(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Explained: जरूरी दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची एनएलईएम-2022, कैसे लगती है कीमतों पर लगाम, जानें सबकुछ यहां
List of Essential Medicines: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में 7 साल के बाद संशोधित जरूरी दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची- एनएलईएम-2022 जारी की है. इसमें से पुरानी 26 दवाओं को बाहर किया गया है.
National List of Essential Medicines Released: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम लोगों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर जरूरी दवाएं मुहैया कराने के लिए 7 साल बाद नई राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines) जारी की है. इसमें 384 दवाइयों को शामिल किया है. इनमें 34 नई दवाएं भी शामिल की गई हैं. इस सूची में पहले से शामिल 26 दवाओं को बाहर भी किया गया है.
इस सूची में आमतौर पर वे दवाएं शामिल होती हैं, जो सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों का हिस्सा होती हैं. 13 सितंबर को जारी नई संशोधित- एनएलईएम 2022 में कैंसर की अधिक दवाएं, डायबिटीज की नई दवाएं और यहां तक कि पेटेंट के तहत आने वाली चार दवाएं भी शामिल हैं. आपको भी जानने की उत्सुकता होगी कि आखिर ये सूची है क्या और सरकार ने इसे क्यों जारी किया है तो इन सब सवालों के जवाब यहां जानिए.
जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची क्या है
जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची- एनएलईएम (National List Of Essential Medicines) को हितधारकों की सलाह से विशेषज्ञ तैयार करते हैं. इस सूची में वो दवाएं शामिल की जाती हैं जो बहुसंख्यक आबादी की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी हैं. इसमें वो दवाएं शामिल होती हैं जो किसी खास हालात में इलाज के लिए बेहतरीन हैं. इसके साथ ही ये किफायती (Cost-Effective) भी होती हैं. यही वजह है कि सूची में लगभग हमेशा जेनरिक (अनब्रांडेड दवाएं, जैसे क्रोसिन की जगह पैरासिटामोल) दवाओं को शामिल किया जाता है.
लिस्ट चार बार हो चुकी है संशोधित
सूची में आमतौर पर वे दवाएं शामिल होती हैं जो सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों का हिस्सा होती हैं, जैसे बेडाक्विलाइन है. इसका इस्तेमाल देश के टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (TB Elimination Programme) में किया जाता है. भारत में आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) की आवश्यक दवा सूची के सिद्धांतों पर तैयार की गई है. भारत की पहली दवा सूची 1996 में बनाई गई थी. तब से इसमें 4 बार संशोधन किया जा चुका है. साल 2003 में इसमें पहला, साल 2011 में दूसरा, साल 2015 में तीसरा और अब साल 2022 में चौथा संशोधन किया गया.
दवाओं पर मार्किंग भी होती है, इसे समझिए
एनएलईएम सभी दवाओं को पी, एस, या टी के तौर पर मार्क करता है और ये इस पर निर्भर करता है कि उन्हें प्राथमिक, माध्यमिक या तृतीयक हेल्थ केयर सुविधाओं पर उपलब्ध होना चाहिए या नहीं. यह सूची अस्पतालों को उनकी दवा नीतियां बनाने में भी मदद करती है. जैसे कि कौन सी दवा इस्तेमाल में लानी चाहिए. एनएलईएम-2022 ने सूची में कई एंटीबायोटिक दवाओं को बदल दिया. जैसे कि एंटीबायोटिक मेरोपेनेम को सूची से हटा दिया गया है. ये सूची युवा डॉक्टरों को दवाओं के तर्कसंगत इस्तेमाल की ट्रेनिंग देने में मदद करती है. लेकिन इस सूची का सबसे अहम मकसद इन दवाओं को आम जनता के लिए सस्ती बनाना है.
कैसे एनएलईएम से दवाएं हो जाती हैं किफायती
सरकार जनहित में आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित कर सकती है. एक बार जब कोई दवा एनएलईएम (NLEM) में शामिल हो जाती है, तो उसकी कीमतें केंद्र सरकार ही नियंत्रित करती है. कोई भी दवा कंपनी इन कीमतों में खुद से बदलाव नहीं कर सकती है.
इस सूची को जारी करने के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Dr Mansukh Mandaviya) ने कहा कि इस सूची के आधार पर एनपीपीए (NPPA) दवाइयों की कीमतें तय करेगा. एनएलईएम के तहत आने वाली दवाओं के दाम कंपनियां खुद नहीं बढ़ा सकेंगी, लेकिन हर साल थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) के हिसाब से कीमतों में बढ़ोतरी या कमी की जा सकती है.
Released the National List of Essential Medicines 2022.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 13, 2022
It comprises 384 drugs across 27 categories.
