कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब धीरे-धीरे काफी कम हो चुका है. दूसरी लहर के दौरान पीक के वक्त जितने कोरोना के नए केस आ रहे थे, उसकी तुलना में अब करीब 85 फीसदी की गिरावट आई है. स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि हम 75 दिनों के बाद यह गिरावट देख रहे हैं, इस तरह से यह संक्रमण में समग्र गिरावट है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 7 मई को 4 लाख 14 हजार 188 नए केस आए थे, जो अब 60 हजार 471 नए मामले आए हैं. देश के 165 जिलों में 100 से ज्यादा केस आ रहे हैं. जबकि एक्टिव केस यानी जिनका इलाज चल रहा है उसमें भी भारी कमी आई है. एक्टिव केस की संख्या अब 10 लाख से कम हो गई हैं. ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है, जबकि देश में रिकवरी रेट 95.6 फीसदी हो गई है. पॉजिटिविटी दर में भी काफी कमी आई है.
पहली और दूसरी लहर बच्चों के लिए कितना खतरनाक
केन्द्र सरकार के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकर ने यह अंदेशा जताया था कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. इस बारे में लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान 1 से 10 साल के आयु-वर्ग के सिर्फ 3.28 फीसदी बच्चे संक्रमित पाए गए थे. जबकि कोरोना की दूसरी के दौरान इस उम्र के 3.05 फीसदी बच्चे संक्रमित हुए थे. जबकि, 11 से 20 आयु-वर्ग समूह के 8.03 फीसदी बच्चे कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमित हुए थे. जबकि दूसरी लहर में इस आयुवर्ग के 8.5 फीसद बच्चे संक्रमित हुए थे.
रणदीप गुलेरिया ने कहा- बच्चों पर ज्यादा असर का कोई डेटा नहीं
इससे पहले, एम्स अस्पताल के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने साफ किया था कि वैश्विक या भारतीय स्तर पर बच्चों को लेकर ऐसा कोई डेटा नहीं है कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा होगा. रणदीप गुलेरिया ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में भी जो बच्चे वायरस से संक्रमित हुए हैं वो या तो बेहद कम बीमार हुए या वो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में बच्चे कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित होंगे.
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