Data Security: मौजूदा वक्त सूचना क्रांति का है. इस दौर में जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार है, यही वजह है कि अब सूचना क्रांति के इस हथियार पर दुश्मन की नजर है. लेकिन आखिर कैसे दुश्मन इस तकनीकि से आपकी पर्सनल लाइफ में तांक झांक करने की कोशिश कर रहा है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे. 


दरअसल इंटरनेट पर मौजूद आपका डेटा कई तरीकों से लीक हो सकता है, कई बार कंपनियां यूजर डेटा को स्टोर करने में कोताही बरतती है. तो कई बार डेटा हासिल करने के लिए हैकर्स जानबूझकर कंपनियों के सर्वर पर अटैक करते हैं. साइबर क्रिमिनल कंप्यूटर नेटवर्क का फिजिकल या रिमोट एक्सेस लेकर डेटा चुराते हैं ऐसे क्रिमिनल डेटा चुराने के लिए कंपनी के नेटवर्क की कमियां तलाशते हैं. 



कैसे लीक होता है पर्सनल डेटा?



  • कंपनियों की लापरवाही से लीक हो सकता है डेटा

  • सर्वर पर हैकर्स का अटैक

  • फिजिकल या रिमोट एक्सेस से डेटा चोरी हो सकता है. 

  • क्रिमिनल नेटवर्क की कमियां ढूंढते हैं. 

  • कर्मचारी को मोहरा बना लेते हैं. 

  • डार्क वेब पर डेटा की बिक्री


क्या देश में डेटा चोरी को लेकर खतरा तेजी से बढ़ रहा है. इसका जवाब है हां ! सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 में साइबर क्राइम को 52 हजार 974 मामले सामने आए हैं. ये 2020 की तुलना में 5.9 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं 2020 में ऑनलाइन ठगी के 32230 मामले दर्ज किए गए. यह कुल केस का 60.8 प्रतिशत ज्यादा है. 


कैसे करें ऑनलाइन फ्राड से अपना बचाव?
हम लोग रियल वर्ल्ड में जब भी शॉपिंग करें या फिर ऑनलाइन वर्ल्ड में हम अपना डेटा लोगों के साथ नहीं शेयर करेंगे. क्योंकि यही वो हॉटस्पॉट होता है जब लोगों के डेटा के साथ खिलवाड़ हो जाता है. इसलिए हमें ऑनलाइन कॉल, ऑनलाइन मैसेज और लिंक को ओपन नहीं करना है. अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके फोन के साथ कुछ गड़बड़ होती है तो आपको साइबर क्राइम से संपर्क करने की जरूरत है.


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