नई दिल्ली: करोना संकट के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इसकी वैक्सीन कब तक आएगी? इसी बीच लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन चीन कैनसीनो बायोल़जिक्स ने कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण को सफलता पूर्वक पार करने का दावा किया है. ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो सितंबर कोरोना की वैक्सीन लॉन्च भी हो जाएगी. इससे दुनिया में कोरोना की वैक्सीन को लेकर उम्मीदें बढ़ गयी हैं.
वहीं दूसरी ओर भारत में कोरोना की वैक्सीन पर काम बहुत तेज गति में चल रहा है. दिल्ली के एम्स अस्पताल में वैक्सीन क ह्यून ट्रायल शुरू हो चुका है. एम्स में पहले चरण में करीब 100 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा. एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इस ट्रायल के नतीजे तीन महीने में सामने आएंगे.
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह ट्रायल शुरू होना खुशी की बात है. एक नया टीका बनाना सच में बहुत बड़ी उपलब्धी होगी. अगर दुनिया में कहीं यह वैक्सीन बनती तो भी भारत में इसका बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू किया जाएगा. बता दें कि यह ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण है. स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को लेकर देश के 12 संस्थानों में काम बेहद तेजी में चल रहा है.
वहीं एम्स में पूरे परिक्षण पर निगरानी रख रहे डॉ. संजय राय ने कहा, ''पहले चरण के ट्रायल में 18-55 साल आयुवर्ग के 375 लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. दूसरे चरण से 12-65 साल आयुवर्ग के 750 लोगों होंगे. इसके बाद तीसरे चरण में एक बड़ी आबाी को वैक्सीन दी जाएगी.''
डॉ. रॉय ने बताया कि परीक्षण के लिए महिला और पुरुण दोनों को वैक्सीन दी जाएगी लेकिन महिला गर्भवती नहीं होनी चाहिए. सुरक्षा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है. वैक्सीन के प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि यह वायरस के म्यूटेशन पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, ''इन्फ्लुएंजा के लिए कई टीकाकरण की आवश्यकता होती है क्योंकि वायरस म्यूटेशन करता रहता है. हमने COVID -19 के साथ इस तरह के म्यूटेशन को नहीं देखा है.''
सबसे बड़ा सवाल- वैक्सीन कब तक आएगी?
इस सवाल के जवाब रणदीप गुलेरिया कहते हैं, "एक्सपर्ट के मुताबिक यह कहना कि वैक्सीन कब तक आएगी, बहुत मुश्किल है. हमें हर दिन इस वायरस के बारे में कुछ नया जानने को मिल रहा है.'' उन्होंने कहा कि अब वायरस ना सिर्फ बुखार, खांसी तक सीमित है बल्कि यह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर रहा है.