कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद आपकी इम्युनिटी कब तक बनी रहती है? क्या आप इसे दोबारा पा सकते हैं? इस तरह के सवाल हर किसी के जेहन में उठते हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दुनिया भर में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं COVID-19 से जुड़े कुछ ऐसे सवालों के जवाब जिनके बारे में हर किसी को जानना चाहिए.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें डॉ मारिया वान केरखोव (Dr. Maria Van Kerkhove) ने कोरोना वायरस से जुड़े कई सवालों के जवाब दिये हैं. मारिया डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 टेक्निकल की हेड हैं.
यदि आप कोरना से रिकवर हो गए हैं, तो क्या इसका मतलब है कि आप अब इस बीमारी से प्रतिरक्षित हैं? हमें समझाएं कि हमारे शरीर के अंदर क्या होता है एक बार जब हम कोरोना से ठीक हो जाते हैं?
डॉ. मारिया वान केरखोव ने जवाब देते हुए कहा,'' जब व्यक्ति SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमित होता है, वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, वे संक्रमण के कुछ सप्ताह बाद एंटीबॉडी विकसित करते हैं. जिन व्यक्तियों को गंभीर बीमारी, हल्की बीमारी और यहां तक कि एसिंप्टोमेटिक इंफेक्शन है, वे इन एंटीबॉडी का विकास करते हैं. यह देखने के लिए अध्ययन चल रहा है कि यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कितनी मजबूत है और कितने समय तक ये एंटीबॉडीज टिकते हैं. अब देखना होगा कि हम इन अध्ययनों से क्या समझते हैं. हमारे पास अभी भी पूरी तस्वीर नहीं है. कुछ अध्ययनों से पता चलता है एंटीबॉडी कई महीनों तक चलते हैं. जिसमें कुछ अध्ययनों से जानकारी मिलती है कि ये एंटीबॉडी महीने तक चले. संभवत हो सकता है इससे भी अधिक समय तक एंटीबॉडी रही हो. हमारे पास कुछ प्रूफ हैं, लेकिन ये लाइफ लॉन्ग इम्यूनिटी नहीं है."
एक बार जब आप COVID-19 से उबर जाते हैं, तो क्या आपको सावधानी बरतनी चाहिए?
डॉ. मारिया जवाब देते हुए बताया कि हां, यह महत्वपूर्ण है हर किसी को सावधानी बरतनी चाहिए. हम नहीं जानते कि इम्यून प्रतिक्रिया कितनी देर तक चलती है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें. अपने हाथ साफ रखें. सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें औऱ मास्क पहनें. हम सभी सावधानी बरतें.
क्या दोबारा कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, उस बारे में साइंस क्या कहता है?
डॉ मारिया ने जवाब देते हुए कहा कि जैसा कि यह एक नई बीमारी है, हम हर दिन SARS-CoV-2 वायरस के बारे में अधिक से अधिक सीख रहे हैं. हम जो समझते हैं वह यह है कि व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो सकता है जैसा कि अन्य वायरस में भी होता है. हम नहीं जानते कि यह कितनी बार हो रहा है, लेकिन हमारे पास ऐसे देशों से कई उदाहरण हैं, जिन्होंने व्यक्तियों के दोबारा संक्रमित होने की जानकारी दी है. क्योंकि उनके पास अच्छे लैब सिस्टम हैं. हम री-इनफेशन (re-infection) की प्रत्येक घटना के बारे में अधिक जानने की कोशिश कर रहे हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि पहले संक्रमण और दूसरे संक्रमण के समय उस व्यक्ति में एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया क्या थी? अभी भी बहुत कुछ है, हमें री-इंफेक्शन की घटनाओं के बारे में समझने की जरूरत है कि यह कितनी बार हो रहा है और व्यक्तिगत रोगी के लिए इसका क्या मतलब है? क्या दूसरा संक्रमण अधिक गंभीर या कम गंभीर है? और एंटीबॉडी प्रतिक्रिया के संदर्भ में इसका क्या मतलब है? इसलिए, अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है.
डॉ मारिया ने आगे बताया कि हमारे पास अभी भी इस वायरस के बारे में जानने के लिए बहुत कुछ है. दुनिया भर में कई वैज्ञानिक हैं जो वास्तव में इस वायरस को बेहतर ढंग से समझने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. यह मानव शरीर को कैसे संक्रमित करता है. कई ऐसे कदम हैं, जो हमें संक्रमित होने से रोक सकते हैं और अगर हम संक्रमित हैं तो इसे दूसरों को फैलाने से भी रोक सकते हैं.
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