नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद जिस तरीके से देशभर में लाखों, करोड़ों के नए नोट पकड़े जा रहे हैं उससे सवाल उठ रहे हैं कि जो पैसे आम लोगों को मिलने चाहिए थे वो चंद लोगों के पास कैसे पहुंच रहे हैं. वो कौन लौग हैं जो देश की जनता का हक मारकर नए नोटों को कालेधन के कुबेरों तक पहुंचा रहे हैं.


आइये पढ़ें इस पर एबीपी न्यूज़ की खास रिपोर्ट.


नोटबंदी के बाद नए नोटो के रूप में आम जनता का हक आखिर कुछ लोगो के पास तक कैसे पहुंच रहा है इस मामले की जांच शुरू हो गई है सीबीआई और ईडी ने इसे लेकर जांच शुरू कर दी है उधर दिल्ली पुलिस ने लाखों रुपयो के नए नोटों की बरामदगी को लेकर चार मुकदमें आज दर्ज कर लिए और जांच शुरू कर दी है.

दिल्ली पुलिस ने जो चार मुकदमें दर्ज किए हैं उसमें वकील रोहित टंडन के लॉ फर्म से बरामद 13 करोड़ 65 लाख रुपये का मामला भी शामिल है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रोहित टंडन के दफ्तर से पुलिस और इनकम टैक्स की टीम को दो करोड़ 61 लाख रुपये के नए नोट भी मिले थे. इसके अलावा निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से बरामद हुए 27 लाख रुपये और छावला और करोलबाग से बरामद हुए नए नोटों को लेकर भी मामला दर्ज किया गया है.

सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि वकील रोहित टंडन के यहां से जो नए नोट बरामद हुए उसमें नए नोटो की कई गड्डियां शामिल हैं ऐसे में जांच एजेंसियों को शक है कि कहीं ये नोट सीधे किसी बैंक चेस्ट से तो नही निकाले गए इस बारे में एक प्राइवेट बैंक कर्मी की भूमिका की जांच की जा रही है उधर चेन्नई बैंगलोर और महाराष्ट्र में जो बड़ी बरामदगियां हुई हैं उनमें भी कुछ बैंको के चेस्टों की जांच की जा रही है.

आइए हम आपको बताते हैं कि छपाई के बाद नए नोट आप तक पहुंचे कैसे हैं?
प्रिटिंग प्रेस में छपाई के बाद रिजर्व बैंक के चेस्ट से नए नोट प्राइवेट और सरकारी बैंकों के चेस्ट तक पहुचंते हैं, उसके बाद इन्हें बैंक की शाखाओं में भेजा जाता है.

सूत्रों के मुताबिक अबतक जो नोट पकड़े गए हैं उनकी जांच के दौरान पता चला है कि कई बैंको में मैनजरों और दूसरे कर्मचारियों की मिलीभगत से ये नोट कुछ लोगों तक पहुंचे, मसलन दिल्ली के एक्सिस बैंक के मैनजरों ने पूछताछ के दौरान माना कि दस लाख के नए नोट चार लोगों को दिए गए थे,  इसके अलावा बेंगलूरु चेन्नई और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जो नए नोट मिले हैं वो भी बैंककर्मियों की मिलीभगत से कालेधन को सफेद करनेवालों तक पहुंचे. सीबीआई ने इस बारे में बाकायदा चार बैकों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए हैं.


इसके अलावा ईडी यानि इन्फोरसमेंट डारेक्ट्रेट ने अपनी जांच के दौरान पाया कि कुछ लोगों तक ये नए नोट पहुंचने के दो रास्ते और थे ईडी ने बाकायदा अपनी जांच मे इस बात का उल्लेख किया है.


सूत्रों के मुताबिक ईडी की भी जांच में पता चला है कि बैंकों से एक हफ्ते में 24 हजार रुपये निकालने की सीमा में ही हेराफेरी कर नए नोट बाहर निकाले गए हैं. इसके अलावा बैंकों में मिली नोटबदली की छूट का भी भरपूर फायदा उठाया गया जबकि चेस्टों की भूमिका की जांच जारी है.

जांच से जुडे एक आला अधिकारी ने कहा कि जब कहीं एक साथ सीरिज वाली नयी गड्डी बरामद होती है तो सीधा शक चेस्टों पर ही जाता है पूरे देश में जहां से भी ऐसी नयी गड्डिया बरामद हुई है उन के सीरियल नबंरों की बाबत जांच की जा रही है कि आखिर ये किस-किस चेस्ट के लिए अलॉट की गयी थी और उम्मीद है कि जल्द ही एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश भी होगा.