चीन और सेना पर राहुल गांधी के बयान से कितनी मुश्किल में कांग्रेस?
राहुल गांधी ने अरुणाचल के तवांग में भारतीय और चीनी सेना के बीच मुठभेड़ को लेकर केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार चीन के मुद्दे को नजरअंदाज कर रहा है.
भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर राहुल गांधी बीते 19 दिसंबर को जयपुर पहुंचे थे. वहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. इस बीच उन्होंने एक ऐसा बयान भी दे दिया, जिससे कांग्रेस नेता राहुल गांधी चौतरफा घिर गए हैं. उन्होंने कहा, 'चीनी सैनिक हमारे जवानों को अरुणाचल प्रदेश में पीट रहे हैं'.
उनके इस बयान को लेकर बीजेपी ने 'पीटना' शब्द को सेना के अपमान से जोड़ दिया है. भारत जोड़ो यात्रा के बीच राहुल गांधी की एक गंभीर छवि बनाई जा रही है. ऐसे में सवाल उठता कि क्या इस तरह का बयान कांग्रेस के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है? बीजेपी की आक्रमकता को देख कर लग रहा है कि आगामी चुनाव में भी पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी. अगर ऐसा होता है, तो क्या कांग्रेस को नुकसान होगा?
'बीजेपी को नहीं होगा खास फायदा'
कांग्रेस पर बारीक नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई एबीपी से बात करते हुए कहते हैं, 'राहुल के इस बयान को बीजेपी जरूर भुना रही है, लेकिन इसका बीजेपी को कोई बड़ा फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि चीन से तनाव खत्म नहीं हुआ है.
किदवई 'पिटाई' शब्द के इस्तेमाल पर कहते हैं- उनकी जुबान जरूर फिसली है, लेकिन उनका मकसद गलत नहीं था. वह केंद्र सरकार से सवाल पूछना चाह रहे थे कि आखिर चीन बार-बार ऐसा क्यों कह रहा है और इस पर अब तक कोई कड़ा रुख क्यों नहीं अख्तियार किया गया है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पंकज श्रीवास्तव का कहना है, 'अगर विपक्ष चीनी आक्रमण पर गंभीर सवाल नहीं पूछेगी तो कौन पूछेगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए जिस तरह चीन पर अपना प्रेम जताते रहे हैं उसे देखते हुए राहुल गांधी का सवाल उठाना बिल्कुल जायज है. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले चीनी राष्ट्रपति को बुलाया था और झूला झुलाया था. इन सबके बावजूद पहले डोकलाम, फिर गलवान और अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हमारे सेना पर हमला किया गया. ऐसे में राहुल गांधी इसपर नहीं बोलेंगे तो किस मुद्दे पर बोलेंगे'.
राहुल का बयान उन पर ही भारी?
कांग्रेस प्रवक्ता पंकज श्रीवास्तव इस पर कहते हैं- 'बीजेपी शब्दों में अटकाकर उस सवाल की गंभीरता को कम करना चाहती है. अगर उन्होंने हमला किया और राहुल ने उसे पीटना कह दिया तो उससे क्या बदल जाता है.'
श्रीवास्तव ने कहा, 'मुझे नहीं लगता राहुल गांधी ने अपने बयान में कोई भी ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया है जो असंवेदनशील और अपमानजनक हो. क्या ये सच्चाई नहीं है कि इस झड़प में हमारे जवान घायल हुए हैं. उस पीटना शब्द को आप हमला बोल दीजिए लेकिन इससे सवाल तो गलत नहीं हो जाएंगे'
1962 की घटना दिलाई याद
पंकज राहुल के बचाव में 1962 को याद करते हुए कहते हैं- हमें शब्दों से ज्यादा असलियत पर जाना चाहिए. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान दौरान संसद में बहस भी हुई थी, जहां विपक्ष ने तीखे हमले किए थे. संसद मार्ग पुलिस थाने के सामने सरकार के खिलाफ मार्च निकालने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को किसी ने "देशद्रोही" नहीं कहा.
कर्नाटक, एमपी और राजस्थान में चुनाव, नुकसान होगा?
अगले साल पहले कर्नाटक और फिर राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. क्या राहुल के इस बयान का पार्टी को वहां नुकसान होगा? इस सवाल के जवाब में किदवई कहते हैं- चुनाव में कई फैक्टर्स होते हैं, इसमें बयानबाजी भी एक है. अगर 2007 में सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर नहीं कहा होता तो क्या कांग्रेस गुजरात चुनाव जीत जाती? जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां स्थानीय मुद्दे और कैंडिडेट सिलेक्शन महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय मुद्दा ज्यादा हावी नहीं रहेगा.
राहुल ने क्या कहा था, जिस पर हंगामा मचा है?
राहुल गांधी ने अरुणाचल के तवांग में भारतीय और चीनी सेना के बीच मुठभेड़ को लेकर केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार चीन के मुद्दे को नजरअंदाज कर रहा है. राहुल गांधी ने कहा, 'तवांग मुद्दे को छिपाने की कोशिश की जा रही है. चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है, लेकिन भारत सरकार स्थिति की गंभीरता को समझे बिना गहरी नींद में है. चीन की तैयारी केवल घुसपैठ के लिए नहीं थी, बल्कि पूर्ण पैमाने पर युद्ध के लिए थी.'
राहुल गांधी ने कहा कि भारत सरकार रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए था लेकिन वह इवेंट बेस काम करती है. जहां जिओ पॉलिटिक्स की बात आती है, वहां इवेंट नहीं बल्कि ताकत काम आता है. राहुल गांधी ने आगे कहा कि चीन पर कोई सवाल नहीं पूछ रहा. उस देश ने न सिर्फ हमारे देश के 2 हजार स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया है. बल्कि हिंदुस्तान के 20 जवानों को शहीद किया. वे हमारे जवानों को अरुणाचल प्रदेश में पीट रहे हैं.
बयानों से कब-कब हुई मुश्किल
- इससे पहले भी साल 2016 में हुए उरी अटैक पर भी कांग्रेस विवादित बयान देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार चुकी है. उरी अटैक पर कांग्रेस ने कहा था ‘सरकार की गलत नीति से जितने लोग मार गए हैं, उससे आधे तो पाकिस्तानी आतंकियों ने उरी हमले में नहीं मारे थे.’
- राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चोर कहा था. उनके 'चौकीदार चोर है' जैसे शब्द का इस्तेमाल करने के बाद राहुल के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया. बाद में अपनी इस टिप्पणी पर खेद जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी.
- राहुल गांधी ने झारखंड की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' के प्रोजेक्ट को 'रेप इन इंडिया' बताया दिया था. उनके इस बयान पर लोकसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ था.
- रेप इन इंडिया बयान पर माफी मांगने से इनकार करने के बाद राहुल ने कहा मैं राहुल सावरकर नहीं राहुल गांधी हूं. सावरकर पर दिए राहुल के इस बयान ने दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक सियासत गरम कर दी थी.