नई दिल्लीः कोरोना के चलते दुनिया में सब बदल चुका है, अब पहले की तरह चीजें नहीं है. वायरस के प्रकोप और इस के चलते लॉक डाउन ने दुनिया में सब कुछ बदल दिया. अब हर चीज को करने के नए नियम और दिशा निर्देश है. ऐसे में अब जब आप कभी डॉक्टर को दिखाने अस्पताल जाएंगे तो आप पाएंगे कि नियम और अंदाज़ बदल चुका है. कैसा है ये अस्पतालों का न्यू नॉर्मल आपको बताते है-


दिल्ली के मशहूर सर गंगाराम अस्पताल में कोरोना काल से पहले मरीज नॉर्मली आकर डॉक्टरों को दिखा सकते थे लेकिन अब कोरोना के चलते सब कुछ बदल गया है. अब अगर आपको अस्पताल में डॉक्टर को दिखाना है या कंसल्टेशन के लिए जाना है तो नियम बदल चुके हैं. अब पहले की तरह यूं ही अस्पताल नहीं जा पाएंगे अब अस्पताल में 'नॉर्मल नहीं बल्कि न्यू नॉर्मल रूल' चलेगा.


अस्पतालों ने बनाए नए नियम
अब इस न्यू नॉर्मल के मुताबिक मरीज को सबसे पहले ऑनलाइन या अस्पताल की ऐप पर डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेना होगा वहीं अपॉइंटमेंट के साथ ही फीस का भुगतान भी करना होगा. भुगतान करने के बाद आपको समय दिया जाएगा और उस समय पर आपको अस्पताल आना है लेकिन खास बात यह कि जो समय आपको दिया गया है उससे कुछ वक्त पहले आपको अस्पताल पहुंचना होगा. ऐसा इसलिए ताकि डॉक्टर को दिखाने से पहले आप की रूटीन चेकिंग हो जाए.


अस्पताल में आने पर आपको अस्पताल में बना एक टेंट नजर आता है जहां पर कुछ दूरियों पर कुर्सियां रखी होंगी. दरअसल यही से ओपीडी में जाने की शुरुआत होती है. जिन मरीजों को ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए समय दिया गया है वह यहां आते हैं उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है साथ ही उनसे एक फॉर्म भराया जाता है जिसमें तमाम जानकारी होती है और सैनिटाइज करने के बाद एक वार्ड बॉय या गार्ड ओपीडी सेंटर तक ले जाता है.


इसके बाद अस्पताल में अंदर जाने से पहले भी आप का टेंपरेचर लिया जाता है और साथ ही अपॉइंटमेंट की पर्ची चेक की जाती है. इसके बाद मरीज को डॉक्टर के कमरे के बाहर वेटिंग एरिया में बैठने के लिए कहा जाता है. यहां पर भी अब सब कुछ बदल चुका है. आमतौर पर वेटिंग एरिया में कई मरीज होते हैं लेकिन अब यहां सीटिंग अरेंजमेंट बदल दी गई है. इतना ही नहीं तो डॉक्टर से कैसे मिला जाए और क्या कुछ प्रक्रिया है वह भी बदल चुकी है.


सर गंगाराम अस्पताल की ओपीडी इंचार्ज मिली सहगल बताती है " अब न्यू नॉर्मल के मुताबिक ओपीडी में एक घंटे में डॉक्टर सिर्फ चार मरीज देखेंगे. वहीं हर पेशंट के डॉक्टर रूम में आने से पहले और एक पेशंट के जाने के बाद रूम सेनिटाइज होगा. इस दौरान एक कुर्सी छोड़कर बैठना होगा. डॉक्टर भी मास्क, ग्लव्ज, फेस शील्ड पहने होंगे.'


इसके अलावा मरीज को लाने ले जाने की जिम्मेदारी वहां पर एक व्यक्ति की होगी. अब ओपीडी में सिर्फ मरीज अंदर जा सकेंगे उनके साथ आए अटेंडेंट अंदर नहीं जा पाएंगे. सिर्फ उन्हीं मरीजों के साथ अटेंडेंट अंदर जा पाएंगे जिन्हें ज्यादा तकलीफ है.


सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राणा के मुताबिक "यह न्यू नॉर्मल है. कोरोना के चलते अब कई चीजों को बदलना पड़ा है और कोरोना के साथ अगर जीना है तो इन चीजों को अपनाना पड़ेगा. और यह बदलाव आगे कुछ महीनों तक बने रहेंगे. "


कई अस्पतालों ने बदले नियम
ऐसा सिर्फ सर गंगाराम और उसके अस्पताल में नहीं बल्कि दिल्ली-एनसीआर के और अस्पतालों में भी हुआ है. एक और बड़े अस्पताल मैक्स हॉस्पिटल में भी यही न्यू नॉर्मल है. यहां पर भी मरीज के आने से लेकर जाने तक की प्रक्रिया तय कर दी गई है. यहां पर भी सीमित संख्या में ही मरीज ओपीडी में डॉक्टर को दिखा पाएंगे. इतना ही नहीं डॉक्टरों के दिन भी तय कर दिए गए हैं और उनके मरीजों को उसी हिसाब से अपॉइंटमेंट दिया जा रहा है.


मैक्स अस्पताल में भी अंदर जाने से पहले थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन होता है. वहीं डॉक्टर के कमरे के बाहर यहां भी बैठने की व्यवस्था अब बदल चुकी है. इतना ही नहीं तो अस्पताल से बाहर निकालने पर भी सैनिटाइज किया जा रहा है. दरअसल अस्पताल में कई तरह के वायरस और बैक्टेरिया होने की संभावना रहती है ऐसे में पैरों में पहने जूतों में लग कर ये आपके साथ ना जाए इसलिए जूतों को भी सेनीटाइज किया जाता है.


वहीं आपको अस्पताल में जाने के लिए आरोग्य ऐप होना चहिए. इसके अलावा जरूरी ना होने पर टेलीकंसल्टेशन के लिए भी कहा जा रहा है. यह सब कुछ इसलिए क्योंकि कोरोनावायरस का खतरा बना हुआ है. ऐसे में अब यही न्यू नॉर्मल है. अगर कोरोना वायरस के साथ जीना है तो कुछ नई चीजों को अपनाना होगा और इसे ही नॉर्मल मानकर चलना होगा.