Lok Sabha Elections 2024: देश लोकसभा चुनाव 2024 की दहलीज पर खड़ा हुआ है. आने वाले कुछ वक्त में निर्वाचन आयोग (इलेक्शन कमीशन) इसकी तारीखों की घोषणा कर सकता है. इस बीच सियासी हलचल भी तेज होती दिख रही है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीटें जीतने का टारगेट रखा है. इसको लेकर पार्टी तैयारियों में भी जुट गई है.
बीजेपी को 370 और एनडीए को 400 सीटें कैसे मिलेंगी इस बात की चर्चा चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम घोषणा पत्र में चर्चा की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर्दे के पीछे किस तरह से चुनावी जंग लड़ते हैं इस पर भी बात की.
क्या कहा प्रशांत किशोर ने क्या कहा?
उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “ये न तो कोई जुमला है और न इस बात की गारंटी है कि ये मुमकिन हो जाएगा. ये चुनाव लड़ने की रणनीति का सिर्फ एक हिस्सा है. चुनाव जो है वो सिर्फ जमीन पर ही नहीं लड़ा जाता, वो दिमाग में भी लड़ा जाता है. अगर बीजेपी इस तरह का दावा कर रही है तो ऐसा वो हर चुनाव में करती है. बंगाल में भी कहा था कि 280 सीटें लेकर आएंगे.”
‘किसी नहीं पता होता कितनी सीटें आएंगीं’
पीके ने आगे कहा, “किसी भी राजनीतिक दल को पता नहीं होता है कि कितनी सीटें आने वाली हैं. अगर पता होता तो बंगाल और कर्नाटक में भी बीजेपी ने जीत का दावा किया था लेकिन क्या हुआ. खैर, ये बड़े राज्य छोड़ दीजिए. दिल्ली तो उनके नाक के नीचे है, वहां पर तो आम आदमी पार्टी को जीत मिल गई.”
पर्दे के पीछे कैसे चुनावी जंग लड़ते हैं पीएम मोदी और अमित शाह?
इस मामले पर उन्होंने कहा, “इन लोगों की खास बात ये है कि वो किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेते हैं. उनको पता भी हो कि वो जीत रहे हैं फिर भी वो हल्के में लेते. इन लोगों की कार्यशैली ये नहीं है कि जीत हो गई अब बस बैठ जाओ. वो अपनी मेहनत और प्रयास में कुछ कमी नहीं छोड़ते हैं.”
उन्होंने उदाहरण देते हुए आगे कहा, “इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि हाल ही में बिहार में वो बिहार में नीतीश कुमार को साथ लेकर आए. उनको मालूम है कि इस माहौल में उनके साथ आने से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं मिलेगा, विधानसभा के नजरिए से तो उनको नुकसान ही होगा लेकिन फिर भी वो नीतीश कुमार को क्यों लेकर आए क्योंकि वो एक साइकलॉजिकल एडवांटेज चाहते थे कि इससे इंडिया गठबंधन को झटका लगेगा.”
इसके अलावा उन्होंने कहा, “अगर किसी पार्टी को उनके सामने लड़ना है तो उनको सिर्फ विरोधी मानकर छोड़ नहीं देना है. अगर वो चुनाव लड़ रहे हैं तो ये मानकर चलिए कि वो लास्ट तक लड़ेंगे. अगर वो जीत भी रहे होंगे तो उस जीत को बड़ा बनाने के लिए लड़ेंगे. 2004 की बात की जाए तो तब लीडरशिप अलग थी और आज वो चीज बदल गई है.”
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