नई दिल्ली: तीन साल चले गठबंधन के बाद आज बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. बीजेपी की ओर से एलान के चंद मिनट बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भिजवा दिया. इस्तीफे के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमने बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था, सत्ता में रहना हमारा मकसद नहीं था. वहीं बीजेपी का कहना है कि महबूबा मुफ्ती राज्य के हालात नहीं संभाल पाईं. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में जो परिस्थिति बनी है उस पर चर्चा करने के बाद प्रधानमंत्री और अमित शाह की सलाह के बाद हमने निर्णय किया कि इस गठबंधन सरकार में आगे चलना बीजेपी के लिए संभव नहीं होगा.
आखिर महबूबा मुफ्ती से चूक कहां हो गई
इस्तीफे के बाद महबूबा भले ही बड़े मकसद की बात कह रही हों लेकिन एक बात तो साफ है कि बीजेपी को अपने साथ बनाए रखने में चूक गईं. दरअसल महबूबा मुफ्ती ने ऑल पार्टी मीटिंग के बाद रमजान के महीने में एकतरफा सीज़पायर लागू करने बात की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया. इस एक महीने में सेना ने कोई ऑपरेशन नहीं किया लेकिन केंद्र और राज्य को उम्मीद के मुताबिक नतीजे हासिल नहीं हुए. राज्य में रमजान के दौरान भी आतंकी घटनाएं और पत्थर बाजी की घटनाएं हुईं. राज्य सरकार लोगों को समझमाने में नाकाम हुई, जिसका लाभ उसे नहीं मिला.
रमजान के दौरान की इफ्तार के लिए जा रहे पत्रकार शुजात बुखारी की आतंकियों ने हत्या कर दी. इस घटना का भी बेहद गलत संदेश गया. वहीं दूसरी ओर आर्मी के जवान औरंगजेब को अगवा कर आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया. इस घटना ने कश्मीर ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.
महबूबा सरकार ने राज्य के 11 हजार पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द करवा दिया. इसके बावजूद पत्थरबाजी की घटना में कोई कमी नहीं आई उल्टे ईद के भी पत्थरबाजों ने कई जगह सेना पर पत्थरबाजी की. एफआईआर वापस लेने का महबूबा सरकार को उल्टा पड़ गया. हालात सुधरने के बजाए और भी ज्यादा बिगड़ते चले गए. जम्मू कश्मीर के कठुआ नाबालिग रेप कांड पर हिंदू मुस्लिम रंग चढ़ने से भी महबूबा सरकार की छवि को धक्का लगा.
महबूबा मुफ्ती ने पत्थरबाज को सेना की गाड़ी के आगे बांदकर गुमाने वाले मेगर लीतुल गोगोई पर के खिलाफ एफआईएर दर्ज करवाई. इससे केंद्र सरकार को नकारात्मक संदेश गया. सेना प्रमुख मेजर गोगोई के समर्थन में खड़े नजर आए.
इस्तीफे के बाद महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?
सरकार गिरने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आईं महबूबा मुफ्ती ने अपनी सरकार की उपल्धियां गिनाते हुए कहा कि यहां सख्त नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए गठबंधन नहीं किया था बल्कि बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था. उन्होंने ये भी साफ किया कि अब किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी. हालांकि इस दौरान महबूबा मुफ्ती बीजेपी पर उतनी सख्त नजर नहीं आईं.
बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया- महबूबा
सरकार गिरने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आई महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''आप सभी लोग जानते हैं कि आज बीजेपी की ओर से समर्थन वापसी के बाद अपनी इस्तीफा गवर्नर को भेज दिया है. लोगों मिजाज के खिलाफ हमने बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया, हमें कई महीने लगे आपस में तालमेल बनाने के लिए इसका बेसिक आधार जम्मू कश्मीर के लोगों में विश्वास पैदा करना, पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते था. हमने 11 नौजवानों के खिलाफ केस वापस लिए. जम्मू कश्मीर से हम दुश्मन राज्य की तहत व्यवहार नहीं कर सकते इसी लिए हमने सीजफायर करवाया, जिसका लोगों ने समर्थन किया. सालों बाद जम्मू कश्मीर के लोग इत्मिनान से रह रहे थे. जम्मू कश्मीर में बाहुबल की नीति नहीं चल सकती.''
ताकत के लिए नहीं किया गठबंधन- महबूबा
महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''हमने यह गठबंधन ताकत के लिए नहीं किया था, ताकत के लिए किया होता तो उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस हमें समर्थन देने के लिए तैयार थे लेकिन हमने बड़े मकसद से बीजेपी के साथ गठबंधन किया. हमारा एजेंडा यहां के लोगों से और पाकिस्तान से बातचीत करने का है. हमने पहले ही साफ किया था कि 370 से छेड़छाड़ नहीं होगी, हमने तीन साल इसके लिए पूरी कोशिश की, हमने अपना एजेंडा पूरी तरह निभाया.'' महबूबा मुफ्ती ने साफ किया वो किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी, इसके बाद एक बार फिर जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगना पहले से और भी ज्यादा तय हो गया है.