नई दिल्ली: भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि 'शांति प्रगति के लिये आवश्यक है'. अगर प्रगति के लिए शांति आवश्यक है तो फिर प्रश्न यह है कि लोग युद्ध की बात क्यों करते हैं ? 1947 में जब देश अग्रेजी हुकूमत से आजाद होकर एक नया ख्वाब बुनने ही लगा था कि तभी देश को विभाजन के त्रासदी से गुजरना पड़ा. आजादी की सबसे बड़ी कीमत विभाजन के तौर पर चुकानी पड़ी. इस त्रासदी के लाखों लोग शिकार हुए, करोड़ों लोग बेघर हुए. कत्लेआम हुआ और लाखों जिंदगियां इसकी भेंट चढ़ गईं.


विभाजन ने न सिर्फ दो मुल्कों (भारत-पाकिस्तान) को भौगोलिक रूप में बांट दिया बल्कि हमेशा के लिए दिलों में इतनी नफरत भर दी जो आज तक खत्म नहीं होती दिखाई दे रही है. आज एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी है. भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव इस वक्त देश और दुनिया के लिए भी चिंता की घड़ी है.


कई लोग युद्ध के सख्त खिलाफ हैं तो कई पाकिस्तान की धरती पर पनपे आतंक के खात्में के लिए युद्ध की बात कर रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं कि आजादी के बाद भारत ने आर्थिक और समाजिक रूप से खुद को बहुत मजबूत कर लिया है लेकिन वहीं पाकिस्तान आतंक की गिरफ्त में ऐसा आया कि आज तक वह उससे नहीं निकल पाया. पाकिस्तान ने इसी आतंक का सहारा लेकर कई बार भारत के पीठ में छुरा भोंकने का काम किया है. लेकिन जब-जब उसने भारत को ललकारने की कोशिश की है भारत मां के वीर सपूतों से उसे मुंह की खानी पड़ी है. लेकिन ये भी सच है कि युद्ध कोई खेल नहीं है, बल्कि सरहद के इस पार हो कि उस पार, हज़ारों मासूम जानों की बलि चढ़ जाती है. तो आइए जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कब-कब युद्ध हुए और कितनी जानें हमेशा के लिए सुला दी गईं.


हर बार हारा पाकिस्तान


1947 से लेकर अब तक भारत-पाकिस्तान के बीच चार युद्ध हो चुके हैं और चारों ही बार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. आइए विस्तार से जानते हैं भारत और पाकिस्तान के बीच कब-कब और कितने युद्ध लड़े गए है.


1947-48 में हुआ पहला युद्ध


1947 में सबसे पहले भारत-पाक युद्ध हुआ था. इसको प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है. ये युद्ध अक्टूबर 1947 में हुआ. जब पाकिस्तान की सेना के समर्थन में हज़ारों पाकिस्तानी जनजातीय लड़ाकू कश्मीर में घुस आए और राज्य के कुछ हिस्सों पर हमला करके कब्ज़ा कर लिया. तब भारत सरकार से कश्मीर के राजा ने मदद मांगी और कश्मीर का भारत में विलय कर लिया. तब भारतीय सेना ने वहां डेरा डाला और सवा साल बाद 1 जनवरी 1949 की रात को 23:59 बजे एक औपचारिक संघर्ष-विराम घोषित हुआ. इस युद्ध में भारत को कश्मीर का कुल दो तिहाई हिस्सा यानि कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख मिला तो वही पाकिस्तान ने एक तिहाई हिस्से कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया जिसे पीओके कहा जाता है.


1965 में हुआ दूसरा युद्ध


दोनों देशों के बीच दूसरा युद्ध 1965 में हुआ. इस युद्ध में भी भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई. दरअसल 1965 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सेना भेजकर वहां भारतीय शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू करने की योजना बनाई थी. नतीजा भारत ने बड़े पैमाने पर पश्चिमी पाकिस्तान पर हमले शुरू कर दिए थे. ये युद्ध तकरीबन 17 दिनों तक चला जिसमें हजारों की तादाद में जनहानि हुई बाद में सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद युद्ध विराम हुआ. साल 1966 के पहले महीने में भारत और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने ताशकन्द  समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.


1971 में फिर खाई पाकिस्तान ने शिकस्त


1971 में भारत ने पाकिस्तान को न सिर्फ सबक सिखाया बल्कि बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र देश बना दिया. इस युद्ध को 'बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम' भी कहा जाता है. इस युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश बना. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर कर दिया था, और ढाका में पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. इस युद्ध में 90,000 से 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदी भी भारत की हिरासत में थे, जिन्हें रिहा कर दिया गया.


1999 कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को खदेड़ा


दोनों मुल्कों के बीच चौथा और आखिरी युद्ध 1999 में हुआ जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है. इस वक्त तक दोनों देश परमाणू संपन्न देश बन गए थे. इस युद्ध को भारत ने ऑपरेशन विजय नाम दिया था.


दरअसल, पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी आतंकवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूद नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय इलाकों पर कब्ज़ा करने की कोशिश की. भारतीय थलसेना और वायुसेना ने उन ठिकानों पर हमला कर दिया, जिन पर पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर लिया था, और पाकिस्तान को सीमा पार लौट जाने के लिए मजबूर कर दिया. यह युद्ध लगभग 2 महीने चला और इसमें भारतीय सेना ने उग्रवादियों और पाक सेना को खदेड़ दिया.


अब तक के चार युद्धों में दोनों देशों को हुआ भारी नुकसान


अशोक कृष्णा की किताब- 'इंडिया आर्म्ड फोर्स: फिफ्टी इयर ऑफ वार एंड पीस' के अनुसार 1947-48 के युद्ध में भारत के 1500 जवान और ऑफिसर शहीद हो गए थे. 3500 घायल हो गए और लगभग 1000 सैनिक लापता हो गए. जबकि भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के 6,000 सैनिकों को मार गिराया.


वहीं 1965 के युद्ध में भारतीय सेना के 2902 जवान शहीद हुए. 8444 घायल हुए और 359 जवान लापता हो गए थे.  इस युद्ध में भी पाकिस्तान को खासा नुकसान हुआ. इसके बाद 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने अपने बेहतरीन रणनीति के कारण कम नुकसान सहना पड़ा. इस युद्ध में भारत के 2500 सैनिक शहीद हो गए तो वहीं 3843 घायल हो गए थे. वहीं पाकिस्तान के 9,000 सैनिकों को मार गिराया. वहीं 90 हजार से ज्यादा युद्ध बंदी बनाए गए. जिन्हे बाद में भारत ने रिहा कर दिया. वहीं कारगिल युद्ध की बात करें तो सरकारी आकड़ों के मुताबिक भारत ने इस युद्ध में अपने 527 जवान खोए थे. जबकि पाकिस्तान की तरफ से 357 ज्यादा की जान गई थी.


पाकिस्तान को लेना होगा सबक


चार बार के युद्ध में परास्त होने के बाद भी पाकिस्तान युद्ध से होने वाले नुकसान के बारे में नहीं सोचता यही उसकी खामी है. पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान शांति की बात कर रहे हैं लेकिन सिर्फ शांति के बारे में बात करना पर्याप्त नहीं है. उसमे यकीन भी करना होगा और सिर्फ यकीन करना भी पर्याप्त नहीं है, उसपे काम भी करना होगा. आज पाकिस्तान को अपनी जमीन पर आतंक के बीज को खत्म करने की जरूरत है.