Success Story: सिक्योरिटी गार्ड से IIM के प्रोफेसर तक का सफर, गरीबी में जन्मे रंजीत रामचंद्रन की प्रेरणादायी कहानी जानें
गरीबी ने कई बार रंजीत की राह रोकने की कोशिश की, लेकिन दृढ़ निश्चिय और कुछ कर गुजरने के जज्बे के आगे हर मुश्किल आसान होती गई.
ये कहानी एक ऐसे शख़्स की है जिसने हालात के आगे घुटने टेकने के बजाय उन्हें बदलने के लिए मेहनत की पराकाष्ठा कर दी. कभी एक झोंपड़ीनुमा घर में रहने वाले रंजीत रामचंद्रन सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी किया करते थे. आज वे अपनी प्रतिभा और परिश्रम के बल पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एक प्रोफेसर के रूप में पहचाने जाते हैं.
एक बार पढ़ाई छोड़ने का विचार भी मन में आया था
देश के लाखों युवाओं का सपना IIM में एक छात्र के रूप में प्रवेश पाना होता है. इसी संस्थान में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जाने वाले 28 साल के रंजीत रामचंद्रन के लिए राह आसान नहीं थी. गरीबी ने कई बार रंजीत की राह रोकने की कोशिश की, लेकिन उनके दृढ़ निश्चय और कुछ कर गुजरने के जज्बे के आगे हर मुश्किल आसान होती गई. रंजीत केरल के कासरगोड जिले रहने वाले हैं. उनका संबंध अनुसूचित जनजाति के समुदाय से हैं, लेकिन रंजीत को आगे बढ़ने के लिए आरक्षण की भी आवश्यकता नहीं पड़ी. उनके पिता का नाम रवींद्रन है, जो पेशे से एक दर्जी हैं. रंजीत की मां पहले मजदूरी का काम करती थीं. रंजीत के अलावा परिवार में एक भाई और बहन भी है. आर्थिक रूप से कमजोर हालत से जूझते हुए एक समय ऐसा भी आ गया था जब परिवार की जिम्मेदारियों के चलते रंजीत ने पढ़ाई छोड़ने का मन बना लिया था. उन्हें अपने छोटे भाई और बहन के लिए भी पढ़ाई का खर्च निकालना था. इन्हीं दिनों उन्हें बीएसएनएल के कार्यालय में नाइट गार्ड की नौकरी मिल गई. रंजीत को तनख्वाह के रूप में 4,000 रूपए मिला करते थे. रात को रंजीत पढ़ाई किया करते थे, जबकि दिन में वे राजापुरम के एक्स्थ कॉलेज में अर्थशास्त्र की पढ़ाई किया करते थे.
रंजीत के संघर्ष से हालत से लड़ने की प्रेरणा लें विद्यार्थी
बाद में उन्होंने आईआईटी, मद्रास में एडमिशन लिया. यहां भी उनकी राह आसान नहीं थी. एक समय उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला कर लिया था. लेकिन संस्थान के ही परिसर में रहने वाले उनके मार्गदर्शक डॉ सुभाष शशिधर और उनकी पत्नी वैदेही ने उन्हें हौसला दिया. डॉ सुभाष के सहयोग से रंजीत को नई ताकत मिली और 2016 में उन्होंने यहां से पीएचडी की उपाधि हासिल करने में सफलता पाई. रंजीत बेंगलुरू की क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत् है. हाल ही में उनका चयन आईआईएम, रांची में प्रोफेसर के रूप में हुआ है. रंजीत ने सोशल मीडिया पर अपने गांव के झुग्गीनुमा घर की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है- “आईआईएम के प्रोफेसर का जन्म इसी घर में हुआ है.” रंजीत का मकसद है कि उनके संघर्ष की कहानी को जानकर ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी युवा परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा लें.
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