Several antibiotics, vaccines, anti-cancer drugs and many other important drugs will become more affordable & reduce patients’ out-of-pocket expenditure. pic.twitter.com/yz0Fx8er78
नई लिस्ट में कौन सी अहम दवाइयां जोड़ी गईं
नई सूची में 34 दवाएं शामिल हैं जो पहले 2015 के एनएलईएम में नहीं थीं. इसमें कैंसर की 4 दवाएं भी शामिल हैं. इनमें बेंडामुस्टाइन हाइड्रोक्लोराइड (Bendamustine Hydrochloride) जो कुछ खास तरह के रक्त और लिम्फ नोड कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल में आती हैं. इरिनोटेकन एचसीआई ट्राइहाइड्रेट (Irinotecan HCI Trihydrate) कोलोरेक्टल (आंतों- गुदा) और अग्नाशय के कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इस सूची में कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली लेनिलेडोमाइड (Lenalidomide) और प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली ल्यूप्रोलाइड एसीटेट (Leuprolide acetate) भी हैं.
इस लिस्ट में मधुमेह (Diabetes) को नियंत्रित करनेवाली दवाएं भी शामिल हैं. ये दवा टेनेलिग्लिप्टिन (Teneligliptin) और इंसुलिन ग्लार्गिन (Insulin Glargine) हैं. इस सूची में रोटा वायरस (Rotavirus) की वैक्सीन भी शामिल है. चार दवाएं ऐसी भी हैं जो अब भी पेटेंट (Patent) के तहत हैं.
पेटेंट वाली इन दवाओं में टीबी के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली लिए बेडाक्विलाइन (Bedaquiline) और डेलामिनिड (Delamanid) भी हैं. वहीं एचआईवी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डोलटेग्रेविर (Dolutegravir) और हेपेटाइटिस सी के इलाज में काम आने वाली डैकलाटसवीर (Daclatasvir) शामिल हैं.
दवाओं की स्थायी राष्ट्रीय समिति (Standing National Committee On Medicines) को दवाओं की सूची को संशोधित (Modify) करने के लिए 2018 में बनाया गया था. इस समिति के चीफ डॉ वाईके गुप्ता (Dr YK Gupta) के मुताबिक, “एक सवाल बार-बार उठाया जाता है कि क्या पेटेंट वाली दवाओं (Patented Drugs) को एनएलईएम में शामिल किया जाना चाहिए. इसलिए समिति के साथ ही हितधारकों और मंत्रालय ने फैसला लिया कि पेटेंट दवाएं भी एनएलईएम का हिस्सा हो सकती हैं.”
इस सूची में एक अहम हिस्सा और जोड़ा गया है. इसमें निकोटीन (Nicotine) और ओपिओइड रिप्लेसमेंट थेरेपी (Opioid Replacement Therapy) को जगह दी गई है. इससे पहले की सूचियों ये शामिल नहीं थे. ओपिओइड रिप्लेसमेंट थेरेपी हेरोइन की लत को छुड़ाने तो निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी तंबाकू या सिगरेट की लत को छुड़ाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है.
एनएलईएम से किन खास दवाओं को हटाया गया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछली सूची की 26 दवाओं को हटा दिया था. इससे एनएलईएम-2022 में दवाओं की कुल संख्या 384 हो गई. सूची से तपेदिक (Tuberculosis) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तीन दवाइयों को हटाना सबसे अहम रहा. इसमें केनामाइसिन (Kanamycin) इंजेक्शन भी शामिल है. ये एक एंटीबायोटिक है और इसका इस्तेमाल गंभीर जीवाणु संक्रमण (Bacterial Infections) और टीबी के इलाज के लिए किया जाता है. अब सरकार ऐसे मरीजों के लिए मुंह से लेने वालाी दवा शुरू करने जा रही है. बताया गया कि केनामाइसिन के इस्तेमाल से गुर्दों पर बुरा असर पड़ने के साथ ही सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो रही थी. इस वजह से ये दवा एनएलईएम-2022 सूची से बाहर कर दी गई.
संशोधित की गई दवा की सरकारी सूची में मेरोपेनेम (Meropenem) और एंटी-पैरासिटिक आइवरमेक्टिन (Meropenem) जैसे एंटीबायोटिक्स को भी हटाया गया है. ये सरकार के लिम्फैटिक फाइलेरिया कार्यक्रम (Lymphatic Filariasis Programme) का भी एक हिस्सा है. ये कार्यक्रम सरकार ने हाथी पांव रोग को खत्म करने के लिए शुरू किया है. इस सूची से सरकार ने रोगाणुरोधी कैप्रोमाइसिन (Capreomycin) और गैन्सीक्लोविर (Ganciclovir) को भी हटा दिया है. ये दवाइयां मानव भ्रूण की विकृति की वजह बनती हैं. इसके साथ ही खराब असर वाली हेपेटाइटिस की दवा की भी संशोधित दवाइयों की लिस्ट से बाहर कर दी गई है. इसके साथ ही पेट्रोलियम जेली (Petroleum Jelly) और ब्लीचिंग पाउडर को भी सूची से हटा दिया गया है.
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