Indians in Russia: यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग में धोखे से शामिल होने वाले एक भारतीय की मौत हो गई है. मॉस्को में भारतीय दूतावास ने बुधवार (6 मार्च) को बताया कि हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद असफान की मौत हुई है. दूतावास ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि आखिर वह देश में क्या कर रहे थे. असफान से पहले सूरत के रहने वाले हेमिल अश्विन भाई मंगूकिया की जंग में मौत हो गई थी. वह रूसी सेना के साथ हेल्पर के तौर पर काम कर रहे थे. 


मोहम्मद असफान उन दो दर्जन भारतीयों में शामिल थे, जिन्हें अच्छी सैलरी वाली नौकरी का लालच देकर रूस भेजा गया था. असफान के परिवार का कहना है कि उन्हें मौत की जानकारी एआईएमआईएम के हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी के जरिए मिली. दूतावास ने कहा है कि वह परिवार के साथ संपर्क में है और असफान के शव को भारत भेजने के लिए काम कर रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर रूसी सेना में किस तरह से जबरन भारतीयों की भर्ती की जा रही है.


क्या भारत को रूस में फंसे भारतीयों के बारे में मालूम है?   


विदेश मंत्रालय ने 29 फरवरी को बताया था कि रूस में 20 भारतीय फंसे हुए हैं. भारतीय अधिकारियों ने उन्हें बाहर निकालने के लिए रूस के साथ संपर्क किया गया. सरकार उन्हें वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. विदेश मंत्रालय के बयान से पहले रूस में भारतीयों के फंसे होने का मुद्दा ओवैसी ने उठाया था. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को चिट्ठी लिखकर बताया था कि तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, यूपी जैसे लोगों को जबरन रूस में लड़ने के लिए भेजा गया है. 


रूसी सेना में किस तरह फंसे भारतीय? 


दरअसल, भारतीय नागरिक एजेंट्स की मदद से रूस में अच्छी नौकरी की तलाश में वहां पहुंच रहे हैं. ये लोग वीजा पर रूस पहुंचते हैं, यहां उन्हें नौकरी तो दी जाती है. हालांकि, जिस काम को करने के लिए वे यहां पहुंचे थे, उसकी जगह उन्हें रूसी सेना में लड़ने के लिए भेज दिया जाता है. अब तक जितने भी भारतीय रूस में फंसे हुए हैं. उनके परिजनों या उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वे यहां पर नौकरी के लिए आए थे, लेकिन अब जंग के मैदान में उतार दिए गए हैं. 


पंजाब के गुरदासपुर के रवनीत सिंह भी रूस में फंसे हुए हैं. उनके परिजनों ने बताया कि रूस का टूरिस्ट वीजा हासिल करने के लिए एक एजेंट को 11 लाख का भुगतान किया गया. रवनीत के साथ उनका एक दोस्त भी रूस नौकरी की तलाश में पहुंचा था. ये लोग जब घूम रहे थे, तो पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया और फिर रूसी सेना को सौंप दिया गया. इसके बाद सेना ने उन्हें यूक्रेन के साथ चल रही जंग में लड़ने के लिए फ्रंटलाइन पर भेज दिया. रवनीत ने खुद इसकी जानकारी दी है. 


रवनीत का कहना है कि पकड़े जाने पर उनसे एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया गया, जिसमें दी गई जानकारी रूसी भाषा में थी. उन्होंने इस बात का भी दावा किया है कि इस तरह जबरन रूसी सेना में भर्ती किए जाने वाले वह अकेले नहीं हैं, बल्कि कई सारे भारतीयों को भी इसी तरह से पकड़ा गया है. कुछ पकड़े गए भारतीयों को तो ये भी कहा गया है कि अगर वे सेना में भर्ती नहीं होते हैं, तो उन्हें 10 साल की जेल की सजा हो सकती है. पकड़े गए लोगों को हथियार चलाने की बेसिक ट्रेनिंग दी जा रही है और फिर उन्हें जंग के मैदान में उतार दिया जा रहा है. 


यह भी पढ़ें: रूसी सेना में शामिल भारतीय शख्स की यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में हुई मौत, धोखे से किया गया था शामिल