देश की राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों में मंगलवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसके बाद लोग दहशत में अपने घरों और इमारतों से बाहर निकल आए. गनीमत ये रही कि देश में इस भूकंप के चलते किसी तरीके के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ.


लेकिन अगर भूकंप की तीव्रता थोड़ी और होती तो यकीन मानिए दिल्ली एनसीआर में बड़ी तबाही मच सकती थी. क्योंकि यहां लाखों लोग ऐसे घरों में रहते हैं जो बड़ा भूकंप झेलने के लिए तैयार नहीं हैं. जिसके बाद सवाल ये खड़ा होता है कि क्या किसी बड़े विनाश के होने का इंतजार है? क्यों ऐसी इमारतों का सेफ्टी ऑडिट नहीं कराया जाता जो भूकंप रोधी नहीं है? क्यों नहीं सिर्फ भूकंप रोधी इमारतों का निर्माण कराया जा रहा ? क्यों नहीं टॉउन प्लानिंग में भूकंप से बचाव की चाक-चौबंद व्यवस्था हो रही है?


हालांकि इस बार इसका केंद्र पड़ोसी देश नेपाल रहा. जहां रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई. इस भूकंप के चलते नेपाल में घर गिरने से 6 लोगों की मौत भी हो गई. भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में भी भूकंप आया. 


राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक 8 नवंबर सुबह 4:37 बजे से लेकर 9 नवंबर की सुबह 6:27 बजे तक उत्तर भारत में भूकंप के 3 झटके महसूस किए गए. इसमें सबसे तेज भूकंप के झटके 8 और 9 नवंबर की रात 01:57 बजे आए. 


इसके बाद सुबह फिर से भूकंप आया, जिसका केंद्र उत्तराखंड का पिथौरागढ़ था. यहां भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई. दिल्ली-एनसीआर में जिस वक्त भूकंप आया उस वक्त लोग सो रहे थे, हालांकि जिन-जिन लोगों को पता चला वो अपने घरों से बाहर निकल आए. बता दें कि दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में आता है यानी यहां 6 से लेकर 8 तीव्रता तक वाला भूकंप आ सकता है.


सीस्मिक जोन क्या है?

अब यहां ये समझने की जरुरत है कि सीस्मिक जोन क्या है? नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक सिस्मिक जोन का मतलब भूकंप के लिए हाई रिस्क जोन हैं. ऐसे क्षेत्र जहां भूकंप आने की बहुत अधिक संभावना होती है. ऐसे जोन को सिस्मिक1, सिस्मिक 2, सिस्मिक 3, सिस्मिक 4, और सिस्मिक 5 जोन में बांटा गया है.


सबसे ज्यादा हाई रिस्क में सिस्मिक जोन 5 होता है. जहां 8 से 9 तीव्रता वाला भूकंप आने का डर रहता है. और दिल्ली को सिस्मिक 4 जोन में रखा गया है. जहां 6 से 8 तक तीव्रता तक भूकंप आने की आशंका है.


भले ही इस मंगलवार देर रात आए भूकंप से भारत में कोई नुकसान न हुआ. लेकिन धरती का ये कंपन पूरे उत्तर भारत और खासतौर से दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरे की घंटी है. क्योंकि हिमालय क्षेत्र में 6 तीव्रता से ऊपर के किसी भी भूकंप से सबसे ज्यादा तबाही इसी दिल्ली-एनसीआर में हो सकती है.


 इसकी वजह है इस क्षेत्र में बसी घनी आबादी है. दिल्ली से सटे हरियाणा, राजस्थान और यूपी के 25 ऐसे जिले हैं जो एनसीआर में आते हैं यानि कि ये जिले सिस्मिक जोन 4 में हैं. ऐसे में यहां 6 तीव्रता से ऊपर का कोई भी भूकंप कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है. और इन 25 जिलों में रहने वाली कुल आबादी 6 करोड़ 13 लाख है.


इसके साथ ही देश की राजधानी दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां पर 6 की तीव्रता वाले भूकंप आने की स्थिति हमेशा बनी रहती है, स्थिति और ज्यादा खराब इसलिए होती है क्योंकि यहां इमारते पुरानी है और आबादी घनी है.


ऐसे में अगर इतनी तेज तीव्रता वाले भूकंप देश की राजधानी या आसपास के इलाके में आते हैं तो हालात बेहद खतरनाक हो सकती हैं इसीलिए यह कहा जा सकता है कि देश की राजधानी दिल्ली इतनी तेज तीव्रता वाले भूकंप के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है.


यहां के पुराने इलाकों में आबादी इतनी बढ़ चुकी हैं कि कहीं कहीं तो इमारतें एक दूसरे से बिल्कुल सटी हुई हैं. पुरानी दिल्ली जहां सिर्फ जर्जर इमारतों का ही खतरा नहीं है बल्कि यहां रहने वालों को इस बात का भी डर सताता है कि अगर भूकंप आया तो उन्हें भागने का भी मौका तक नहीं मिलेगा.


दिल्ली में कई घर डब्बे की तरह बने हुए हैं इसलिए कहा नहीं जा सकता किस तरह की स्थिति पैदा हो सकती है. अभी एक घर में कोई निर्माण कार्य होता है तो बगल वाला घर गिर जाता है, तो सोचिए यदि इस तीव्रता वाले भूकंप के झटके आते हैं तो क्या होगा?


एक्पर्टस् की मानें तो दिल्ली को इस खतरे से बचाने के लिए एक पूलप्रूफ प्लान की जरूरत है. यानी कि धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए. किसी भी इमारत के कंस्ट्रक्शन में भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.


इतना ही नहीं राजधानी में भूकंप के खतरे को देखते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी डाली गयी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की थी कि यदि लोग ही नहीं रहेंगे तो नेता वोट किससे लेंगे?


हाईकोर्ट में बताया गया था कि बहुत सी इमारतें सिर्फ सींमेट और ईंट पर हैं. इसके अलावा दिल्ली की तरह ही एनसीआर के भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर इमारतें तेज भूकंप झेलने के लायक बनी नहीं हैं.


हालांकि नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद में बनने वाली बहुत सी इमारतों में भूकंप-रोधी नियमों का पालन किया जा रहा है. लेकिन अवैध तरीके से बनायी जा रही तमाम इमारतें भूकंप की स्थिति में बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं.