कोरोना महामारी की दूसरी लहर को कैसे रोका जाए? जानिए AIIMS चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया ने क्या कहा
एम्स चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'वैक्सीनेशन कोविड को कंट्रोल करने का एक माध्यम है लेकिन ये एक मैजिक बुलेट नहीं है. क्योंकि वैक्सीन का असर आने में 4-6 हफ्ते लगेंगे.'
नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर पहले से भी ज्यादा भयानक है. इससे बचने के लिए क्या उपाय करना चाहिए, क्या वैक्सीन लगाने के बाद हम संक्रमण से बच सकते हैं? इसपर एबीपी न्यूज ने एम्स चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया से खास बातचीत की. डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना केस दोबारा बढ़ रहे हैं, उन्हें कोरोना नियमों का पालन करना होगा.
एम्स चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, कोरोना केस बढ़ने के कई कारण हैं. एक अहम कारण ये है कि जब कोरोना केस कम हुए थे और वैक्सीन लगना शुरू हुई थी तो बहुत लोगों ने ये सोचा कि कोविड अब खत्म हो गया है, मास्क लगाने की जरूरत नहीं है, सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं है. उन्होंने पार्टियां करना शुरू कर दी. लेकिन वायरस कहीं गया नहीं था, वायरस यहीं था. इस बीच दुनिया में कई नए वैरिएंट भी आ गए. इसी वजह से एकदम केस बढ़ने लगे. मेरा मानना है कि हमारी वजह से ढील रही है.
कोरोना रोकने का सक्षम उपाय डॉ गुलेरिया ने कहा, 'कोरोना को रोकने के लिए कई काम साथ-साथ करने होंगे. एक तरफ सख्ती करनी होगी कि सभी लोग नियमों का पालन करें. दूसरी ओर पहले की तरह संक्रमितों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को आइसोलेट करना होगा. ज्यादा केस वाले एरिया को कंटेंमेंट जोन बनाना होगा. उस एरिया में एक टाइम का लॉकडाउन लगा सकते हैं ताकि वहां से कोई बाहर न जा पाए. उस एरिया के सभी लोगों का टेस्ट भी होना चाहिए. इसके साथ-साथ वैक्सीनेशन भी बढ़ाने की जरूरत है. लोगों को भी बाहर जाना कम करना होगा. तभी हमारे केस कम हो पाएंगे.'
"वैक्सीनेशन कोई मैजिक बुलेट नहीं है" एम्स चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, वैक्सीनेशन कोविड को कंट्रोल करने का एक माध्यम है लेकिन ये एक मैजिक बुलेट नहीं है. क्योंकि वैक्सीन का असर आने में 4-6 हफ्ते लगेंगे. दूसरे टीके के दो हफ्ते बाद ही प्रोटेक्शन मिलेगा. दूसरा वैक्सीन हमें बीमारी से बचाएगी संक्रमण से नहीं. मतलब टीका लगाने के बाद सीरियस बीमारी नहीं होगी, हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा, मृत्यु होने का डर कम है. लेकिन हम खुद संक्रमित हो सकते हैं और दूसरों को भी फैला सकते हैं.
डॉ गुलेरिया ने आगे कहा, 'ट्रायल में भी वैक्सीन का प्रभाव 70-80 फीसदी लोगों पर ही हुआ था. मतलब 20 से 30 फीसदी लोग वैक्सीन से प्रोटेक्टिड नहीं होंगे. वैक्सीन के साथ-साथ सावधानी बहुत जरूरी है.'
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