India-US Countering Terrorism: वाशिंगटन में आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर एक अहम बैठक हुई, जिसमें भारत और अमेरिका ने जानकारी साझा करने और क्षमता निर्माण के तरीकों को लेकर चर्चा की. आतंकवादी आज के दौर में किस तरह से अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए जाल बुन रहे हैं और उनके वित्त पोषण के लिए इंटरनेट और नई तकनीकियों का इस्तेमाल कैसे हो रहा है, इस सभी से निपटने के उपायों पर बैठक में चर्चा हुई.


मुंबई हमले और पठानकोट एयरबेस पर अटैक मामले पर दोनों पक्ष ये बोले


रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्षों (भारत और अमेरिका) ने सीधे तौर पर पाकिस्तान का जिक्र किए बिना 2008 के मुंबई हमलों और 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया.


बता दें कि 2008 में मुंबई में आतंकी हमले पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने किए थे, जबकि पठानकोट हमले का आरोप पड़ोसी देश के ही एक अन्य आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद पर लगा था.


क्या थी ये बैठक और क्यों हुई?


वाशिंगटन में मंगलवार (5 मार्च) को द्विपक्षीय आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह की बैठक डेजिगनेशंस डायलॉग के साथ आयोजित की गई, जो बहुपक्षीय मंचों पर आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने के संयुक्त प्रयासों पर केंद्रित है.


बुधवार को जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आतंकवाद निरोध) केडी देवल और अमेरिकी विदेश मंत्रालय में आतंकवाद निरोध के समन्वयक एलिजाबेथ रिचर्ड ने बैठक में दो इंटर-एजेंसी डेलिगेशंस का नेतृत्व किया. यह समूह की 20वीं बैठक थी, जिसकी स्थापना 2000 में हुई थी.


इन आतंकी संगठनों के खिलाफ उठाई गई ठोस कर्रवाई की मांग


भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति की ओर से प्रतिबंधित संगठनों, जैसे कि अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर और जेईएम सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की. दोनों देशों ने विभिन्न आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों को नामित करने की प्राथमिकताओं और प्रक्रियाओं के बारे में भी जानकारी का आदान-प्रदान किया.


दोनों पक्षों ने आतंकवाद के उभरते खतरों की समीक्षा की, जैसे कि आतंक के लिए इंटरनेट और नई और उभरती तकनीकि का इस्तेमाल, आतंकवादियों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही, आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादी गतिविधियों का वित्तपोषण और हिंसा और हिंसक उग्रवाद की ओर कट्टरपंथ मुद्दे की समीक्षा की गई. साझा बयान में कहा गया कि दोनों देश सूचना साझा करने, क्षमता निर्माण और इन खतरों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


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