रजनीकांत के राजनीति छोड़ने पर कमल हासन ने निराशा जताई है. कमल हासन ने कहा कि वह चुनाव प्रचार के बाद उनसे मिलेंगे. उन्होने कहा- उनके फैन्स की तरह मुझे भी निराशा हुई लेकिन उनका स्वास्थ्य मेरे लिए महत्वपूर्ण है. राजनीकांत ने इस बात का ऐलान किया है कि वे स्वास्थ्य कारणों और महामारी के चलते वे आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे. तमिल सुपर स्टार को तीन दिन पहले ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पहले की तरह ‘आध्यात्मिक’ बयान देते हुए 71 वर्षीय स्टार ने कहा कि उनका यह फैसला भगवान का फैसला है. उन्होंने कहा- मैं इसे (अस्पताल में भर्ती) को एक चेतावनी के तौर पर लेता हूं जो भगवान ने मुझे दी है. मेरे चुनावी अभियान का महामारी के बीच मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.
करीब दो दशक से उनकी राजनीति में आने को लेकर कयासबाजी और दिसंबर 2017 में उनकी तरफ से राजनीति में आने के ऐलान के बाद उन्होंने इस महीने की शुरुआत में पार्टी की लाउंचिंग और उसके भविष्य के बारे में लोगों के सामने घोषणा की थी. लेकिन, मंगलवार को उन्होंने कहा कि वह अपनी सभी राजनीतिक योजनाओं को रद्द कर रहे हैं.
रजनीकांत का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब दो दिन बाद वह 2021 के जनवरी पार्टी की लाउंचिंग की तारीख का ऐलान करने वाले थे. तमिलनाडु में 2021 के मई में चुनाव हो सकता है. उनका यह ताजा फैसला उस वक्त आया है जब उनकी बन रही फिल्म अन्नात्थे के कुछ क्रू सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और राजनीकांत को हैदराबाद स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
रजनीकांत के कई फैन्स इस बात को लेकर सहमत हो सकते हैं कि महामारी के बीच उनकी स्वास्थ्य स्थिति उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रही है कि वे राजनीतिक में एंट्री करें. लेकिन, लोगों का एक ऐसा धड़ा भी है जो यह चाहता है कि रजनीकांत राजनीति में आएं जैसे कि अन्य राजनेता विधानसभा चुनाव से पहले जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. उनकी एंट्री को बीजेपी के लिए जरूरी माना जा रहा था ताकि द्रविड़ विरोध राज्य में मोर्चा बने क्योंकि सुपरस्टार को राष्ट्रवादी और आध्यात्मिक विचार रखते हैं.
रजनीकांत ने मंगलवार को राजनीति में एंट्री ना करने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 महामारी और उनकी अपनी स्वास्थ्य स्थिति बताई. हालांकि, रजनीकांत के सामने यह स्वास्थ्य का जोखिम उस वक्त भी था जब उन्होंने दिसंबर 2017 में और फिर इस महीने के शुरुआत में राजनीति को लेकर ऐलान किया था. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ब्लड प्रेशर में मामूली उतार-चढ़ाव के चलते उन्होंने राजनीति को लेकर अपना विचार बदला है? उनके आलोचक और कई सोशल मीडिया यूजर्स मानते हैं कि उन्होंने ऐसा रणनीतिक फैसला नई दिल्ली में सत्ता केन्द्रों के साथ विचार के बाद लिया है.
तमिलनाडु जहां पर डीएमके और एआईएडीएमके सत्ता की दो धुरी हैं, वहां पर रजनीतिकांत की राजनीति में एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता था. हालांकि, कमल हासन पार्टी बनाकर चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन, रजनीकांत की गैर-मौजूदगी में राज्य में मुकाबला दो सत्ता के केन्द्र सत्ताधारी एआईडीएमके और शक्तिशाली विपक्षी दल डीएमके ( जो करीब एक दशक से सत्ता से बाहर है) के बीच ही रह गया है. हालांकि, सीएम ई.के. पलानीस्वामी के पिछले चार वर्षों के दौरान अच्छे काम के बावजूद कई चीजें डीएमके के पक्ष में ही जाएगी.
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