नई दिल्ली: पेट्रोलर और डीज़ल दो ऐसी चीज़ें हैं, जिनके बिना आधुनिक दुनिया की कल्पना करना मुमकिन नहीं. हर व्यक्ति इन दोनों पेट्रोलियम उत्पादों पर जाने अनजाने निर्भर है. इसके बिना अब कुछ भी संभव नहीं. इन दिनों हर ओर इस बात की चर्चा है कि कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट आ गई है. कई लोग सोच रहे हैं कि जब कच्चा तेल इतना सस्ता हो गया है तो हमारे देश में इसकी कीमत कम क्यों नहीं हो रही है.
दरअसल भारत में पेट्रोल और डीज़ल के ज़रिए केंद्र और तमाम राज्य सरकारें अपना खजाना भरने का काम करती हैं. इन उत्पादों के ज़रिए सरकारों को मोटी कमाई होती है. बता दें कि भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 85 प्रतीशत कच्चा तेल विदेशों से मंगवाता है और देश में मौजूद रिफाइनरी में तेल को रिफाइन कर के इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है.
पेट्रोल-डीज़ल पर कितना टैक्स वसूलती हैं केंद्र और राज्य सरकारें
आप जब पेट्रोल या डीज़ल खरीदते हैं तो वो आपको दोगुने से भी ज्यादा दाम में मिलता है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) की वेबसाइट के मुताबिक 16 अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइज़ यानी आधार मूल्य 27.96 रुपये था, जबकि ये पेट्रोल पंप पर 69.59 रुपये लीटर बेचा गया. यानी 41.63 रुपये अलग अलग तरह के टैक्स और चार्जेस के ज़रिए आपसे लिए गए.
एक लीटर पेट्रोल पर आपको भाड़ा व अन्य खर्च 0.32 पैसे, एक्साइज ड्यूटी 22.98 रुपये, डीलर कमीशन (औसत) 3.54 रुपये, वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) 14.79 रुपये देने पड़ते हैं.
बात डीज़ल की करें तो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड की वेबसाइट के मुताबिक 16 अप्रैल को दिल्ली में एक लीटर डीज़ल का बेस प्राइज़ 31.49 रुपये था, जिसपर 0.29 रुपये भाड़ा और अन्य खर्च, 18.83 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी, 2.49 रुपये डीलर कमीशन (औसत), 9.19 रुपये वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) लिया गया. और फिर इसका दाम 62.29 रुपये प्रति लीटर हो गया.
रिपोर्ट्स की मानें तो भारत सरकार ने साल 2014-15 और 2018-19 के बीच पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स लगाकर लगभग 10 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम कमाई की. इसके अलावा इन पेट्रोलियम उत्पादों से राज्य सरकारें भी जमकर कमाई करती हैं. राज्य सरकारों ने साल 2018-19 में पेट्रोल और डीज़ल पर वैट लगाकर 2.27 लाख करोड़ रुपये की कमाई की.