जानिए, देश के CDS जनरल बिपिन रावत की सैलरी कितनी है? अपनी तनख्वाह की 20 फीसदी रकम करते हैं दान
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने आपनी सैलरी का का 20 प्रतिशत हिस्सा दान करते हैं. उन्होंने पीएम-केयर्स फंड के बनने के बाद से हर महीने अपनी सैलरी से 50,000 रुपये दान दे रहे हैं. वह अप्रैल 2020 से अपनी सैलरी का एक हिस्सा पीएम-केयर्स फंड में दे रहे हैं.
नई दिल्लीः भारतीय सेना देश की आन बान शान होती है, देश की सुरक्षा के लिए जान निछावर करने का जज्बा रखने वाले सैनिकों को देश का हर वासी सलाम करता है. देश की इसी आन बान का हिस्सा हैं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस. ये तीनों सेनाओं के प्रमुखों के ऊपर होते हैं. उनका पद सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के बराबर ही फोर स्टार जनरल का होता है. देश के पहले सीडीएस बनने का सौभाग्य जनरल बिपिन रावत की झोली में आया है. जनरल रावत अपनी सैन्य जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं. यही वजह है कि जनरल रावत अपनी सैलरी की एक बड़ा हिस्सा दान कर रहे हैं.
रावत की सैलरी क्या है?
अब सवाल है कि देश की सेनाओं में सबसे बड़ा पद रखने वाले जनरल रावत यानि सीडीएस की सैलरी कितनी है? इसका जवाब जानने से पहले ये बता दूं कि सेना प्रमुखों से लेकर सीडीएस को सैलरी के अलावा काफी ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं. बंगले, गाड़ी, नौकर से लेकर अनेक स्टाफ होते हैं. एक बात जेहन में रहे कि भारत में पे-स्केल का एक लेवल होता जिसके आधार पर सैलरी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है या घर आने वाली सैलरी को कैलकुलेट किया जाता है. उदाहरण के तौर पर लेफ्टिनेंट रैंक के सेना अधिकारी की सैलरी का लेवल 10 होता है. इसी तरह से जनरल रैंक के अधिकारी का लेवल 18 होता है.
अब सैलरी की बात करते हैं. लेवल-18 सबसे बड़ा पे-स्केल होता है. इसके तहत सीडीएस की सैलरी भी तीनों सेना प्रमुखों के बराबर 2.5 लाख के करीब होती है. सुविधाएं अलग.
20 फीसदी सैलरी का दान
देश में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद केंद्र सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर लड़ने के लिए पीएम-केयर्स फंड का गठन किया था. इसमें देशवासियों से अपनी क्षमता के अनुसार दान देने की अपील की गई थी. देश की जनता ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कोरोना से लड़ने के लिए काफी मात्रा में दान दिया. जनरल रावत भी पीएम-केयर्स फंड के बनने के बाद हर महीने अपनी सैलरी से 50,000 रुपये देने की घोषणा की थी. उन्होंने एक साल तक सैलरी में से 50,000 रुपये देने के लिए वेतन और लेखा विभाग को पत्र भी लिखा था. यह योगदान उनके कुल मासिक वेतन का करीब 20 प्रतिशत है.
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