2004 से ही शुरु हो गया था इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन: इसरो प्रमुख
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की प्रौद्योगिकी विकसित करने का काम 2004 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन यह परियोजना ‘‘प्राथमिकता सूची’’ में नहीं थी.
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नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की प्रौद्योगिकी विकसित करने का काम 2004 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन यह परियोजना ‘‘प्राथमिकता सूची’’ में नहीं थी.
बहरहाल, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस परियोजना को आगे ले जाने का राजनीतिक फैसला सरकार द्वारा किया गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में ऐलान किया था कि 2022 से पहले एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. के. सिवन ने सिंह के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘प्रयोग तो 2004 से ही चल रहे थे, लेकिन यह हमारी प्राथमिकता सूची में नहीं था.’’
उन्होंने कहा कि लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि इसरो इस परियोजना पर काम शुरू करने नहीं जा रहा है. सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने का फैसला मुख्यत: राजनीतिक था, क्योंकि इसरो का फोकस ऐसी परियोजनाओं पर काम करने का था जो संचार, कृषि एवं जलवायु जैसे अहम क्षेत्रों का समर्थन करती हों.
मंत्री ने कहा, ‘‘हमने इसकी योजना बनाई थी और प्रधानमंत्री की घोषणा का इंतजार कर रहे थे.....यह बहुत अहम घोषणा थी.’’ इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो ने कई अहम प्रौद्योगिकी विकसित की है. वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पेस कैप्सुल रिकवरी एक्सपेरिमेंट 2007 में किया गया था जबकि क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट 2014 और पैड एबॉर्ट टेस्ट 2018 में किया गया था.
साल 2003 से 2009 तक इसरो के अध्यक्ष रह चुके जी. माधवन नायर ने कहा कि अहम प्रौद्योगिकियां विकसित करने का काम 2004 में शुरू हुआ था लेकिन बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. नायर ने बताया, ‘‘वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक विस्तृत परियोजना की रिपोर्ट सौंपी गई थी. अंतरिक्ष आयोग ने भी परियोजना को मंजूरी दे दी थी, लेकिन फिर परियोजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई . मगर इसरो ने अहम प्रौद्योगिकियां विकसित करना जारी रखा.’’ साल 2016 में के. सिवन के पूर्ववर्ती ए एस किरण कुमार ने कहा था कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजना प्राथमिकता नहीं है.
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