पिछले एक हफ्ते में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय (डीओई) ने कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने के लिए कहा. सांसद चिराग पासवान, बीजेपी सांसद रामशंकर कठेरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री पीसी सारंगी और पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को डीओई का आदेश मानते हुए बंगला खाली करना पड़ा. 


बता दें कि चिराग पासवान जिस बंगले में रहे थे वो उनके दिवंगत पिता और केंद्रीय मंत्री रहे रामविला पासवान को आवंटित किया गया था. अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद चिराग पासवान इस बंगले में रह रहे थे. ज्यादातर सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को लुटियंस दिल्ली में बंगला आवंटित किया जाता है. कार्डिनल अथॉरिटी बंगलों का आवंटन सामान्य पूल आवासीय आवास (जीपीआरए) अधिनियम के तहत किया जाता है. नियम के मुताबिक, सांसद के पद से हटने के 15 दिन बाद उन्हें सरकारी बंगला खाली करना होता है. वरना जुर्माना लगता है. 


कैसे आवंटित होते हैं बंगले?


सांसदों और मंत्रियों को बंगलों का बंटवारा सैलरी और सीनियॉरिटी के आधार पर होता है. आवास आवंटित करने का काम दोनों संसद के सदनों की हाउसिंग कमेटी करती है. टाइप I से टाइप IV के सरकारी आवास आमतौर पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलते हैं. जबकि, टाइप VI से टाइप VIII तक के बंगले सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को आवंटित किए जाते हैं.


टाइप VIII बंगला आमतौर पर कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और वित्त आयोग के चेयरमैन को मिलते हैं. सभी सांसदों को सरकारी आवास में सालाना 4 हजार किलोलीटर पानी औऱ 50 हजार यूनिट तक की बिजली फ्री मिलती है. अगर किसी साल पानी और बिजली का इस्तेमाल ज्यादा हो जाता है तो उसे अगले साल एडजस्ट किया जाता है. इसके अलावा हर तीन महीने में पर्दों की धुलाई भी फ्री में होती है.