नई दिल्ली: पूरे देश को कैशलेस बनाने की बात की जा रही है. कहा जा रहा है कि देश उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जहां सिर्फ प्लास्टिक मनी होगी. यानी कोई नोट नहीं होगा कोई सिक्का नहीं होगा. लेकिन कैसे मुमकिन है उस देश को कैशलेस बनाना जहां एक बड़ी आबादी पढ़ना-लिखना ही न जानती हो. बिहार के मोतिहारी का एक गांव ऐसा भी है जहां के ज्यादातर लोगों को अभी तक एटीएम कार्ड कैसा होता है ये भी नहीं पता है.


ये केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के संसदीय क्षेत्र मोतिहारी में पड़ने वाला गांव बालगंगा है. मोतिहारी शहर से महज 5 किलोमीटर दूरी पर ये गांव है. गांव में 35 से 40 परिवार रहते हैं. ज्यादातर के पास बैंक खाते हैं लेकिन एटीएम क्या है ये नहीं पता है. कैमरे के सामने हमने जब गांव के लोगों को एटीएम कार्ड दिखाया तो वो इसे पहचान ही नहीं पाए...ज्यादातर ने कहा पहली बार देखा कुछ ने इसे रेल टिकट बताया.



ये मजाक नहीं है इस देश की हकीकत है. इस देश के गांवों की हकीकत. बालगंगा गांव के ज्यादातर लोग मजदूरी-खेती से अपना पेट पालते हैं. बुनियादी ढांचा इतना कमजोर है कि गांव में एक भी स्कूल नहीं है..लिहाजा गांव के लोग पढ़ ही नहीं पाते.


सरकार अब नोट छोड़ कार्ड के जरिए, इंटरनेट के जरिए बाजार से सामान खरीदने की बात कह रही है. जाहिर है ऐसी बातें उन लोगों को चिंता में डालती हैं जो इन मामलों की बुनियादी समझ भी नहीं रखते हैं. जाहिर है डिजिटल इंडिया तभी बन पाएगा जब देश में डिजिटल लिटरेसी होगी यानी लोग डिजिटल साक्षर होंगे.


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