सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है. जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं. कार्मिक मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, सुबोध कुमार जायसवाल दो साल तक सीबीआई डायरेक्टर के पद पर रहेंगे. वर्तमान में जायसवाल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक हैं. हालांकि इससे पहले जायसवाल ने कभी भी सीबीआई में अपनी सेवा नहीं दी हैं.
सीबीआई प्रमुख के पद की इस रेस में जायसवाल से पहले एनआईए के चीफ वाईसी मोदी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड राकेश अस्थाना का नाम सबसे आगे था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की एक रूलिंग के आधार पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस मामलें में दखल दिया जिसके चलते वाईसी मोदी और अस्थाना इस रेस से बाहर हो गए और जायसवाल को सीबीआई के नए प्रमुख के पद पर नियुक्ति मिली.
इस आधार पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने दिया दखल
नए सीबीआई प्रमुख के चयन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था. इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीजेआई एनवी रमना और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल थे. इस समिति ने सोमवार को सुबोध कुमार जायसवाल, केआर चंद्रा और और वीएसके कौमुदी का नाम शॉर्टलिस्ट किया था. हालांकि इस लिस्ट के लिए वाईसी मोदी और अस्थाना की संभावना को खारिज कर दिया गया जबकि वो पहले इस पद के प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे.
सीजेआई रमना ने चयन प्रक्रिया के दौरान उत्तर प्रदेश के डीजीपी के चयन को लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए सीबीआई प्रमुख के पद के लिए वाईसी मोदी और अस्थाना की संभावना को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे किसी भी अधिकारी को किसी विभाग के प्रमुख के पद पर नियुक्त ना किया जाए जिसके वर्तमान पद से रिटायरमेंट के छह महीने से भी कम का समय बचा हो. वाईसी मोदी और अस्थाना दोनों ही के वर्तमान पद से रिटायरमेंट के छह महीने से भी कम का समय बचा है.
अधीर रंजन चौधरी ने चयन प्रक्रिया पर उठाए सवाल
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आपत्ति जाहिर की. कांग्रेस नेता ने एक नोट जारी करते हुए कहा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने अंतिम समय में 109 उम्मीदवारों की लिस्ट में से 16 नाम शॉर्टलिस्ट किए थे. हालांकि उन्हें केवल चुनिंदा नामों को चुनने और उन्हें आगे बढ़ाने का वैधानिक अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि DoPT जानबूझकर इस चयन के लिए चुनी गयी उच्च स्तरीय समिति के काम को प्रभावित कर रही है.
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