दूसरे गैंग के बदमाशों ने गोगी पर फायरिंग कर दी जिसमें वह मारा गया.
अब आपको बताते हैं लॉरेंस बिश्नोई के विरोधी गैंग मेंबर्स के बारे में
देवेंद्र बमबिहा गैंग
गैंगस्टर देवेंद्र चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला में उगाही का एक रैकेट चलाता था साल 2016 में देवेंद्र के एनकाउंटर के बाद दिलप्रीत और सुखप्रीत ने गैंग की कमान संभाली. इनके विरोध में लॉरेंस बिश्नोई ने उन व्यापारियों को धमकी भरे कॉल करने शुरू किए जो बमबिहा गैंग को प्रोटेक्शन मनी दिया करते थे.
इसके बाद से दोनों गैंग में दुश्मनी बढ़ती चली गई. बमबिहा गैंग के एक सदस्य लवी देरा को साल 2017 में बिश्नोई के कहने पर संपत नेहरा और उसके साथियों ने मार दिया. इसका बदला लेने के लिए बमबिहा ग्रुप ने बिश्नोई गैंग के मेंबर गुरलाल बरार को जोकि गोल्डी बरार का भाई था मार दिया.
नीरज बवाना गैंग
साल 2010 और 11 के बीच नीरज बवाना और नीतू दाबोदिया के बीच दिल्ली में वर्चस्व को लेकर लड़ाई शुरू हुई. नीरज बवाना और उसका साथी नवीन बाली, नीतू दाबोदिया के लिए काम करते थे लकीन बाद में नीरज बवाना और नवीन बाली ने खुद का गैंग बनाया और नीरज बवाना और नीतू दाबोदिया के बीच खूनी जंग शुरू हुई.
साल 2013 में दिल्ली पुलिस के साथ स्पेशल सेल के एनकाउंटर में नीतू दाबोदिया मारा गया, इस दौरान नीरज बवाना को नीतू दाबोदिया के गैंग पर कब्जा करने का मौका मिला, इसके बाद नीरज बवाना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक अपना मजबूत गैंग बना लिया. नीरज बवाना ने कई गैंगस्टर और लोकल बदमाशों को मौत के घाट उतारा जिसके बाद पूरे देश में नीरज बवाना के गैंग का नाम हो गया साल 2015 में स्पेशल सेल ने नीरज बवाना को बड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया.
कौशल प्रॉपर्टी डीलर का बेटा था. गैंगस्टर सुदेश उर्फ चेलु से साल 2004 में जमीन विवाद को लेकर इसने जुर्म की दुनिया मे कदम रखा. कौशल और चेलु ने एक दूसरे गैंग के 9 लोगों का खात्मा किया. हत्याओं का सिलसिला 12 दिसंबर 2006 को जाकर तब रुका जब कौशल के गैंग के सदस्यों ने चेलु को पुलिस कस्टडी में गुरुग्राम में राजीव चौक पर मार गिराया.
7 फरवरी 2016 को गुरुग्राम पुलिस ने मुंबई में संदीप गडोली का एनकाउंटर किया और बिंदर गुजर को गिरफ्तार किया तभी से कौशल एक बड़े गैंगस्टर के तौर पर उभर पाया. 2016 में कौशल ने पेरोल जंप की और फरार होकर 2019 में पकड़ा गया. इसके बाद से जेल में रहकर प्रॉपर्टी डीलर और व्यापारियों से उगाही शुरू की. फिलहाल कौशल हरियाणा की जेल में बंद है.
टिल्लू ताजपुरिया गैंग
पिछले कुछ समय से दो दोस्त जितेंद्र गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू पहलवान ने अपना गैंग बनाने की शुरुआत की और 5 साल पहले दोनों के बीच में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई. इसके बाद दोनों ने अलग-अलग गैंग बनाकर व्यापारियों से उगाही शुरू कर दी साल 2013 में स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन के दौरान एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए. उसके बाद टिल्लू ताजपुरिया ने नीरज बवाना से हाथ मिला लिया.