नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील एच एस फुल्का ने गुरुवार को दावा किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता कमलनाथ की संलिप्तता के ठोस साक्ष्य हैं और उनका न्याय होना अब भी बाकी है. बता दें कि कमलनाथ मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे हैं.


फुल्का ने कहा, “कमलनाथ के खिलाफ बहुत सारे साक्ष्य हैं और उनके विरुद्ध न्याय चक्र का चलना अभी बाकी है. अब यह फैसला लेना राहुल गांधी (कांग्रेस अध्यक्ष) पर है कि क्या वह उस शख्स को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो 1984 के सिख दंगों में शामिल रहा हो.”


अदालती मामलों में दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि सिख विरोधी दंगों में संलिप्त नेताओं को दंडित करने की बजाए कांग्रेस ने उन्हें बढ़ावा दिया है और पदोन्नत किया है. उन्होंने कहा था, “उन्हें मंत्री बनाया गया और महत्त्वपूर्ण पद दिए गए.”


इस बीच बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता तजिंदर सिंह बग्गा ने दावा किया कि दंगों में नाथ की संलिप्तता के बारे में कांग्रेस जानती थी और इसी कारण से उन्हें 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले के कांग्रेस प्रभारी के पद से “हटा” दिया गया था. उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के पार्टी के फैसले का विरोध करना चाहिए और अगर गांधी इस पर सहमत न हों तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.


पंजाब के आप विधायक कंवर संधु ने दावा किया कि नाथ का बेदाग साबित होना अभी बाकी है. वहीं शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी नाथ पर सिख विरोधी दंगे में शामिल होने का आरोप लगाया.