सलेम की सजा की तामील कैसे हो, यह सरकार तय करे: टाडा अदालत
पुर्तगाल में वर्ष 2002 को गिरफ्तार किए गए सलेम को साल 2005 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था. उसका तर्क है कि दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती.
मुंबई: गैंगस्टर अबु सलेम को वर्ष 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में उम्र कैद की सजा सुनाते हुए आतंकवाद एवं विध्वंसक गतिविधि ( रोकथाम ) कानून के मामलों की अदालत ने कहा कि सजा की तामील कैसे होगी, यह केंद्र सरकार को तय करना है.
पुर्तगाल में वर्ष 2002 को गिरफ्तार किए गए सलेम को साल 2005 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था. उसका तर्क है कि दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती.
बहरहाल, सलेम को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए टाडा अदालत के न्यायाधीश जी ए सनप ने कल कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका की भूमिकाएं संविधान द्वारा अलग की गई हैं और सजा सुनाना तथा उसकी तामील करना अलग अलग पहलू हैं.
उन्होंने कहा कि एक बार जब अदालत द्वारा सजा सुना दी जाती है तो फिर उसका कार्यान्वयन कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आ जाता है.
न्यायाधीश ने अपनी व्यवस्था में कहा ‘‘केंद्र सरकार, पुर्तगाल में दिए गए आश्वासन के तहत सजा की तामील को लेकर अपने विवेक से अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगी. ’’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर सलेम विचाराधीन कैदी के तौर पर जेल में बिताए गए समय के लिए कोई छूट पाता है तो यह अवधि वर्ष 2005 से गिनी जानी चाहिए न कि वर्ष 2002 से , जैसी की उसने पुर्तगाल में पकड़े जाने के समय मांग की थी.