नई दिल्ली: फर्जी कंपनियों के जरिए कालेधन से सफेद करने को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. काले धन को सफेद करने के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया गया. जिन दो लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्द किए गए थे उनमें से 5800 कंपनियों से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.


ये जानकारी बैंकों की ओर से सरकार को दी गयी है. इन कंपनियों में नोटबंदी से पहले सिर्फ 22 करोड़ रुपये जमा थे जबकि नोटबंदी के बाद इनमें कुल 4573 करोड़ रुपये जमा हो गए. बैंकों से मिली जानकारी ये भी पता चला है कि एक एक कंपनी के नाम पर सौ-सौ खाते खुलवाए गए थे, एक कंपनी तो ऐसी भी है जिसके बैंक में 1234 खाते खुलवाए गए थे.


दरअसल नोटबंदी के दौरान सरकार ने तमाम बैंकों को उनका डाटा उपलब्ध कराने की हिदायत दी थी. इसी सिलसिले में दो लाख नौ हजार कंपनियों के खातों में संदिग्ध लेन देन पाए गए थे, उनके खातों पर रोक लगा दी थी.


इन्हीं में से 5800 कंपनियां ऐसी हैं जिनका पहला डाटा 13 बैंकों ने सरकार को उपलब्ध कराया है. इनमें से कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनके सौ से ज्यादा खाते हैं और इनमें कुल जमा रकम 4573 करोड़ के आस पास है.


जिन कंपनियों की जानकारी बैंकों ने सरकार को दी है उनमें 429 खाते हैं ऐसे हैं जिनमें शून्य बैलेंस था. इन खातों में आठ नवंबर यानी नोटबंदी के एलान के बाद ग्यारह करोड़ रुपये तक जमा करवाए गए हैं.


नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों ने बड़े लेन देन किए लेकिन इसकी जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ को नहीं दी. आपको बता दें कि ये पहली सूची है जो बैंकों की ओर से सरकार को उपलब्ध कराई गयी है. इसी तरह की अन्य जानकारियां आगे भी बैंक सरकार को देते रहेंगे.


इन कंपनियों के खातों की जांच के बाद साफ हो पाएगा कि इन कंपनियों ने किसका कालाधन सफेद किया है. इसी जानकारी को आधार बनाकर सरकार कालेधन पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है.