Human Trafficking : सामना संपादकीय के जरिए गुजरात (Gujarat) और महाराष्ट्र (Maharashtra) से गायब हो रही लड़कियों को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं. सामना संपादकीय में लिखा है कि 'पिछले 5 साल में गुजरात से 40 हजार महिलाएं और लड़कियां गायब हो चुकी हैं. यह आरोप पीएम मोदी के विरोधियों ने नहीं लगाया है, बल्कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की तरफ से ये जानकारी साझा की गई है. चौंकाने वाले खुलासे के बाद हो सकता है कि एनसीआरबी में हमेशा के लिए ताला लग जाए'.


सामना संपादकीय में लिखा है कि विश्व पटल पर गुजरात जैसा कोई दूसरा राज्य नहीं है. प्रचारित किया जाता है कि गुजरात ही देश के विकास का एकमात्र मॉडल है, लेकिन इस एक रिपोर्ट से गुजरात की पोल खुल गई है. पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कामकाज के पाखंड को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. 


'बनानी चाहिए गुजरात फाइल्स'


सामना में आगे लिखा है कि कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरल स्टोरी’ की तरह विवेक अग्निहोत्री जैसे लोग ‘गुजरात फाइल्स’ बनाएं तो कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन ‘द केरल स्टोरी’ और ‘कश्मीर फाइल्स’ के बारे में ‘ये सच है, दबाया नहीं जा सकता’ ऐसा बयान पीएम मोदी सहित समस्त बीजेपी ने दिया, क्या वह गुजरात में लापता 40 हजार लड़कियों की स्टोरी का समर्थन कम-से-कम पर्दे पर करेंगे?


गुजरात को लेकर जारी किए गए ये आंकड़े
संपादकीय में लिखा है कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान बैठी हैं, लेकिन न तो प्रधानमंत्री मोदी और न ही गृहमंत्री शाह उनके बारे में बोलने को तैयार हैं. फिर अकेले उनके गुजरात में ही 40 हजार महिलाओं और बच्चियों का लापता होना गंभीर है. अगर यह आंकड़ा अकेले गुजरात का है तो पूरे देश का आंकड़ा भयावह होगा.


गुजरात में लापता महिलाओं की दर अधिक है, लेकिन देश के अन्य राज्यों और शहरों की स्थिति भी इस मामले में आशाजनक नहीं है. धुले-नंदुरबार गुजरात की सीमा से सटे जिले हैं. महाराष्ट्र के इन दोनों जिलों से बड़ी संख्या में महिलाएं और लड़कियां काम के लिए गुजरात जाती हैं. कुछ को वहां शादी का झांसा देकर ले जाया जाता है और उनमें हजारों महिलाओं-लड़कियों का आगे पता नहीं चलता. 


महाराष्ट्र को लेकर कही ये बात
सामना में लिखा है कि गुजरात में चालीस हजार महिलाएं गायब हो जाती हैं, लेकिन महाराष्ट्र में लड़कियों के गायब होने की दर गुजरात से कम है. महाराष्ट्र में लड़की और महिलाओं के गायब होने के विषय में एक ऐसी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि महाराष्ट्र से हर दिन 70 लड़कियां गायब हो रही हैं.


पिछले तीन महीने में ही यह संख्या तकरीबन साढ़े पांच हजार से अधिक है तो राज्य की शिंदे सरकार और उसका गृह विभाग क्या कर रहा है? राजनीतिक बदले के लिए विपक्ष के पीछे पड़ने के बजाय तीन महीने में आपकी नाक के नीचे से साढ़े पांच हजार लड़कियां कैसे गायब हो गए उनको खोजने के लिए शिंदे सरकार जांच एजेंसी को काम पर लगाए.


दिल्ली में महिलाओं पर अत्याचार सबसे ज्यादा


संपादकीय में लिखा है कि राजधानी दिल्ली में महिला अत्याचार और निर्मम हत्या की दर सबसे ज्यादा है. उसे भी नजरअंदाज किया जाता है. हिंदुस्तान की गरीब महिलाओं को फुसलाकर, नौकरी का लालच देकर पहले अरब देश ले जाया जाता था और वहां जाकर फंसी महिलाएं मरने तक अरबियों की गुलाम बन करके जीती थीं‌.


यह दर अब कम हो गई है, लेकिन इसी समय लड़कियों के लापता होने की दर बढ़ गई है, जो चिंता बढ़ाने वाली है. इसीलिए गुजरात के मामले में लड़कियों के लापता होने का आया आंकड़ा बेचैन करने वाला है. गुजरात राज्य से हजारों लड़कियों का गायब होना शुभ संकेत नहीं है! लड़कियां कहां गईं? अगर पीएम और गृहमंत्री को इसकी चिंता नहीं है तो इसका मतलब है कि उन्हें किसी भी मुद्दे की चिंता नहीं है. 


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