हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह बताने की मांग की कि समुदाय से कितनों को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की नौकरियों सहित सरकारी नौकरियां मिली हैं?


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए तमाम कोशिशें की जाएंगी. इसके बावजूद इसे लेकर शायद ही कुछ किया गया.


ओवैसी ने मीडिया से कहा, "सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, ये सब केंद्र सरकार के अधीन आते हैं. आप (बीजेपी) पिछले चार साल से सत्ता में हैं. पीएम चीख चीखकर दावा करते हैं कि वह एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर देना चाहते हैं. तो आपने पिछले चार सालों में (मुसलमानों के लिए) क्या किया?"


उन्होंने कहा, "पिछले चार साल में केंद्रीय क्षेत्र में चाहे वह बैंक, रेलवे हों या फिर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल, कितने अल्पसंख्यकों की भर्ती की गई?" इससे पहले हैदराबाद के सांसद ने एक कार्यक्रम में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में बहुत कम मुसलमानों की मौजूदगी का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार से आंकड़े सार्वजनिक करने को कहा.


ओवैसी ने दावा किया कि राजग सरकार ने केंद्र सरकार के उपक्रमों में मुसलमानों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कुछ ठोस नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा, "सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, ये सब केंद्र सरकार के अधीन आते हैं. मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वे कृपया आंकड़े पेश करें."


ओवैसी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों से जुड़े आंकड़े पेश करने की परंपरा खत्म कर दी जो 2013 तक होता आया था. उन्होंने राजग सरकार के अधीन केंद्र सरकार की नौकरियों में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ने के अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के कथित दावे को भी खारिज कर दिया.


सांसद ने कहा कि मीडिया में आई एक खबर में दावा किया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) में एक भी मुसलमान नहीं है. जब एक मीडियाकर्मी ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भर्ती योग्यता के आधार पर होती है. ओवैसी ने कहा कि बहुलतावाद देश की पहचान है जो हर जगह दिखनी चाहिए.