भारतीय स्वतंत्रता के सिपाही और राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 137वीं जयंती है. उनका जन्म महाराष्ट्र में नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था. सावरकर एक लेखक, कवि और ओजस्वी वक्ता थे. भारतीय राजनीति में सावरकर का नाम महानता और विवाद दोनों के साथ लिया जाता है.
बचपन से ही सावरकर का मन क्रांतिकारी विचारों वाला रहा है. उन्होंने वकालत की परीक्षा फर्स्ट क्लास से पास की. लेकिन अंग्रेजी सरकार की वफादारी की शपथ नहीं ली तो अंग्रेजों ने उन्हें वकालत की उपाधि ही नहीं दी.
सावरकर को कैसे मिली 'वीर' की उपाधि
इस घटना के पीछे एक पूरी कहानी है. बात साल 1936 की है, जब कांग्रेस पार्टी में एक बयान को लेकर सावरकर का विरोध होने लगा था. पार्टी के सभी कार्यकर्ता उनके खिलाफ हो गए थे. लेकिन एक व्यक्ति ऐसा था, जो सावरकर के साथ खड़ा था. उस शख्स का नाम था- पीके अत्रे. आचार्य पीके अत्रे नौजवानी की उम्र से ही सावरकर से काफी प्रभावित थे. पीके अत्रे एक मशहूर पत्रकार, शिक्षाविद, कवि और नाटककार थे.
इसके बाद पीके अत्रे ने सावरकर के स्वागत के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया. ये कार्यक्रम बालमोहन थिएटर के तहत आयोजित किया गया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम का काफी विरोध किया. उनके खिलाफ पर्चें बांटे और काले झंडे दिखाने की धमकी दी. लेकिन फिर भी सावरकर स्वागत कार्यक्रम में शामिल होने हजारों लोग आए. इसी दौरान पीके अत्रे ने सावरकर को 'स्वातंत्र्यवीर' की उपाधि से संबोधित किया. बाद में सावरकर के नाम के आगे वीर जोड़ दिया गया और उन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाने लगा, जो आज तक चर्चित है.
सावरकर ने चुकाया नाम का कर्ज
ये कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. खास बात ये है कि जिसने सावरकर को 'वीर' की उपाधि दी, सावरकर ने भी उन्हें 'आचार्य' नाम दिया. पीके अत्रे को सबसे पहले आचार्य कहकर सावरकर ने ही पुकारा था. पुणे में सावरकर के स्वागत में आयोजित कार्यक्रम के बाद एक और कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका आयोजन वीर सावरकर ने किया. यहां वीर सावरकर ने पीके अत्रे को महान शिक्षाविद, लेखक और कलाकार कहते हुए आचार्य शब्द से पुकारा. बाद में पीके अन्ने के नाम के साथ भी 'आचार्य' जुड़ गया, ठीक वैसे ही जैसे सावरकर के नाम के साथ 'वीर' जुड़ा.
सावरकर से विवाद
सावरकर को लेकर अनेक विवाद हैं. उनमें एक विवाद ये है कि साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठे दिन ही उन्हें गाँधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में मुंबई से गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन फ़रवरी 1949 में उन्हें बरी कर दिया गया था. अभी हाल में कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक विवादित टिप्पणी भी की थी.
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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जयंती विशेष: विनायक दामोदर सावरकर के नाम के साथ 'वीर' शब्द कैसे जुड़ा?
एबीपी न्यूज़
Updated at:
28 May 2020 12:26 PM (IST)
विनायक दामोदर सावरकर को वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि उनके नाम के साथ 'वीर' शब्द कैसे जुड़ा और फिर उन्होंने नाम का कर्ज कैसे उतारा?
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