लोकसभा और राज्यसभा में 92 सांसदों के निलंबन के बाद कितनी बची है विपक्ष की ताकत? समझें
Opposition MPs Suspension: राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन के पास 95 और लोकसभा में 133 सांसद है. सांसदों के निलंबन के बाद उच्च सदन में विपक्षी खेमे ने लगभग आधी और निचले सदन में एक तिहाई ताकत गंवा दी है.
Opposition Strength In Parliament: संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार (18 दिसंबर) को लोकसभा और राज्यसभा से कुल मिलाकर 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इस सत्र के दौरान अब तक निलंबित किए गए कुल सांसदों का संख्या 92 है. सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार (19 दिसंबर) से इंडिया गठबंधन संसद के शेष सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा. आखिर लोकसभा और राज्यसभा में मौजूदा सत्र से निलंबन के बाद विपक्ष की ताकत कितनी बची है, आइये जानते हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोमवार को 78 सांसदों के निलंबन के साथ ही विपक्षी गठबंधन इंडिया ने राज्यसभा में अपनी लगभग आधी और लोकसभा में एक तिहाई ताकत खो दी है. सांसदों को अनियंत्रित व्यवहार और सभापति के निर्देशों की अवहेलना के लिए निलंबित किया गया है.
राज्यसभा और लोकसभा में विपक्षी सांसद
राज्यसभा में इंडिया गठबंधन के 95 सांसद हैं, जिनमें से 45 को सोमवार को निलंबित कर दिया गया. गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह दिल्ली शराब नीति मामले पर सलाखों के पीछे हैं और पहले से ही निलंबित हैं. दूसरी ओर लोकसभा में विपक्षी खेमे के पास पास कुल 133 सांसद हैं, जिनमें से 46 या करीब एक-तिहाई निलंबित हैं. इन 46 सांसदों में सोमवार को निलंबित किए गए 33 और पहले के 13 सदस्य शामिल हैं.
विपक्ष की ओर से इन नेताओं को संभालना होगा मोर्चा
अपने अधिकांश नेताओं के निलंबन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अब राज्यसभा में गठबंधन के हमले की अगुवाई करनी होगी, वहीं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को यह कमान संभाल सकते हैं.
वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीआई-एम के फ्लोर नेता इलामारम करीम और डीएमके के फ्लोर नेता तिरुचि शिवा को भी राज्य सभा में खरगे के साथ विपक्ष का नेतृत्व करना होगा क्योंकि अन्य निलंबित हैं.
बीजेपी का आरोप- जानबूझकर संसदीय कार्यवाही को बाधित किया
विपक्षी सांसदों के निलंबन से राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. विपक्षी नेताओं ने निलंबन को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. वहीं, बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया कि ऐसा किया जाना जरूरी था क्योंकि विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति का अपमान किया. उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसद तख्तियां लेकर आए और जानबूझकर संसदीय कार्यवाही को बाधित किया, जबकि पहले यह निर्णय लिया गया था कि सदनों में तख्तियों की अनुमति नहीं दी जाएगी.
बता दें कि विपक्षी सांसद लगातार संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री के बयान और मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर हंगामा हो रहा है. विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद अब राज्यसभा में भी सरकार कोई बिल आसानी से पास करा सकती है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सोमवार को आरोप लगाया कि 'विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है!'
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