कोरोना संकट के बीच छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहन देने के मकसद से केंद्र सरकार ने शिशु मुद्रा लोन पर दो फीसदी छूट देने का ऐलान किया है. अगर आप अपना व्यापार शुरू करने या व्यापार बढ़ाने की सोच रहे हैं तो सरकार की इस योजना का फायदा उठा सकते हैं. शिशु मुद्रा लोन योजना के तहत 50 हजार रुपये तक का कर्ज ले सकते हैं. तीन करोड़ लोग 12 महीने तक ब्याज दर में दो फीसदी की छूट का फायदा उठा सकते हैं. 1500 करोड़ रुपये का ब्याज सरकार भरेगी.

क्या है मुद्रा लोन योजना का मकसद?
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2015 को मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का मकसद व्यापारियों को आसानी से लोन की सुविधा उपलब्ध कराना है. आमतौर पर एक व्यापारी को बैंक से लोन लेने के लिए काफी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है. गांरटी भी देनी पड़ती है. इस वजह से व्यापारी चाहकर भी बैंक से लोन लेने में कतराते थे, लेकिन सरकार की मुद्रा योजना (PMMY) के तहत आसानी से बिना गारंटी के लोन ले सकते हैं.

मुद्रा योजना में तीन तरह के लोन दिए जाते हैं. इसके तहत 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख तक का लोन मिल सकता है-

  • शिशु लोन- 50,000 रुपये तक

  • किशोर लोन- 50,000 से 5 लाख रुपये तक

  • तरुण लोन- 5 लाख से 10 लाख रुपये तक


मुद्रा योजना की कोई निश्चित ब्याज दर नहीं हैं. अलग-अलग बैंक अलग ब्याज दर वसूल सकते हैं. आमतौर पर ये ब्याज दर 11-12 फीसदी होती है. अब शिशु मुद्रा लोन पर दो फीसदी की छूट मिलेगी.

कौन और कैसे मुद्रा योजना का फायदा उठा सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो व्यापार शुरू करना चाहता है या अपने व्यापार को आगे बढ़ाना चाहता है, मुद्रा योजना का फायदा उठा सकता है. अधिकतम 10 लाख रुपये तक का कर्जा आसानी से लिया जा सकता है. अपने नजदीकी बैंक ब्रांच में जाकर मुद्रा लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. आवेदन के समय व्यापार से जुड़ी जानकारी, आधार कार्ड, पैन नंबर इत्यादि कागजात देने होते हैं.

बैंक का ब्रांच मैनेजर आपसे कामकाज से बारे में जानकारी लेता है. उस आधार पर आपको PMMY लोन मंजूर करता है. कामकाज की प्रकृति के हिसाब से बैंक मैनेजर आपसे एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाने के लिए कह सकता है. अधिक जानकारी के मुद्रा योजना की आधिकारिक वेबसाइट (https://www.mudra.org.in/) पर जा सकते हैं.

2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रा योजना के तहत 5,83,65,823 लोगों को 323,573 करोड़ रुपये के लोन की स्वीकृति दी गई है. इसमें से 316,099 करोड़ रुपये लोगों को दिए जा चुके हैं.

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