पाकिस्तान के कब्ज़े में मौजूद भारतीय पायलट को वापस कैसे लाया जाएगा ? क्या कहते हैं नियम, जानिए
लापता पायलट को लेकर स्थिति अब साफ हो चुकी है कि वो पाकिस्तान के कब्ज़े में ही है. ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय पायलट की सकुशल वापसी किस तरह से मुमकिन हो पाएगी.
नई दिल्ली: मंगलवार को पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर जैश के ट्रेनिंग कैम्प और वहां मौजूद 350 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस कार्रवाई को भारतीय वायुसेना के ‘12 मिराज-2000’ एयक्राफ्ट्स ने अंजाम दिया. भारत के इस कदम के बाद से पड़ोसी मुल्क बौखलाया हुआ है. दोनों देशों के बीच बेहद तनाव की स्थिति है. इस बीच आज पाकिस्तान की ओर से दावा किया गया कि उसने भारत के एयरक्राफ्ट को मार गिराया और अभिनंदन नाम का पायलट उनके कब्ज़े में हैं. पाकिस्तान के दावे के बाद अब भारत ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि लापता पायलट पाकिस्तान के कब्ज़े में ही है. हालांकि भारत ने लापता पायलट के नाम का ज़िक्र नहीं किया है.
लापता पायलट को लेकर स्थिति अब साफ हो चुकी है कि वो पाकिस्तान के कब्ज़े में ही है. ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय पायलट की सकुशल वापसी किस तरह से मुमकिन हो पाएगी. ऐसे हालात में जब भारतीय पायलट पाकिस्तान के कब्ज़े में है, तो उनकी वापसी के लिए सरकार के पास क्या-क्या रास्ते हैं.
पहले ये साफ कर दें कि ये जंग नहीं है. हालांकि जंग घोषित हुए बिना ही भारत का पायलट पाकिस्तान के कब्ज़े में है. इन हालात में भारत ने पाकिस्तान से अपने पायलट को छोड़ने के लिए कहा है. जबकि भारत के बयान पर अभी पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
भारत ने पाकिस्तानी उप-उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह से यह सुनिश्चित करने को कहा कि भारतीय पायलट को पाकिस्तानी हिरासत में कोई नुकसान न पहुंचे. इतना ही नहीं भारत ने पाकिस्तानी उप-उच्चायुक्त से यह भी कहा है कि भारत पाकिस्तान की तरफ से भारतीय वायुसेना के घायल पायलट को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर अशोभनीय तरीके से दिखाए जाने की निन्दा करता है.
पायलट को वापस लाने के क्या हैं रास्ते ?
जेनेवा कन्वेंशन के तहत युद्ध के दौरान मुखालिफ देश द्वारा पकड़े गए सैनिकों को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं. इसके तहत पकड़े गए सैनिक को छोड़ने को लेकर भी नियम तय किये गए हैं. इस संधि के मुताबिक युद्ध खत्म होने के फौरन बाद बिना देरी किए बंदी बनाने वाले देश को बंदी को रिहा करना होता है.
हालांकि अभी के हालात को युद्ध नहीं कहा जा सकता. लेकिन सैनिक होने के नाते बंदी बनाने वाले देश को उनके साथ सही तरीके से व्यवहार करना होगा. अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और जेनेवा कन्वेंशन में ‘युद्ध बंदियों’ को लेकर साफ तरह से नियम तय किए गए हैं. ऐसे में इस मामले में भी पाकिस्तान को उन नियमों का पालन करना होगा.
युद्ध बंदी के क्या हैं हुकूक?
- इसके तहत युद्ध बंदी के साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए.
- बंदी बनाने वाले देश को युद्ध बंदी का ज़रूरी इलाज भी करना होगा.
- बंदी के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव न हो इसका भी ध्यान रखना होगा.
- बंदी के साथ किसी तरह की हिंसा यानी मारपीट ना हो इसको भी बंदी बनाने वाले देश को सुनिश्चित करना होगा.
- बंदी को माकूल कैम्प में नज़रबंद करना होगा.