पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव हुए है. आखिरी दो चरणों के मतदान से पहले कोरोना संक्रमण की वजह से चुनाव आयोग ने राज्य में बडी रैलियों और रोड शो पर रोक लगा दी थी और शायद ये बंगाल चुनाव का एक और बड़ा टर्निंग प्वाइंट था.


पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रणनीति शुरु से ही बड़ी रैलियां और रोड शो करने की रही थी. दरअसल बीजेपी को कई राज्यों में पीएम मोदी और अमित शाह की आखरी वक़्त की रैलीओं से बड़ा चुनावी फायदा मिलते हुए देखा भी गया है. और इसीलिए बंगाल में भी पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियों के जवाब में टीएमसी की इकलौती स्टार प्रचारक ममता भी बड़े रोड शो और रैलियां कर रही थी. लेकिन चुनाव आयोग की रोक के बाद सभी पार्टियों को पांच सौ से कम लोगों के साथ डोर टू डोर कैंपेन करना पड़ रहा था और शायद इसका सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा है.


 


ममता ने नहीं खोया धैर्य


जिसका पूरा प्रचार अपने बडे नेताओं के चेहरों के आस -पास ही सीमित था. जाहिर है दो चरणों में प्रचार की लय बिगड़ने से जहां बीजेपी अमंगल हुआ वही बंगाल के इस चुनावी दंगल में ममता के टूटे पैर ने उनका मंगल कर दिया है.


 


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में और चाहे जिस चीज की कमी हो लेकिन हिम्मत की कोई कमी नहीं है. वो विपक्ष में रहें या सत्ता में, सबसे टकराना जानती हैं. उसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है तो उसका फायदा भी होता है. पश्चिम बंगाल के इस चुनाव के दौरान ही ममता के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी को लेकर काफी आरोप लगे. जांच पड़ताल हुई. सीबीआई का घेरा कसा लेकिन ममता इससे विचलित नहीं हुईं. चुनाव वो एक पैर से लड़ती रहीं लेकिन विजय मिली तो दोनों पैरों पर.


 


आरोपों को ममता ने बनाया हथियार
वैसे दीदी पर जितने आरोप लगते हैं, जितने हमले होते हैं वो उसे हथियार बनाकर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेती हैं. पूरे चुनाव भर ममता और उनका परिवार बीजेपी के निशाने पर रहा. तृणमूल कांग्रेस मतलब ममता बनर्जी. बीजेपी को पता था कि जिस पार्टी का अस्तित्व ही सिर्फ एक शख्सियत पर टिका है उसे घेरकर ही उस पर सवाल उठा कर ही रॉयटर्स बिल्डिंग का रास्ता तय किया जा सकता है क्योंकि अगर ममता कमजोर हुईं तो तृणमूल खत्म.


बीजेपी के निशाने पर पूरे चुनाव भर ममता का परिवार रहा. खासतौर से उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर बीजेपी ने ममता पर परिवारवाद का आरोप लगाया. बीजेपी आरोप पर आरोप लगाती रही लेकिन ममता हर आरोप का जवाब अपने अंदाज में ही देती गईं. आरोप सिर्फ आरोप तक सीमित नहीं रहे. चुनाव के दौरान ही कोयला घोटाले का मामला खूब उछला. सीबीआई ममता बनर्जी के घर तक पहुंच गई. अभिषेक बनर्जी की पत्नी, उनकी साली तक जांच की आंच पहुंच गई.सवालों के घेरे में सीधे सीधे अभिषेक बनर्जी थे और इशारा ममता तक था.


 


बीजेपी के हर आरोप का ममता ने जनता में जाकर दिया जवाब

यही नहीं तोलाबाजी,कटमनी और भ्रष्टाचार के तमाम आरोप तृणमूल सरकार पर बीजेपी ने लगाएं. ममता के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि बीजेपी ने ममता के खास लोगों को ही उनके खिलाफ इस्तेमाल किया. तृणमूल के कई नेता पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हुए.

अकेली पड़ जाने के बावजूद ममता ने अकेले दम पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा संभाले रखा. बीजेपी के हर आरोप का जवाब ममता ने जनता के बीच जाकर दिया. ममता का यही फायरब्रांड अंदाज बंगाल को पसंद है. जमीन पर सीधी टक्कर देने का उनका ये तरीका ही बंगाल में उनकी जीत का आधार बनता रहा है और एक बार फिर इस महाजीत ने ये बात साबित कर दी है.


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