हर साल करीब डेढ़ लाख भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं. कोई बेरोजगारी की वजह से दूसरे देश में जाकर बस जाता है तो कोई विदेश में शादी करके वहां की नागरिकता हासिल कर लेता है. विदेश मंत्रालय के अनुसार पिछले दस सालों में 15 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं. यानी इस दौरान गोवा या अरुणाचल प्रदेश की आबादी के बराबर लोग इंडियन सिटिजनशिप छोड़कर दूसरे देश की नागरिकता ले चुके हैं.
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2014 से 2023 के बीच कुल 1,04,512 लोगों ने इंडियन सिटिजनशिप छोड़ दी है. रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना काल में इंडियन सिटिजनशिप छोड़ने वालों की संख्या में कमी आई थी, लेकिन उसके बाद फिर नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है. सिर्फ 2020 ऐसा साल था, जिसमें भारत की नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या एक लाख से कम थी. बाकी नौ साल में ये आंकड़ा एक से डढे़ लाख की बीच रहा और कभी-कभी तो यह 2 लाख तक भी चला गया.
2014-2023 के बीच किस साल में कितनों ने छोड़ी भारत की नागरिकता?
2014 में 1,29,328 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी. 2015 में 1.3 लाख, 2016 में 1.4 लाख, 2018 में 1.3 लाख, 2019 में 1.4 लाख और 2020 में 85,256 लोग भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बस गए. 2021 में 1,63,370 और 2022 में सबसे ज्यादा 2,25,620 इंडियंस ने सिटिजनशिप छोड़ दी. 2023 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 2,16,219 थी.
2014 से पहले कितने भारतीयों ने छोड़ी इंडियन सिटिजनशिप?
नागरिकता छोड़ने को लेकर विवाद भी हुआ था. विपक्ष का आरोप था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सत्ता में आने के बाद से ज्यादा भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं. हालांकि, 2014 से पहले भी नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या हर साल करीब-करीब डेढ़ लाख ही थी. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2013 में 1,31,405 और 2012 में 1,20,923 लोग भारत छोड़ गए. 2011 में 1,22,819 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी.
किन देशों में जाकर बस रहे भारतीय?
भारत की नागरिकता छोड़कर इन लोगों ने 135 देशों की सिटिजनशिप हासिल की है. इनमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों से लेकर थाईलैंड, मलेशिया, पेरू, नाइजीरिया और जांबिया जैसे छोटे देश भी शामिल हैं.