नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में महिला सुरक्षा लंबे समय से विमर्श का विषय बना हुआ है. दिल्ली महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है, शायद इसलिए दिल्ली में अभी भी लगभग 1956 खतरनाक डार्क स्पॉट्स मौजूद है. साल 2016 में सेफ्टी पिन नामक एनजीओ ने एक सर्वे के द्वारा दिल्ली में लगभग 7,428 डार्क स्पॉट्स को चिहिन्त किया था. नगर निगम के मना करने के बाद दिल्ली सरकार ने इन जगहों पर स्ट्रीट लाइट लगाकर नगर निगम को हैंडओवर की जिम्मेदारी ली थी. दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 22 करोड़ का बजट पास किया था.
25 महीने से भी ज्यादा समय गुजरने के बाद भी यह प्रोजेक्ट अभी 70 प्रतिशत ही पूरा हुआ है. मतलब अभी 5,472 डार्क स्पॉट पर रोशनी की व्यवस्था की गई है जबकि 1956 डार्क स्पॉट अभी भी शाम होते ही अंधकार में डूब जाते हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से काम पूरा होने पर भी उत्तरी दिल्ली नगर निगम इन 1956 डार्क स्पॉट पर लगी स्ट्रीट लाइट की जिम्मदारी लेने के लिए तैयार नहीं है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ इंजीनियर के मुताबिक, ''इन स्ट्रीट लाइट्स के मीटर हमारे क्षेत्राधिकार में लगाए गए हैं. हम इससे पूर्व में लगाई गई स्ट्रीट लाइट्स के संबंध में तमाम तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इन लाइट्स के लगने से हमारे ऊपर और अधिक आर्थिक बोझ बढ़ेगा.''
पूरे मामले पर पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा, 'अगर अगर अधिकार क्षेत्र से जुड़ा कोई मसला था तो नगर निगम नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ही क्यों दिया था? अतीत में भी स्ट्रीट लाइट को जलाने का काम नगर निगम द्वारा ही किया जाता रहा है. दिल्ली सरकार हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए स्ट्रीट के बिल के लिए नगर निगमों को देती है.'
पीडब्लूडी द्वारा एक स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लाइट्स ज्यादातर बाहरी दिल्ली, उत्तर और पश्चिम दिल्ली में स्थित हैं. कुछ स्पॉट्स गीतांजलि एन्क्लेव, पश्चिम विहार, आश्रम रोड, नजफगढ़ रोड और निहाल विहार में भी शामिल हैं.दिल्ली की ऐसी स्थिति एक बड़ा सवाल उठाती है कि आखिर दिल्ली महिला सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है.